आरबीआई/2014-15/362 बैंविवि.सीआईडी.बीसी.सं.54/20.16.064/2014-15 22 दिसंबर 2014 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) अखिल भारतीय मीयादी ऋणदात्री तथा पुनर्वित्त संस्थाएं (एक्ज़िम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी तथा सिडबी) महोदय/महोदया असहयोगी उधारकर्ता कृपया 'अर्थव्यवस्था में दबावग्रस्त आस्तियों को सशक्त करने के लिए ढांचा – संयुक्त ऋणदाता फोरम (जेएलएफ) तथा सुधारात्मक कार्रवाई योजना (सीएपी) के संबंध में दिशानिर्देश' विषय पर 26 फरवरी 2014 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.97/21.04.132/2013-14 देखें, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ असहयोगी उधारकर्ताओं के संबंध में विशिष्ट विवेकपूर्ण उपाय तथा रिपोर्टिंग अपेक्षाएं दी गई हैं। उसमें दी गई असहयोगी उधारकर्ता की परिभाषा को एतद् द्वारा संशोधित किया गया है तथा उसे निम्नानुसार पढ़ा जाए: असहयोगी उधारकर्ता वह उधारकर्ता है जो भुगतान करने की क्षमता होने के बावजूद देयताओं की समय पर चुकौती करने में चूक करके रचनात्मक रूप से स्वयं को अपने ऋणदाता के साथ बांधता नहीं है, मांगी गई आवश्यक सूचना प्रस्तुत नहीं करके ऋणदाता द्वारा अपनी देयताओं की वसूली के प्रयासों को विफल कर देता है, वित्तीयन की गई आस्तियों/ संपार्श्विक प्रतिभूतियों तक पहुँचने नहीं देता है, प्रतिभूतियों आदि की बिक्री में बाधा डालता है आदि। वस्तुत: असहयोगी उधारकर्ता एक चूककर्ता है, जो जान-बूझ कर ऋणदाताओं द्वारा अपनी देयताओं की वसूली के लिए किए गए न्यायसंगत प्रयासों में अड़चनें खड़ी करता है। 2. इस संबंध में हम सूचित करते हैं कि बैंक किसी उधारकर्ता को असहयोगी उधारकर्ता के रूप में वर्गीकृत/अवर्गीकृत करते समय, तथा ऐसे उधारकर्ता के संबंध में बड़े ऋणों से संबंधित सूचना का केंद्रीय निधान (सीआरआईएलसी) को सूचना की रिपोर्टिंग करते समय निम्नलिखित उपाय करें: क) उधारकर्ताओं को असहयोगी के रूप में वर्गीकृत करने की विनिर्दिष्ट (cut off) सीमा ऐसे उधारकर्ता होंगे, जिनकी संबंधित बैंक/ वित्तीय संस्था से निधि आधारित और गैर निधि आधारित समग्र ऋण सुविधाएं 50 मिलियन रूपये होंगी। कंपनी के मामले में, एक असहयोगी उधारकर्ता में कंपनी के अलावा उसके प्रवर्तक और निदेशक (स्वतंत्र निदेशकों तथा सरकार और उधारदाता संस्थाओं द्वारा मनोनीत निदेशकों को छोड़ कर) शामिल होंगे। व्यावसायिक उद्यमों (कंपनियों से इतर) के मामले में, असहयोगी उधारकर्ताओं में ऐसे व्यक्ति शामिल होंगे, जो व्यावसायिक उद्यम के कामकाज के प्रबंधन के प्रभारी और उसके लिए उत्तरदायी हैं। ख) बैंको के लिए यह अनिवार्य होगा कि किसी उधारकर्ता को असहयोगी के रूप में वर्गीकृत करने के लिए एक पारदर्शी प्रणाली बनाएं। कोई अकेला या छिट-पुट उदाहरण ऐसे वर्गीकरण का आधार नहीं होना चाहिए। किसी उधारकर्ता को असहयोगी उधारकर्ता के रूप में वर्गीकृत करने का निर्णय संबंधित बैंक/ वित्तीय संस्था के बोर्ड द्वारा निर्धारित उच्च पदाधिकारियों की एक समिति को सौंपा जाना चाहिए, जिसमें कार्यकारी निदेशक प्रमुख हो और महाप्रबंधक/उप महाप्रबंधक स्तर के दो अन्य वरिष्ठ अधिकारी हों। ग) यदि समिति इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि उधारकर्ता असहयोगी है, तो वह संबंधित उधारकर्ता (और कंपनियों के मामले में प्रवर्तकों / पूर्णकालिक निदेशकों) को कारण बताओ नोटिस जारी करके उसका जवाब मांगेगी, और उसके निवेदन पर विचार करने के बाद एक आदेश जारी करेगी, जिसमें उधारकर्ता को असहयोगी करार देते हुए उसके कारण भी रिकॉर्ड किए जाएंगे। उधारकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए, यदि समिति ऐसा अवसर देना आवश्यक समझे। घ) समिति के आदेश की समीक्षा एक अन्य समिति के द्वारा की जानी चाहिए, जिसमें चेयरमैन/मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक प्रमुख हो, और उसके अतिरिक्त इसमें बैंक /वित्तीय संस्था के दो स्वतंत्र निदेशक शामिल हों। उक्त समीक्षा समिति द्वारा पुष्टि किए जाने के बाद ही आदेश को अंतिम माना जाएगा। ड़) "बड़े ऋणों से संबंधित सूचना का केंद्रीय निधान (सीआरआईएलसी) को रिपोर्टिंग" विषय पर 22 मई 2014 का परिपत्र डीबीएस.औसमौस.सं.14703/33.01.001/2013-14 द्वारा सूचित किए गए अनुसार बैंकों/ वित्तीय संस्थाओं से अपेक्षित है कि वे सीआरआईएलसी- मेन (तिमाही प्रस्तुति) के अंतर्गत अपने असहयोगी उधारकर्ताओं संबंधी सूचना सीआरआईएलसी को रिपोर्ट करें। जैसाकि इस परिपत्र में बताया गया है, तिमाही सीआरआईएलसी मेन रिपोर्ट संबंधित तिमाही की समाप्ति से 21 दिन के भीतर प्रस्तुत की जानी चाहिए। च) बैंकों/ वित्तीय संस्थाओं को अर्धवार्षिक आधार पर असहयोगी उधारकर्ताओं की स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि यह निर्णय लिया जा सके कि क्या उनके नामों को अवर्गीकृत किया जा सकता है, जैसाकि ऋण अनुशासन और सहयोगी रवैये से प्रकट होता है। असहयोगी उधारकर्ताओं की सूची से नाम हटाए जाने की रिपोर्ट सीआरआईएलसी को अलग से की जानी चाहिए, और इसमें इसप्रकार नाम हटाने के लिए समुचित कारण / औचित्य भी दिया जाना चाहिए। छ) यदि किसी विशिष्ट संस्था को ऊपर (क) में उल्लिखित किए अनुसार असहयोगी के रूप में रिपोर्ट किया गया है, तो ऐसे उधारकर्ता को किसी भी नए एक्सपोजर का अर्थ अपरिहार्य रूप से ज्यादा बड़ा जोखिम उठाना होगा, जिसके लिए उच्चतर प्रावधानीकरण आवश्यक होगा। अतएव, बैंको/वित्तीय संस्थाओं से अपेक्षित होगा कि ऐसे उधारकर्ताओं को मंजूर किए गए नए ऋणों के संबंध में, तथा ऐसी अन्य कंपनी, जिसके निदेशक मंडल में किसी असहयोगी उधारकर्ता कंपनी के पूर्णकालिक निदेशक /प्रवर्तक में से कोई हो, या ऐसी कोई फर्म, जिसमें ऐसा कोई असहयोगी उधारकर्ता कामकाज के प्रबंधन का प्रभारी हो, को मंजूर किए गए नए ऋणों के संबंध में उच्चतर प्रावधानीकरण करें, जैसाकि अवमानक आस्तियों के लिए लागू है। तथापि, आस्ति वर्गीकरण और आय निर्धारण के प्रयोजन से नए ऋणों को मानक आस्तियाँ माना जाएगा। यह 26 फरवरी 2014 के ऊपर उल्लिखित परिपत्र के पैरा 8.1 (ख) में निहित अनुदेशों का अधिक्रमण करता है। ज) यह दोहराया जाता है कि चूंकि सीआरआईएलसी डेटा भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के उपबंधों के अंतर्गत एकत्रित किया जाता है, इसलिए रिपोर्टिंग अनुदेशों का पालन न करना अधिनियम के प्रावधानों के अधीन दंडनीय होगा। भवदीय, (ए.के.पाण्डेय) मुख्य महाप्रबंधक |