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"गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी – लघु वित्त संस्था" (एनबीएफसी-एमएफआई) –दिशानिदेश – संशोधन

भारिबैं/2012-2013/161
गैबैंपवि.(नीप्र)कंपरि.सं:300/03.10.01/2012-13

03 अगस्त 2012

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां

महोदय,

‘गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी – लघु वित्त संस्था’ (एनबीएफसी-एमएफआई) –दिशानिदेश – संशोधन

कृपया 02 दिसंबर 2011 के भारिबैं(नीप्र)केका.250 द्वारा जारी दिशानिदेशों का अवलोकन करें जिसमें नई श्रेणी की एनबीएफसी अर्थात गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी – लघु वित्त संस्था’ (एनबीएफसी-एमएफआई) का निमार्ण सहित उनके विनियामक संरचना की रूपरेखा बनाई गई थी। बैंक को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जिनका मूल कारोबार लघु वित्त है, से अभ्यावेदन प्राप्त हो रहे है, उन्होंने विनियामक संरचना के अनुपालन के संबंध में आने वाली कठिनाईयों से अवगत कराया है। इस संदर्भ में, यह निर्णय लिया गया था कि 02 दिसंबर 2011 को जारी किए गए दिशानिदेशों में कुछ संशोधन किया जाए। संशोधन निम्नलिखित उप-शीर्षक के तहत होंगे।

पैरा सं./

विवरण

1

पूंजी आवश्यकता- प्रवेश के लिए मानदण्ड

i. मौजूदा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
ii. नई कंपनियां

2

अर्हक स्वरूप की आस्तियां

3

बहुविध ऋण और ऋणग्रस्तता

4

सशर्त अनुपालन सुनिश्चित करना

5

ऋण का मूल्यांकन

6

पूंजी पर्याप्तता, परिसंपत्तियों का वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदण्ड

7

भौगोलीक विविधता

8

ग्राहक संरक्षण उपक्रम

9

एसआरओ का निर्माण

10

अनुपालन पर निगरानी

11

एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन

2. पूंजी आवश्यकता - प्रवेश के लिए मानदण्ड

1. मौजूदा एनबीएफसी

ए. एनबीएफसी-एमएफआई में परिवर्तन की इच्छा रखने वाली सभी पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां तत्काल प्रभाव से पंजीकरण हेतु आवेदन करें तथा किसी भी स्थिति में 31 अक्तूबर 2012 के बाद नहीं, बर्शते कि वे 31 मार्च 2012 तक निवल स्वाधिकृत निधि(एनओएफ) रूपये 3 करोड और 31 मार्च 2014 तक रूपये 5 करोड बनाए रखेंगी, इसमें चूक होने की स्थिति पर उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि लघु वित्त क्षेत्र में ऋण देना अर्थात् वैयक्तिक, एसएचजी या जेएलजी जो एमएफआई से ऋण के लिए पात्र हैं, उनको दिया गया ऋण कुल परिसंपत्तियों का 10% तक प्रतिबंधित हैं।

बी. पूर्वोत्तर क्षेत्र में कार्यरत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से , 31 मार्च 2012 तक रूपये 1 करोड और 31 मार्च 2014 तक रूपये 2 करोड का न्यूनतम एनओएफ बनाए रखना ही होगा।

ii. नई कंपनियां

देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की उन कंपनियां जिनके लिए अगली सूचना तक रू 2 करोड एनओएफ रखना आवश्यक है, उनके अतिरिक्त एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण की इच्छुक सभी नई कंपनियों को न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि रू 5 करोड रखना आवश्यक है , उन्हें निम्न पैराग्राफ में वर्णित अन्य सभी मानदण्डों का अनुपालन, जैसा अब तक किया है, वैसा प्रारंभ से करना होगा।

3. अर्हक स्वरूप की आस्तियां

i. एनबीएफसी-एमएफआई से अपेक्षित है कि वह अपने निवल आस्तियों का कम से कम 85% आस्तियों को अर्हक स्वरूप की आस्तियां के रूप में रखे। एनबीएफसी द्वारा अपने मौजूदा श्रेणी में इन मानदण्डों का अनुपालन करने में आने वाली कठिनाईयों को देखते हुए, यह निर्णय लिया गया कि केवल 01 जनवरी 2012 या उसके बाद प्रवर्तित परिसंपत्तियों को ही अर्हक स्वरूप की आस्तियों के मानदण्ड का अनुपालन करना होगा। विशेष छूट के रूप में, 01 जनवरी 2012 को मौजूदा आस्तियों को अर्हक स्वरूप की आस्तियों के मानदण्ड के साथ साथ कुल निवल परिसंपत्तियों के मानदण्ड के लिए गणना की जाएगी। इन आस्तियों को परिपक्वता पर निकालने की अनुमति दी जाएगी तथा उनका नवीनीकरण नहीं किया जाएगा।

ii. एनबीएफसी-एमएफआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि आय प्रवर्तन के लिए दिए गए ऋण की राशि कुल ऋण का 75% से कम न हो। चूंकि लक्ष्य ग्राहक मुख्य रूप से निर्वाह स्तर पर हैं और बुनियादी मानवीय आवश्यकताएं आय प्रवर्तन गतिविधियों से अधिक प्राथमिकता हासिल कर रही हैं, अतः इस पर पुनर्विचार करने पर यह निर्णय लिया गया है कि एमएफआई के कुल ऋण का कम से कम 70 प्रतिशत आय प्रवर्तन गतिविधियों के लिए होना चाहिए और शेष 30 प्रतिशत आवास मरम्मत, शिक्षा, चिकित्सा और अन्य आपातकाल जैसे उद्देश्यों के लिए।

4. बहुविध ऋण और ऋणग्रस्तता

यह स्पष्ट किया गया है कि उधारकर्ता वैयक्तिक रूप से केवल एक एसएचजी या एक जेएलजी का सदस्य बन सकता हैं। वह अपनी व्यक्तिगत क्षमता में या एसएचजी या जेएलजी के सदस्य के रूप एनबीएफसी-एमएफआई से ऋण ले सकता हैं। तथापि, एसएचजी या जेएलजी या व्यक्तिगत रूप में 2 से अधिक एमएफआई से ऋण नहीं लिया जा सकता। ऋण देने वाली एनबीएफसी- एमएफआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि उक्त शर्तों का गहन अनुपालन किया गया हैं।

5. सशर्त अनुपालन सुनिश्चित करना

ऋण देने वाली एमएफआई को, अन्य के साथ, वार्षिक घरेलू आय ( ग्रामिण क्षेत्र के लिए रू 60,000/- तथा शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्र के लिए रू 1,20,000/-) के स्तर से संबंधित शर्तें, कुल ऋण ग्रस्तता (रूपये 50,000/- से अधिक नहीं), एसएचजी/जेएलजी की सदस्यता, ऋण स्रोत (जैसा कि उक्त पैरा 4 में दिया गया है) के साथ- साथ अर्हक स्वरूप की आस्तियां का प्रतिशत और आय प्रवर्तन आस्तियों का प्रतिशत (जैसा कि उक्त पैरा 3 में दिया गया है) का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।

क्रेडिट सूचना कंपनियों की सदस्यता से इस तरह की अनेक शर्तों के संबंध में अनुपालन सुनिश्चित करना सुविधाजनक होगा। तदनुसार, यह दोहराया गया है कि प्रत्येक एनबीएफसी-एमएफआई को सीआईसी विनियमन अधिनियम, 2005, के तहत स्थापित न्यूनतम एक क्रेडिट सूचना कंपनी (सीआईसी) की सदस्यता लेनी ही होगी, ताकि उस सीआईसी को समय पर और सटिक आंकडें उपलब्ध कराया जाए और उसके पास उपलब्ध आंकडों को एसएचजी या जेएलजी की सदस्यता, ऋणग्रस्तता का स्तर और ऋणों के स्रोतों के संबंध में नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उपयोग किया जाए। चूंकि सीआईसी के आंकडों का कवरेज़ तथा गुणवत्ता को मजबूत बनने में कुछ समय लगेगा, अत: एनबीएफसी-एमएफआई उधारकर्ता द्वारा स्वत: प्रमाणिकरण और वार्षिक घरेलू आय के साथ साथ इन पहलूओं पर उनके स्वंय के स्थानीय जांच पडताल से भरोसा किया जा सकता है।

6. ऋण का मूल्यांकन

मालेगाम समिति की सिफारिशों के अनुसार 2 दिसम्बर 2011 को जारी दिशा निदेश के तहत एमएफआई द्वारा प्रदत्त ऋणों पर ब्याज की अधिकतम सीमा 26 प्रतिशत निर्धारित की गई हैं। तथापि, बाद में ऋण लागत और गतिशील (डायनमिक) हुई और जब समिति की सिफारिशें बनाई गई उस समय की परिकल्पित लागत से अधिक हो सकती है, यदि ब्याज दर की अधिकतम सीमा 26% निर्धारित की जाती है तो एमएफआई के लिए जो परिकल्पित दर से भी ज्यादा दर से उधार लेती है उनके लिए व्यवहार्य ढंग से परिचालन करना कठिन होगा। अत; परिचालनात्मक फ्लेक्सीबिलिटी की अनुमति के लिए, एनबीएफसी-एमएफआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्धारित अधिकतम सीमा के अंतर्गत , वित्तीय वर्ष के दौरान ऋणों पर औसत ब्याज दर वित्तीय वर्ष के दौरान की औसत ऋण लागत और मार्जिन से अधिक नहीं हो।इसके अलावा, जबकि वैयक्तिक ऋण पर ब्याज दर 26% से अधिक हो सकता है तब वैयक्तिक ऋण हेतु ब्याज दर की न्यूनतम और अधिकतम के बीच 4 प्रतिशत से अधिक अंतर की अनुमति नहीं है। ऋणों पर औसत ब्याज भुगतान और एमएफआई द्वारा प्रभारित प्रभार की गणना क्रमश: ऋण की औसत मासिक अतिदेय शेष और ऋण पोर्टफोलियों पर की जाएगी। यह भी निर्णय लिया गया है कि मालेगाम समिति द्वारा परिभाषित मार्जिन पर अधिकतम सीमा बडी एमएफआई के लिए 10% से अधिक नहीं होंगी (रूपये 100/- करोड से अधिक राशि के ऋण पोर्टफोलियों के लिए) और अन्य के लिए 12% होंगी। इन उपाय से यह सुनिश्चित होगा कि कम लागत की परिस्थिति में असली उधार कर्ता को लाभ होगा, जबकि बढते ब्याज दर की परिस्थिति में ऋण देने वाली एनबीएफसी-एमएफआई को व्यवहार्य लाईन पर कार्य करने की पर्याप्त गुंजाइश होंगी। आंकडें प्रति वर्ष सांविधिक लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित किए जाए तथा तुलन पत्र में भी प्रकट किए जाए।

7. पूंजी पर्याप्तता, परिसंपत्तियों का वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदण्ड

आंध्र प्रदेश में एमएफआई के समक्ष समस्याओं के आलोक में, जिसमे से कईयों को राज्य में काफी बडी राशि का अनर्जक परिसंपत्तियों के लिए प्रावधान करना पडा था। एनबीएफसी-एमएफआई के तुलन-पत्र में सत्य और उचित वित्तीय छवि प्रदर्शित करने के लिए वर्तमान प्रावधानीकरण नियम के अनुसार आन्ध्र प्रदेश(एपी) पोर्टफोलियों की तरह प्रावधानीकरण करना चाहिए। तथापि, सीआरएआर की गणना के लिए, आन्ध्र प्रदेश(एपी) पोर्टफोलियों हेतु की गई अनुमानित प्रावधानीकरण को निवल स्वाधिकृत निधियां (एनओएफ) के रूप में गणना किया जाए तथा आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों के लिए ऐसी प्रावधानीकरण की गणना 5 वर्षों के लिए बराबर घटते क्रम में किया जाए। तदनुसार आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों के लिए 31 मार्च 2013 तक की गई 100 प्रतिशत प्रावधानीकरण को सीआरएआर के लिए निवल स्वाधिकृत निधियां (एनओएफ) के आंकडों हेतु अनुमानित जोडा जा सकता है। यह एड बैक प्रत्येक वर्ष 20 प्रतिशत के घटते क्रम में होगा यथा मार्च 2012 तक। इसका उदाहरण इसके अनुबंध 3 में दिया गया है। प्रतिलेखन या चरणबद्ध प्रावधानीकरण की अनुमति नहीं है। गैर आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों के लिए प्रावधानीकरण 2 दिसम्बर 2011 के परिपत्र के अनुसार 1 अप्रैल 2013 से लागू होगा। गैर आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों पर पूंजी पर्याप्ता तथा अनुमानित आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों (तुलन पत्र की तारीख को अतिदेय शेष से पोर्टफोलियों के लिए किया गया प्रावधानीकरण को घटाकर जो काल्पनिक रूप से पुन: जोडा नहीं गया हो ) को जोखिम भारित परिसंपत्तियों का 15 प्रतिशत रखना होगा।

8. भौगोलिक विविधता

विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में किसी अवांछित संकेन्द्रण से बचने हेतु आंतरिक एक्सपोजर सीमा तय करने के लिए एनबीएफसी –एमएफआई अपने बोर्ड से संपर्क करें।

9. ग्राहक संरक्षण की पहल

उचित व्यवहार संहिता के सभी घटकों पर बैंक द्वारा जारी 02 जुलाई 2012 के गैबैंपवि.नीप्र.केका.सं.286/03.10.042/ 2012-13 का अनुपालन एमएफआई द्वारा किया जाना आवश्यक हैं। एनबीएफसी-एमएफआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिकतर संसाधन एसएचजी/जेएलजी के प्रवर्तन में व्यावसायिक निविष्टियों और समूहों के निर्माण के बाद क्षमता निर्माण और सशक्तिकरण हेतु उचित प्रशिक्षण और कौशल विकास की गतिविधियों के लिए समर्पित है।

10. एसआरओ बनाना

मालेगाम समिति द्वारा उद्योग संस्थाओं के लिए विनियामक अनुपालन की निगरानी पर और अधिक जिम्मेदारी की सिफारिशें प्रस्तुत की गई है। सभी एनबीएफसी-एमएफआई को कम से कम एक स्वविनियामक संगठन (एसआरओ) का सदस्य बनना होगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मान्यता प्राप्त हो और जो एसआरओ द्वारा निर्धारित आचार संहिता का अनुपालन करता हो। एसआरओ की संरचना पर दिशानिदेश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

11. अनुपालन की निगरानी

एमएफआई हेतु निर्धारित सभी विनियमों का अनुपालन की जिम्मेदारी मुख्यत: एनबीएफसी-एमएफआई के स्वयं की हैं। उद्योग संस्थाए/एसआरओ भी विनियामक संरचना के अनुपालन में प्रमुख भूमिका निभाना सुनिश्चित करेंगे। इसके अतिरिक्त, एनबीएफसी-एमएफआई को ऋण देने वाले बैंकों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि एनबीएससी-एमएफआई में ऋण नीति और प्रणालीगत व्यवस्था विनियामक संरचना के एक समान है।

12. एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन

सभी मौजूदा एनबीएफसी जो एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण कराना चाहती है उन्हें (अनुबंध -1) संलग्न फार्मेट के पैरा 2(i) (ए) में विनिर्दिष्ट अनुसार तत्काल प्रभाव से पंजीकरण के लिए, बैंक द्वारा जारी मूल पंजीकरण प्रमाणपत्र(सीओआर) के साथ उस क्षेत्रीय कार्यालय को एनबीएफसी-एमएफआई की श्रेणी में परिवर्तन के लिए प्रार्थना करना होगा जिसके क्षेत्राधिकार में उसका पंजीकृत कार्यालय स्थित है। एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में श्रेणी परिवर्तन को पंजीकरण प्रमाण पत्र में दर्ज किया जाएगा। एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण के लिए नई कंपनियों को ऑन-लाईन आवेदन करते समय, अनुबंध -2 में दिए विनिर्दिष्ट अनुसार अतिरिक्त जानकारी कागज़ाती रूप में प्रस्तुत करनी होगी।

13. इस संबंध में मौजूदा अधिसूचना यथा 2 दिसम्बर 2011 का गैबैंपवि. नीप्र.सं: 234/ सीजीएम(यूएस)2011 शीर्षक “ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी-माइक्रो फाइनेंस संस्थाएं(रिज़र्व बैंक) निदेश, 2011 तथा 18 सितंबर 2008 का गैबैंपवि.201/डीजी (वीएल)-2008 शीर्षक “गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का लेखापरीक्षक का रिपोर्ट(रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश 2008” संशोधित किया जाता है।

भवदीया,

(उमा सुब्रमनियम)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक : यथोपरि।


अनुबंध 1

एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पुन:वर्गीकरण के लिए आवेदन की तारीख ---- को मौजूदा एनबीएफसी द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला विवरण

ए. अभ्यावेदन की तारीख को निवल स्वाधिकृत निधि:

बी. 31 मार्च 2012 को बनाए रखी पूंजी पर्याप्तता(सीआरएआर):

सी. अभ्यावेदन की तारीख को ऋण परिसंपत्तियों की रूपरेखा:

श्रेणी

खातों की संख्या

बकाया राशि

(1). अभ्यावेदन की तारीख को कुल बकाया ऋण

 

 

i. उक्त मद (1) का, 01 जनवरी 2012 को या उसके बाद रूपये15000/- और उससे कम राशि के मंजूर ऋण

 

 

i.i. उक्त मद (1) का, 1 वर्ष की अवधि से अधिक अवधि के ऋण:

 

 

ii. उक्त मद (1) का, 01 जनवरी 2012 को या उसके बाद रूपये15000/- और उससे अधिक राशि के मंजूर ऋण

 

 

ii.i. उक्त मद (ii) के ऋण के लिए, 24 माह से कम अवधि के ऋण

 

 

iii. आय उत्पन्न करने के लिए दिए गए ऋण

 

 

iv. ऋण , जहाँ घरेलू वार्षिक आय
iv.i. रूपये 60,000/- से अधिक है (ग्रामीण क्षेत्र में),
iv.ii.रूपये 1,20,000/- से अधिक हैं(शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्र में)

 

 

v. जहाँ उधारकर्ता द्वारा दो से अधिक एमएफआई से ऋण लिया गया हो

 

 

vi. जहाँ उधारकर्ता 1 से अधिक एसएचजी/जेएलजी का सदस्य हैं।

 

 

vii. जहाँ उधारकर्ता द्वारा व्यक्तिगत और एसएचजी/जेएलजी के सदस्य के रूप में ऋण लिया गया हो।

 

 

डी. मूल्य निर्धारण:

ए. एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा 31 मार्च 2011 और 2012 को ली गई ऋण राशि पर औसत ब्याज की लागत

बी. एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा 31 मार्च 2011 और 2012 को दिए गए उधार पर औसतन लगाया गया ब्याज।

ई. उक्त मद सी (1) की, 31 मार्च 2012 तारीख को आंध्र प्रदेश राज्य में बकाया ऋण राशि और संख्या:

एफ. प्रावधानीकरण की राशि, यदि कोई हो तो, 31 मार्च 2012 को आंध्र प्रदेश राज्य में बकाया ऋण के लिए की गई हो:

जी. क्रेडिट इंफारमेशन ब्यूरो /कंपनी का नाम जिसके द्वारा आवेदक कंपनी को आधिकारिक मान्यता हो:

नाम:
हस्ताक्षर:
तारीख:


अनुबंध-2

एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन करने वाली नई कंपनी द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला विवरण

ए. अभ्यावेदन की तारीख को निवल स्वाधिकृत निधि :

बी. तीन वर्षों के लिए व्यवसाय की प्रस्तावित व्यावसायिक योजना निम्न का उल्लेख करते हुए (वर्ष वार):

  1. प्रारंभिक ऋण परिसंपत्तियों की राशि

  2. आय उत्पादन के लिए उपलब्ध की जाने वाली ऋण परिसंपत्तियों की राशि

  3. शहरी और अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारंभ की जाने वाली परिसंपत्तियों की राशि के आंकडें

  4. जिन गतिविधियों को कंपनी शहरी और अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सहायता देना चाहती हैं

  5. पूर्वानुमानित लाभ

  6. उधार की औसतन लागत

  7. परिसंपत्तियों पर औसत प्रतिलाभ (आरओए)

  8. अपेक्षित पूंजी व्यय

    ए) भूमी और इमारत और
    बी) आईटी संसाधन
  1. वह स्थान जहां कंपनी कारोबार करना चाहती है

  2. एसएचजी/जेएलजी के प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए संसाधनों का विनियोजन

नाम:
हस्ताक्षर:
दिनांक:

अनुबंध - 3

आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों पर प्रावधान करने के पश्चात सीआरएआर की गणना

किया गया प्रावधानीकरण तथा आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों एड बैक तथा क्रमश: घटना

वर्ष

प्रावधान करने के कारण हुई हानी

पूंजी

पुन: जोडे गए प्रावधान

निवल पूंजी (3+4)

पूंजी की आवश्यकता (@15%)

डाली जाने वाली पूंजी की आवश्कता

गैर-एपी

एपी

1

2

3

4

5

6

7

8

9

प्राथमिक स्थिति

0

 

 

 

30

 

100

100

2012-13

-100

-70

100

30

30

0

100

100

2013-14

 

-70

80

10

27

17

100

80

2014-15

 

-53

60

7

24

17

100

60

2015-16

 

-36

40

4

21

17

100

40

2016-17

 

-19

20

1

18

17

100

20

2017-18

 

-2

0

-2

15

17

100

0

2018-19

 

15

0

15

15

0

100

0

 

 

 

 

 

Total

85

 

 

सरलता के लिए, उक्त उदाहरण कुछ धारणाओं पर आधारित है जो निम्नानुसर हैं:

ए) एनबीएफसी-एमएफआई निवेश खाते के कुल के 50% का एपी पोर्टफोलियो में समावेश होगा।
बी) पूरा एपी पोर्टफोलियो हानी परिसंपत्ति के रूप में लिया गया हो
सी) अगले पांच वर्षों के लिए पोर्टफोलियो गतिहीन बना हो

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