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30 जून 2011 तक संशोधित अधिसूचना -बंधक गारंटी कंपनी (मार्गेजगारंटी कंपनी) विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008

भारिबैं/2011-12/33
गैबैंपवि(नीतिप्रभा.एमजीसी)कंपरि.सं.9/23.11.01/2011-12

1 जुलाई 2011

अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभीबंधकगारंटीकंपनियाँ

महोदय,

30 जून 2011 तक संशोधित अधिसूचना -बंधक गारंटी कंपनी
(मार्गेजगारंटी कंपनी) विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008

जैसा कि आप विदित  है कि  उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है। 15 फरवरी 2008 की अधिसूचना सं.गैबैंपवि.(एमजीसी).4/मुमप्र(पीके)-2008 में अंतर्विष्ट अनुदेश, जो 30 जून 2011 तक अद्यतन हैं, पुन: नीचे दिए जा रहे हैं। अद्यतन की गई अधिसूचना बैंक की वेब साइट (http://www. rbi. org.in). पर भी उपलब्ध है।

भवदीया,

(उमा सुब्रमणियम)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर-1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400 005

अधिसूचना गैबैंपवि.(नीति प्रभा.)एमजीसी/ 4 /मुमप्र(पीके)-2008,

15 फरवरी 2008

भारतीय रिज़र्व बैंक , इस बात से संतुष्ट होने पर कि जनता के हित में और वित्तीय प्रणाली को देश के हित में विनियमित करने हेतु बैंक को समर्थ बनाने के लिए निम्नलिखित विवेकपूर्ण मानदण्डों से संबंधित निदेश जारी करना समीचीन है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-ञक द्वारा प्रदत्त शक्तियों  और इस संबंध में उसे सक्षम बनाने वाली समस्त शक्तियों  का प्रयोग करते हुए प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को निम्नलिखित विनिर्दिष्ट निदेश देता है।

1. निदेशों का संक्षिप्त शीर्षक,  प्रारंभ और प्रयोज्यता

(1) (i) इन निदेशों को "बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008" के रूप में जाना जाएगा।

(ii) ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों को पंजीकरण प्रदान करने की योजना के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी पर प्रयोज्य/लागू होंगे।

परिभाषा

2. (I) इन निदेशों के प्रयोजन के लिए, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न होः

  1. "संदिग्ध परिसंपत्तियों" का अर्थ है ऐसी परिसंपत्ति से जो 12 माह से अधिक अवधि तक अवमानक परिसंपत्ति बनी रहे;

  2. "संमिश्र ऋण पूंजीगत लिखत" का अर्थ है ऐसा पूंजीगत लिखत जिसमें ईक्विटी तथा ऋण की कतिपय विशेषताएं हों;

  3. "हानि वाली परिसंपत्ति" का अर्थ हैः

(क) ऐसी परिसंपत्ति जिसे बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा अथवा उसके आंतरिक या बाह्य लेखा-परीक्षकों द्वारा अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा हानि वाली परिसंपत्ति के रूप में उस सीमा तक पहचाना गया है जिस सीमा तक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा बट्टे खाते नहीं डाला गया है; और

(ख) ऐसी परिसंपत्ति जो प्रतिभूति मूल्य में या तो क्षरण के कारण अथवा प्रतिभूति की अनुपलब्धता अथवा उधारकर्ता के धोखाधड़ीपूर्ण कृत्य या चूक के कारण वसूल न हो पाने के संभावित खतरे से (विपरीत रूप से) प्रभावित हो;

(iv) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी का अर्थ बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (रिज़र्व बैंक) मार्गदर्शी सिद्धांत, 2008 के पैरा 2(1)(ठ) में यथा परिभाषित कंपनी से है;

(v) (1) इस निदेशों के प्रयोजन से "निवल स्वाधिकृत निधियों" का अर्थ है:

(क) चुकता ईक्विटी पूंजी और मुक्त आरक्षित निधियें का योग जिन्हें कंपनी के अद्यतन तुलनपत्र में प्रकट किया गया हो और जिसमें से निम्नलिखित को घटाया गया हो-

  1. संचित हानि- राशि(बैलेंस)

  2. आस्थगित राजस्व व्यय

  3. अन्य अमूर्त परिसंपत्तियां और

(ख) उसमें से निम्नलिखित का प्रतिनिधित्व करने वाली राशि को और घटाया जाए-

(1) ऐसी कंपनी के निम्नलिखित के शेयरों में किए गए निवेश-

  1. अपनी सहायक कंपनियों में;

  2. उसी समूह की कंपनियों में;

  3. सभी अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में; और

(2) डिबेंचरों, बांडों, निम्नलिखित को दिए गए बकाया ऋण तथा अग्रिमों (किराया खरीद तथा पट्टादायी वित्त सहित) एवं जमाराशियों का बही मूल्य-

  1. ऐसी कंपनी की सहायक कंपनी/यों

  2. उसी समूह की कंपनियों,

उस सीमा तक जहाँ तक ऐसी राशि उल्लिखित (क) के 10 प्रतिशत से अधिक हो।

(II) "सहायक कंपनियों" एवं "उसी समूह की कंपनियों" के अर्थ वही होंगे जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) में अभिप्रेत हैं।

vi . बंधक (मार्गेज) गारंटी परिसंपत्ति के संबंध में "अनर्जक परिसंपत्ति"  का अर्थ है, ऋणदाता कंपनी से अर्जित वह परिसंपत्ति, जो ट्रिगर घटना होने पर सीधे अनर्जक परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत हो जाती है और उसके बाद अनर्जक परिसंपत्ति की अवधि के अनुसार जो वर्गीकृत होती रहती है;

vii. "स्वाधिकृत निधि" का अर्थ है चुकता ईक्विटी पूंजी, मुक्त आरक्षित निधियाँ जिसमें शामिल हैं आकस्मिकता आरक्षित निधियाँ जो बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी के पंजीकरण तथा परिचालन संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांतों के पैरा 18 के अनुसार रखी गयी हों, शेयर प्रीमियम खाते में शेष और पूंजीगत आरक्षित निधि जो परिसंपत्ति के बिक्री आगमों से होने वाले  अधिशेष को दर्शाती है, परिसंपत्ति के पुनर्मूल्यांकन से सृजित आरक्षित निधियों को छोड़कर, संचित हानि राशि, अमूर्त परिसंपत्तियों का बही मूल्य और आस्थगित राजस्व व्यय को यथा घटाकर, यदि कोई हो;

viii. "मानक परिसंपत्ति" का अर्थ ऐसी परिसंपत्ति से है जिसकी मूल रकम या ब्याज के भुगतान में कोई चूक न हुई हो और जिसमें किसी प्रकार की समस्या न हो और न ही उस कारोबार के सामान्य जोखिम से अधिक जोखिम हो;

ix. बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी के संबंध में "अवमानक परिसंपत्ति" का अर्थ उस परिसंपत्ति से है जिसे अनर्जक परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत किए 12 माह से अधिक हुआ हो;

x. "गौण ऋण"  का अर्थ है पूर्णतः चुकता लिखत, जो गैर-जमानती होता है और अन्य ऋणदाताओं के दावों के अधीन होता है और प्रतिबंधित खण्डों से मुक्त होता है और धारक के अनुरोध पर अथवा बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के पर्यवेक्षी प्राधिकारी की सहमति के बिना विमोच्य नहीं होता है। ऐसे लिखत का बही मूल्य निम्नानुसार भुनाई/बट्टा के अधीन होगाः

लिखतों की शेष परिपक्वता अवधि

बट्टा दर

(क) एक वर्ष तक

100%

(ख) एक वर्ष से अधिक किंतु दो वर्ष तक

80%

(ग) दो वर्ष से अधिक किंतु तीन वर्ष तक

60%

(घ) तीन वर्ष से अधिक किंतु चार वर्ष तक

40%

(ङ) चार वर्ष से अधिक किंतु पांच वर्ष तक

20%

ऐसी भुनाई का मूल्य टियर-I पूंजी के पचास प्रतिशत से अधिक न हो;

xi. "पर्याप्त हित" का अर्थ है किसी व्यक्ति अथवा उसके पति-पत्नी अथवा अवयस्क बच्चे द्वारा एकल या सामूहिक रूप से किसी कंपनी के शेयरों में लाभ भोगी हित धारिता, जिस पर अदा की गई रकम कंपनी की चुकता पूंजी अथवा भागीदारी फर्म के सभी भागीदारों द्वारा अभिदत्त पूंजी के दस प्रतिशत से अधिक है;

xii. "टियर-I पूंजी" का अर्थ ऐसी स्वाधिकृत निधि से है जिसमें से अन्य एनबीएफसी के शेयरों और शेयरों, डिबेंचरों, बाण्डों, बकाया ऋणों और अग्रिमों में, जिनमें किराया खरीद तथा किए गए पट्टा वित्तपोषण एवं सहायक कंपनियों तथा उसी समूह की कंपनियों में रखी जमा राशियां शामिल हैं, स्वाधिकृत निधि के दस प्रतिशत से अधिक निवेश, सकल रूप में, घटाया गया हैः

नोट:- सहायक कंपनियों, उसी समूह की कंपनियों तथा अन्य एनबीएफसी के शेयरों में किए गए निवेश का तात्पर्य उस निवेश से है जो बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी ने अपने ऋणों की पूर्ति के लिए अर्ह किया है;

xiii. "टियर -II पूंजी" में निम्नलिखित शामिल हैः

(क) अधिमानी शेयर ;

(ख) 55 प्रतिशत की भुनाई /घटी दर पर पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि;

(ग) सामान्य प्रावधान एवं उस सीमा तक हानि आरक्षित निधि जो किसी विशिष्ट परिसंपत्ति के मूल्य में वास्तविक कमी अथवा उसमें ज्ञातव्य संभावित हानि के कारण नहीं है और ये अप्रत्याशित हानि तथा मानक परिसंपत्तियों के प्रावधानों की पूर्ति के लिए जोखिम भारित परिसंपत्तियों के एक और एक चौथाई प्रतिशत की सीमा तक उपलब्ध रहती हैं;

(घ) संमिश्र (हाइब्रिड) ऋण पूंजी लिखत; और

(ङ) गौण ऋण

उस सीमा तक जहाँ तक सकल राशि, टियर-I पूंजी से अधिक न हो।

xiv. "पण्यावर्त या व्यवसायगत पण्यावर्त" का अर्थ है एक वर्ष में की गई कुल बंधक(मार्गेज) गारंटी संविदाओं के साथ-साथ उस वर्ष में अन्य कार्यों/गतिविधिया से व्युत्पन्न कारोबार का योग;

(2) इसमें प्रयुक्त अन्य शब्द अथवा अभिव्यक्तियों, जो यहां परिभाषित नहीं हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) अथवा बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (रिज़र्व बैंक) मार्गदर्शी सिद्धांत, 2008 जो 15 फरवरी 2008 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) एमजीसी सं. 3 /मुमप्र (पीके) /2008 में अंतर्विष्ट हैं, में परिभाषित की गई है, का अर्थ वही होगा जो उक्त अधिनियम अथवा उक्त निदेशों में है।  कोई अन्य शब्द अथवा अभिव्यक्ति, जो उक्त अधिनियम या उक्त निदेशों में परिभाषित नहीं है, का वही अर्थ होगा जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) में उनसे अभिप्रेत है।

आय निर्धारण

3. (i) ब्याज/बट्टा सहित आय अथवा अनर्जक परिसंपत्ति अथवा ऐसी कोई परिसंपत्ति जो अनर्जक परिसंपत्ति है और ऋणदाता संस्था से ट्रिगर घटना होने पर ली गई है पर किसी अन्य प्रभार को नकदी के आधार पर आय में शामिल किया जाएगा।

(ii) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी बंधक संविदाओं पर प्राप्त प्रीमियम या फीस को अपने लाभ-हानि खाते में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के लेखा मानकों के अनुसार आय के रूप लेंगी। अर्जित प्रीमियम की राशि तुलन पत्र के देयता खंड में अलग पंक्ति में दर्शाई जाएगी।

(iii) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झ (ग) में यथोल्लिखित अनुमत सीमा में किए गए किसी अन्य कारोबार से हुई आय की गणना, ऐसी परिसंपत्तियों के संबंध में "गैर-बैकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकार या धारण न करनेवाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 में अंतर्विष्ट मानदण्डों के अनुसार की जाएगी।

लेखांकनमानक

4. भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (इन निदेशों में "आइसीएआइ" नाम से उल्लिखित) द्वारा जारी लेखांकन मानक और मार्गदर्शी नोट का पालन उस सीमा तक किया जाएगा जहां तक वे इन निदेशों से बेमेल न हों।

परिसंपत्तिवर्गीकरण

5. (1) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी, स्पष्ट रूप से परिभाषित ऋण कमज़ोरियों (वेल डिफाइन्ड क्रेडिट वीकनेस) की डिग्री एवं वसूली हेतु संपार्श्विक जमानत पर निर्भरता की सीमा को ध्यान में रखते हुए अपनी परिसंपत्तियों, ऋण और अग्रिमों तथा किसी अन्य प्रकार के ऋण (क्रेडिट) को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत करेगी, अर्थात्

  1. मानक परिसंपत्तियां *,

  2. अवमानक परिसंपत्तियाँ,

  3. संदिग्ध परिसंपत्तियाँ, और

  4. हानि वाली  परिसंपत्तियाँ ।

* गारंटी दायित्वों के अंतर्गत अधिग्रहीत परिसंपत्तियों को मानक परिसंपत्तियों में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा।

(2) उपर्युक्त परिसंपत्तियों की श्रेणी, मात्र पुनर्निर्धारण किए जाने के कारण पदोन्नत नहीं की जाएंगी, बल्कि  रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में, समय-समय पर, विनिर्दिष्ट शर्तों को पूरा करने पर उनकी पदोन्नति होगी।

प्रावधानीकरण अपेक्षा

6. (1) आहूतगारंटियोंकेलिएप्रावधान:जब बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा दी गई गारंटी आहूत की जाती है ते उसे संभावित हानि का जोखिम होता है। बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी को इस प्रकार आहूत की गई गारंटियों से होने वाली हानि के मद्देनज़र, परिसंपत्तियों की वसूली होने तक, प्रावधान रखना चाहिए। इस प्रकार रखे जाने वाले प्रावधान की राशि प्रत्येक आवास ऋण के संबंध में सकल गारंटी संविदावार राशि, जिसके संबंध में गारंटी आहूत हुई हो, के बाबत कंपनी के अधिकार में आयी परिसंपत्तियों से वसूलनीय मूल्य को समायोजित करके शेष रही राशि के बराबर होनी चाहिए।  यदि किसी आहूत गारंटी के संबंध में रखी परिसंपत्ति से वसूलनीय राशि आहूत राशि से ज्यादा होती है तो तो उसे किसी अन्य आहूत गारंटी के मामले में घटने वाली /कम होने वाली राशि के प्रति समायोजित नहीं किया जा सकेगा। यदि पहले से किया गया प्रावधान उल्लेखानुसार गणना किये जाने पर अधिक होता है तो बढ़ी हुई राशि के प्रावधान को उलटा(रिवर्स) नहीं किया जा सकेगा। प्रत्येक वर्ष किए गए प्रावधान की राशि को लाभ-हानि खाते में अलग पंक्ति में दर्शाया जाएगा।  आहूत गारंटियों के संबंध में भुगतान/निपटान से हुई हानि के लिए किए गए प्रावधान की राशि तुलनपत्र के देयता वाले भाग में अलग पंक्ति में दर्शायी जाएगी।

(2) "हानिजोहुईकिन्तुरिपोर्टनहींकीगईकेलिएप्रावधान(IBNR): बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा गारंटीकृत आवास ऋण के संबंध में की गई चूक से गारंटीदाता कंपनी को संभावित जोखिम हो सकता है। आवास ऋण संबंधी चूक के ऐसे मामले, जिनमें ट्रिगर घटना/इवेंट होनी है या गारंटी आहूत नहीं हुई है के बाबत बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा प्रावधान किया जाएगा। वह संभावित हानि जो गारंटी कंपनी को हो सकती है को "हानि जो हुई किन्तु रिपोर्ट नहीं की गई" कहा गया है।  किए जाने वाले अपेक्षित प्रावधान की राशि बीमांकिक आधार पर निकाली जाएगी जो "हुई किन्तु रिपोर्ट न की गई हानि" की आवृत्ति/बारंबारता तथा हानि के असर/की कठोरता के अनुमान पर आधारित होगी। इन्हें ऐतिहासिक(historic) आंकड़ों, प्रवृत्तियों, आर्थिक कारकें एवं भुगतान किए / निपटाए गए दावों, भुगतान किए/निपटाए गए दावों के लिए किए गए प्रावधानों, जोखिम सांख्यिकी से संबंधित अन्य सांख्यिकीय आंकड़ों आदि के आधार पर आकलित किया जाएगा। यदि पहले से किया गया प्रावधान उल्लेखानुसार गणना किये जाने पर अधिक होता है तो बढ़ी हुई राशि के प्रावधान को उलटा(रिवर्स) नहीं किया जा सकेगा। प्रत्येक वर्ष किए गए प्रावधान को लाभ-हानि खाते में अलग पंक्ति में दर्शाया जाएगा।  "हुई किन्तु रिपोर्ट न की गई हानि" के लिए किए गए प्रावधान की राशि तुलनपत्र के देयता वाले भाग में अलग पंक्ति में दर्शायी जाएगी।

(3) उल्लिखित प्ररिप्रेक्ष्य में प्रत्येक बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी, किसी खाते के अनर्जक होते जाने, उसके अनर्जक हो जाने के बीच लगने वाले समय, जमानत राशि की वसूली तथा उस समय में प्रभारित जमानती राशि के मूल्य में हुए क्षरण को ध्यान में रखकर प्रत्येक श्रेणी/वर्ग के लिए निम्नानुसार प्रावधान करेंगी

(4) बंधक(मार्गेज)गारंटीपरिसंपत्तियाँ

बंधक(मार्गेज) गारंटी परिसंपत्तियों के संबंध में निम्नानुसार प्रावधान किया जाएगाः

(i)  हानिवाली परिसंपत्तियां

समस्त परिसंपत्ति बट्टे खाते डाली जाएगी।यदि किसी कारणवश परिसंपत्तियों को बहियों में बने रहने दिया जाता है तो बकाया के लिए 100% प्रावधान किया जाए;

(ii)  संदिग्ध परिसंपत्तियां

(क)  अग्रिम के उस भाग के लिए 100 प्रतिशत प्रावधान किया जाएगा जो उस जमानत के वसूलीयोग्य मूल्य से पूरा नहीं होता है जिसका बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी के पास वैध आश्रय है।  वसूली योग्य मूल्य का आकलन वास्तविक आधार पर  किया जाना है;

 

(ख)  जमानती अंश के संबंध में, परिसंपत्ति के संदिग्ध बने रहने की अवधि को देखते हुए जमानती अंश के 20% से 100% तक के लिए निम्नलिखित आधार पर प्रावधान किया जाएगाः

जिसअवधितकपरिसंपत्ति को संदिग्ध श्रेणी में माना गया

प्रावधान का प्रतिशत

एक वर्ष तक

20

एक से तीन वर्ष तक

30

तीन वर्ष से अधिक

100

 (iii)  अवमानक परिसंपत्तियां कुल बकाया के 10% का सामान्य प्रावधान किया जाएगा।
मानकपरिसंपत्तियोंकेलिए  
मानक परिसंपत्ति

बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ मानक परिसंपत्तियों के संबंध में सामान्यत: निम्नवत प्रावधान करेंगी;

(क) 20 लाख रुपए से ऊपर के आवासीय गृह ऋणों पर गारंटी कवर के मामले में 1% (की दर से);

(ख) सभी अन्य गारंटी कवर के मामले में 0.40% (की दर से)

नोट:-

(1) मानक परिसंपत्तियों के संबंध में किए गए प्रावधान निवल अनर्जक परिसंपत्तियों को आकलित करने के लिए हिसाब में नहीं लिए जाएंगे।

(2) मानक परिसंपत्तियों के लिए किए गए प्रावधान सकल अग्रिमों से नहीं घटाए जाएंगे किन्तु तुलन पत्र में "अन्य देयताएं और प्रावधान अन्य" शीर्षक में मानक परिसंपत्तियों के लिए आकस्मिक प्रावधान" के रूप में अलग से दिखाए जाएंगे।

(3) यह स्पष्ट किया जाता है कि विवेकपूर्ण मानदण्डों में आय निर्धारण एवं अनर्जक परिसंपत्तियों के लिए प्रावधानीकरण दो अलग-अलग पहलू हैं तथा कुल बकाया राशि में से अनर्जक परिसंपत्तियों के लिए मानदण्डों के अनुसार प्रावधान करना अपेक्षित है। अनर्जक परिसंपत्तियों के संबंध में आय का निर्धारण न हो सकने के तथ्य को प्रावधान न कर पाने का कारण नहीं माना जा सकता है।

अन्यगतिविधियाँ

7. कोई बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी अपनी कुल परिसंपत्तियों के 10% तक कोई गतिविधि/ कारोबार कर सकती है। यदि बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झ(ग) में यथोल्लिखित अनुमत सीमा में कोई अन्य कारोबार करती है जिसके लिए विवेकपूर्ण मानदण्ड पहले से लागू हैं जो 22 फरवरी 2007 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 193/डीजी(वीएल)-2007, समय-समय पर यथा संशोधित, में अंतर्विष्ट हैं, तो उनका अनुसरण निवेशों के मूल्यांकन, परिसंपत्तियों के वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण के लिए किया जाए।

लेखा-वर्ष

8. प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने तुलन पत्र एवं लाभ-हानि लेखे 31 मार्च को समाप्त प्रत्येक वर्ष के लिए तैयार करेगी। जब भी कोई बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने तुलनपत्र की तारीख कंपनी अधिनियम के उपबंधों के अनुसार बढ़ाना चाहे, तो वह कंपनी रजिस्ट्रार से एतदर्थ संपर्क करने से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति प्राप्त करे।

इसके अतिरिक्त, उन मामलों में जिनमें रिज़र्व बैंक एवं कंपनी रजिस्ट्रार ने एतदर्थ मुहलत दे दी हे, उनमें भी बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी/याँ 31 मार्च की स्थिति के अनुसार प्रोफार्मा तुलन पत्र (बिना लेखा परीक्षित) तथा सांविधिक विवरणियाँ बैंक को नियत तारीख को प्रस्तुत करेगी।

तुलनपत्रमेंप्रकटीकरण

9. (1) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने तुलनपत्र में अलग से उपर्युक्त पैरा 6 के अनुसार किए गए प्रावधानों को आय अथवा परिसंपत्तियों के मूल्य से घटाए बिना प्रकट करेंगी।

(2) बंधक गारंटी कारोबार तथा अन्य एवं अलग-अलग प्रकार की परिसंपत्तियों के लिए प्रावधानों का उल्लेख विशेष रूप से निम्नलिखित पृथक खाता शीर्षकों के अंतर्गत किया जाएगाः

  1. अशोध्य और संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान; तथा

  2. निवेशों में मूल्यह्रास  हेतु किए गए प्रावधान।

(3) ऐसे प्रावधान प्रति वर्ष लाभ-हानि खाते से किए जाएंगे।

बंधक (मार्गेज)गारंटीकंपनीद्वारालेखापरीक्षासमितिकागठन

10. बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी एक लेखापरीक्षा समिति का गठन करेगी जिसमें कंपनी के बोर्ड के कम से कम तीन गैर कार्यपालक निदेशक शामिल किए जाएंगे और उनमें से कम से कम एक सनदी लेखाकार होगा।

स्पष्टीकरण-I: इस पैराग्राफ के प्रयोजन के लिए लेखापरीक्षा समिति वह समिति होगी जिसका गठन कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 292ए के अनुसार हुआ हो।

स्पष्टीकरण II: इस पैराग्राफ के तहत गठित लेखापरीक्षा समिति की वही शक्तियाँ, कार्य एवं कर्त्तव्य होंगे जो कंपनी अधिनियम, 1956(1956 का 1) की धारा 292ए में निर्धारित हैं।

सरकारीप्रतिभूतियोंकालेनदेन

11. प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी सरकारी प्रतिभूतियों का लेनदेन सीएसजीएल खाते या डिमैट खाते से कर सकती है:

बशर्ते कि कोई भी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी किसी भी ब्रोकर के मार्फत सरकारी प्रतिभूतियों का भौतिक(कागजी) फार्म में लेनदेन नहीं करेगी।

पूंजीपर्याप्तताअपेक्षा

12. (1) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी से यह अपेक्षित है कि वह निवल स्वाधिकृत निधियाँ न्यूनतम 100 करोड़ रुपए या रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में समय-समय पर विनिर्दिष्ट अन्य सीमा तक रखेगी, टियर 1 तथा टियर 2 पूंजी सहित न्यूनतम पूंजी अनुपात बनाए रखेगी जो उसकी तुलनपत्रगत सकल जोखिम भारित परिसंपत्तियों (CRAR) और तुलनपत्रेतर मदों के जोखिम समायोजित मूल्य के दस प्रतिशत (10%) से कम नहीं होगी। अपेक्षित पूंजी  अनुपात में से वह अपनी सकल जोखिम भारित परिसंपत्तियों (CRAR) के कम से कम 6% को टियर 1 पूंजी के रूप में बनाए रखेगी।

(2) टियर 2 पूंजी का योग, किसी भी समय, टियर 1 पूंजी के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

स्पष्टीकरण:

तुलनपत्र की परिसंपत्तियों के संबंध में

(1) इन निदेशों में, प्रतिशत भार के रूप में व्यक्त ऋण जोखिम की मात्रा तुलनपत्र की परिसंपत्तियों के लिए है।  अतः, परिसंपत्तियों के जोखिम समायोजित मूल्य की गणना के लिए प्रत्येक परिसंपत्ति/मद को संबंधित जोखिम भार से गुणा किया जाएगा ताकि परिसंपत्तियों का जोखिम समायोजित मूल्य निकाला जा सके।  न्यूनतम पूंजी अनुपात की गणना हेतु इस प्रकार आकलित जोखिम भार के सकल(aggregate) को हिसाब में लिया जाएगा।  जोखिम भारित परिसंपत्ति की गणना निधि प्रदत्त(funded) मदों के भारित सकल के रूप में निम्नानुसार की जाएगीः

परिसंपत्तियों की मदें-तुलनपत्र की मदों के रूप में

जोखिमभार
प्रतिशत

(i) नकदी

0

(ii)  बैंक शेष एवं मीयादी जमा और जमा प्रमाणपत्रों सहित बैंकों पर दावे

20

(iii) निवेश

 

(केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की प्रतिभूतियाँ

0

(बैंकों के बांड

20

(सरकारी वित्तीय संस्थाओं की मीयादी जमा/जमा प्रमाणपत्र/बांड

100

(सभी कंपनियों* के शेयर तथा सभी कंपनियों के डिबेंचर बांड वाणिज्य पत्र एवं ऋण उन्मुख/मुद्रा बाजार मुचुअल फंडों की यूनिटें

100

( * "बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी निवेश (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008 के पैरा 3(ii) के अनुसार कंपनियों (corporates) के शेयरों का अर्जन केवल ऋणों की पूर्ति के लिए ही किया जा सकता है।)

(iv) चालू(current) परिसंपत्तियां

 

(क) ऋण और अग्रिम

100

(ख) स्टाफ को ऋण, यदि अधिवर्षिता लाभों, फ्लैटों/गृहों के बंधक रखने  से पूरी तरह आवरित हों

20

(ग) स्टाफ को अन्य ऋण

100

(घ) अन्य जमानती ऋण और अग्रिम 

100

(ङ) अन्य(किराए पर निवल स्टाक, खरीदे और भुनाए गए बिल, आदि सहित)

100

(v) अचल परिसंपत्तियां (मूल्यह्रास घटाने के बाद)

 

(क) पट्टे पर दी गई परिसंपत्तियां (निवल बही मूल्य)

100

(ख) परिसर

100

(ग) फर्नीचर और फिक्सचर

100

(घ) अन्य अचल परिसंपत्तियाँ

100

(vi) अन्य परिसंपत्तियां

(क) स्रोत पर काटा गया आय कर (प्रावधान घटाकर)

0

(ख) अदा किया गया अग्रिम कर (प्रावधान घटाकर)

0

(ग) सरकारी प्रतिभूतियों पर प्राप्य (ड्यू) ब्याज

0

(घ) अन्य

100

टिप्पणी

(1) घटाने का कार्य केवल उन्हीं परिसंपत्तियों के संबंध में किया जाए जिनमें मूल्यह्रास अथवा अशोध्य तथा संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान किए गए हों।

(2) निवल स्वाधिकृत निधि की गणना के लिए जिन परिसंपत्तियों को स्वाधिकृत निधि से घटाया गया है उस पर भार `शून्य' होगा।

(3) जोखिम भार लगाने के प्रयोजन से किसी उधारकर्ता के समग्र निधिक जोखिम की गणना करते समय, बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ उधारकर्ता के खाते में कुल बकाया अग्रिमों से नकदी मार्जिन/प्रतिभूति जमा/जमानती राशि रूपी संपार्श्विक प्रतिभूति, जिसकी मुजरायी(set off) के लिए अधिकार उपलब्ध है, का समायोजन कर सकती हैं।"

तुलनपत्र से इतर मदें

(2) इन निदेशों में, तुलनपत्र से इतर मदों से संबद्ध ऋण जोखिम(एक्सपोजर) की मात्रा को ऋण परिवर्तन कारक के प्रतिशत के रूप में दर्शाया गया है।  अतः, तुलनपत्र से इतर मदों के क्रेडिट तुल्य मूल्य की गणना के लिए सबसे पहले प्रत्येक मद के अंकित मूल्य को उसके संगत परिवर्तन कारक (कन्वर्सन फैक्टर ) से गुणा करना होगा। उसके बाद प्रत्येक मद के क्रेडिट तुल्य मूल्य को संबंधित प्रति पार्टियों के लिए लागू जोखिम भार से गुणा करना होगा। सकल जोखिम भारित मूल्य को न्यूनतम पूंजी अनुपात निकालने के लिए हिसाब में लिया जाएगा।  तुलनपत्र से इतर मदों के क्रेडिट तुल्य मूल्य की गणना, गैर-निधिक मदों के ऋण परिवर्तन कारकों द्वारा निम्नानुसार की जाएगीः-

मद का स्वरूप

ऋण(क्रेडिट)परिवर्तन कारक-प्रतिशत

(i) वित्तीय एवं अन्य गारंटियां

100

(ii) पूंजी निवेश जैसे शेयरों/डिबेंचरों, आदि के संबंध में हामीदारी दायित्व

50

(iii) आंशिक-प्रदत्त (paid) शेयर/डिबेंचर

100

(iv) किए गए पट्टा करार जो निष्पादित होने हैं

100

(v)  अन्य आकस्मिक देयताएं

50

टिप्पणी  परिवर्तन कारक लागू करने से पहले नकदी मार्जिन/जमा राशियों को घटाया जाएगा।

बंधक(मार्गेज)गारंटीकंपनी के अपने शेयरों पर ऋण वर्जित

13.  (1) कोई भी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने शेयरों पर ऋण नहीं देगी।

(2)  पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदान किए जाने से पूर्व, बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को अपने शेयरों पर दिए गए ऋण की बकाया राशि की वसूली, चुकौती अनुसूची के अनुसार, करनी होगी।

ऋण/निवेश का संकेंद्रण

14. (1) कोई भी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी निम्नलिखित को ऋण नहीं देगीः

(क)   किसी एक उधारकर्ता को अपनी स्वाधिकृत निधि के पंद्रह प्रतिशत से अधिक; तथा

(ख)   किसी एक उधारकर्ता समूह को अपनी स्वाधिकृत निधि के पचीस प्रतिशत से अधिक;

(2) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी एक पार्टी/पार्टियों के एक समूह के संबंध में होने वाले जोखिमों के लिए नीति बनाएगी।

नोट:

(1) सीमाओं के निर्धारण के लिए, तुलनपत्र से इतर जोखिम (एक्सपोजर) को उल्लेखानुसार परिवर्तन कारकों का इस्तेमाल करके क्रेडिट जोखिम में बदला जाएगा।

(2) इस पैराग्राफ में विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए डिबेंचरों में किए गए निवेश को ऋण के रूप में माना जाएगा, न कि निवेश के रूप में।

(3) ये अधिकतम सीमाएं किसी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा क्रेडिट जोखिम के संबंध में अपने समूह की कंपनियों/फर्मों के साथ-साथ उधारकर्ता कंपनी के समूह के संबंध में लागू होंगी।

पते,निदेशकों,लेखापरीक्षकोंआदिकेपरिवर्तन
 के संबंध में प्रस्तुत की जानेवाली सूचना

15. प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी निम्नलिखित में किसी प्रकार का परिवर्तन होने की सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक को एक माह के भीतर देगीः

(क) पंजीकृत/कंपनी (कार्पोरेट) कार्यालय के डाक का पूरा पता, टेलीफोन नं. तथा फैक्स नंबर;

(ख) कंपनी के निदेशकों के नाम तथा आवासीय पते;

(ग) उसके प्रधान अधिकारियों के नाम एवं पदनाम;

(घ) कंपनी के लेखापरीक्षकों के नाम तथा उनके कार्यालय के पते;

(ङ)कंपनीकीओरसेहस्ताक्षरकरनेकेलिएप्राधिकृतअधिकारियोंकेहस्ताक्षरोंकेनमूने।

छूट

16. भारतीय रिज़र्व बैंक, यह आवश्यक समझने पर कि किसी कठिनाई को दूर किया जा सके या किसी अन्य उचित और पर्याप्त कारण से, किसी मार्गेज गारंटी कंपनी या मार्गेज गारंटी कंपनियों की किसी श्रेणी या सभी मार्गेज गारंटी कंपनियों को इन मार्गदर्शी सिद्धांतों के सभी या किसी प्रावधान/शर्त/शर्तों से सामान्यत: या विनिर्दिष्ट अवधि तक, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उन शर्तों के तहत जिन्हें वह लगाए, के अंतर्गत छूट दे सकता है।

निर्वचन/अर्थ-निर्णय

17. इन निदेशों के उपबंधों को लागू करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक, यदि आवश्यक समझेगा, इसमें अवरित/शामिल किसी मसले पर आवश्यक स्पष्टीकरण दे सकता है और इन निदेशों के किसी उपबंध के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिया गया अर्थ-निर्णय अंतिम और सभी पार्टियों पर बाध्यकारी होगा।

(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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