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डिजिटल भुगतान के लिए ऑनलाइन विवाद निपटान (ओडीआर) प्रणाली

आरबीआई/2020-21/21
डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.116/02.12.004/2020-21

6 अगस्त 2020

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
प्राधिकृत भुगतान प्रणाली ऑपरेटर और प्रतिभागी (बैंक और गैर-बैंक)

महोदया /महोदय,

डिजिटल भुगतान के लिए ऑनलाइन विवाद निपटान (ओडीआर) प्रणाली

कृपया दिनांक 6 अगस्त, 2020 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य का संदर्भ लें जिसमें डिजिटल भुगतानों से संबंधित ग्राहक विवादों और शिकायतों के निपटान के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने शून्य या न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ प्रणाली- संचालित और नियम-आधारित तंत्र का उपयोग करते हुए ऑनलाइन विवाद निपटान (ओडीआर) प्रणाली शुरू करने की घोषणा की थी।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक का भुगतान प्रणाली विज़न-2021, प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित, नियम-आधारित, ग्राहक-अनुकूल और पारदर्शी विवाद निपटान प्रणालियों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। इस दिशा में एक कदम के रूप में प्राधिकृत भुगतान प्रणाली ऑपरेटर (पीएसओ) - बैंक और गैर-बैंक - और उनके प्रतिभागियों को एतदद्वारा सूचित किया जाता है कि वे ग्राहकों के विवादों और शिकायतों के निपटारे के लिए ऑनलाइन विवाद निपटान (ओडीआर) प्रणाली की स्थापना के लिए प्रणाली/प्रणालियाँ स्थापित करें ।

3. प्राधिकृत भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (पीएसओ) से यह अपेक्षित होगा कि वे दिनांक 1 जनवरी 2021 तक अपनी संबंधित भुगतान प्रणालियों में विफल लेनदेन से संबंधित विवादों और शिकायतों के लिए एक ओडीआर प्रणाली लागू करें। पीएसओ अपने प्रतिभागी सदस्यों अर्थात भुगतान प्रणाली प्रतिभागी (पीएसपी) को इस प्रकार की प्रणाली प्रदान करेगा। तत्पश्चात भारत में कोई भी संस्था भुगतान प्रणाली स्थापित करने या उसमें भाग लेने के लिए अपने परिचालन को आरंभ करते समय ओडीआर प्रणाली उपलब्ध कराएगी। ओडीआर प्रणाली की न्यूनतम आवश्यकताएं अनुबंध में निर्दिष्ट हैं ।

4. प्राप्त अनुभव के आधार पर, ओडीआर व्यवस्था को बाद में असफल लेनदेन से संबंधित विवादों और शिकायतों के निपटान के अलावा अन्य विवादों और शिकायतों के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा। कृपया नोट करें कि यदि शिकायत का निपटान एक महीने तक नहीं किया जाता है तो ग्राहक रिज़र्व बैंक – एकीकृत लोकपाल योजना, 2021 (समय-समय पर यथा संशोधित) से संपर्क कर सकता है।

5. यह निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 के अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के अंतर्गत जारी किया गया है।

भवदीय,

(पी. वासुदेवन)
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक: यथोक्त


अनुबंध

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.116/02.12.004/2020-21 6 अगस्त 2020

ओडीआर प्रणाली की न्यूनतम आवश्यकताएं

1. प्रयोज्यता

1.1 ये आवश्यकताएं सभी प्राधिकृत भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (पीएसओ) - बैंकों और गैर-बैंकों - और उनके प्रतिभागी सदस्यों [भुगतान प्रणाली प्रतिभागियों (पीएसपी)] पर लागू होती हैं।

2. ओडीआर प्रणाली की अवधारणा

2.1. ओडीआर प्रणाली को एक पारदर्शी, नियम-आधारित, प्रणाली-चलित, उपयोगकर्ता-अनुकूल और ग्राहक विवादों और शिकायतों के निराकरण के लिए शून्य या न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ पक्षपात रहित तंत्र होना चाहिए।

3. ओडीआर प्रणाली की संरचना

3.1. प्रत्येक पीएसओ विफल लेनदेन से उत्पन्न विवादों और शिकायतों के समाधान के लिए एक ओडीआर प्रणाली उपलब्ध कराएगा और प्रतिभागी पीएसपी को सिस्टम तक पहुंच प्रदान करेगा।

3.2. पीएसओ और इसकी पीएसपी ग्राहकों को विफल लेनदेन से संबंधित विवादों और शिकायतों को दर्ज कराने के लिए एक एक्सेस प्रदान करेंगी, चाहे भले ही इस तरह के लेन-देन ऑन - अस अथवा ऑफ-अस प्रकृति के ही क्यों न हों।

4. ओडीआर प्रणाली के दायरे में शामिल लेनदेन के प्रकार

4.1. विफल लेनदेन से संबंधित विवाद और शिकायतें ओडीआर प्रणाली के अंतर्गत शामिल की जाएंगी। इस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक के “प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों का उपयोग करते हुए विफल हुए लेनदेन के लिए टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) और ग्राहक क्षतिपूर्ति को सुसंगत बनाना” विषय पर दिनांक 20 सितंबर 2019 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.629/02.01.014/2019-20 में उल्लिखित सभी प्रकार के लेनदेन इसमें शामिल हैं।

4.2. ओडीआर प्रणाली का उपयोग करते हुए विवादों और शिकायतों का समाधान करते समय टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) सहित सभी प्रावधान और और उपर्युक्त परिपत्र में उल्लिखित ग्राहकों को दी जाने वाली प्रतिपूर्ति की राशि का पालन किया जाना चाहिए।

5. विवादों और शिकायतों को दर्ज कराना और उनकी ट्रैकिंग करना

5.1. ग्राहकों को एक या एक से अधिक चैनल प्रदान किए जाएंगे - वेब-आधारित या पेपर-आधारित शिकायत फॉर्म, आईवीआर, मोबाइल एप्लिकेशन, कॉल सेंटर, एसएमएस, शाखाओं या कार्यालयों के माध्यम से, इत्यादि - विवादों और शिकायतों को दर्ज कराने के लिए। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, पीएसओ द्वारा स्थापित किए गए ओडीआर सिस्टम को जोड़ने / एक्सेस करने के लिए एक तंत्र के साथ पीएसओ के साथ-साथ पीएसपी (जारीकर्ता संस्थान जिसके साथ ग्राहक का संबंध है) द्वारा इस तरह की सुविधा प्रदान की जाएगी। उद्योग इन चैनलों की विविधता को उत्तरोत्तर बढ़ा सकता है।

5.2. उपर्युक्त चैनलों के अलावा, मोबाइल फोन-आधारित सिस्टम जैसे यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के मामले में, थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर (टीपीएपी) ग्राहकों को उसी मोबाइल फोन एप के जरिए विवादों और शिकायतों को दर्ज कराने की सुविधा उपलब्ध कराएंगे जिनका उपयोग भुगतान करने के लिए किया जाता है और जिसे ओडीआर प्रणाली के साथ एकीकृत किया जाएगा।

5.3. विवाद या शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया सरल होगी और इसमें केवल आवश्यक न्यूनतम विवरण ही शामिल होंगे। ओडीआर प्रणाली को ग्राहक द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर पूर्ण विवरण प्राप्त करने में स्वचालित रूप से सक्षम बनाया जाना अपेक्षित है। इस तरह के मापदंडों को डिजाइन करते समय डेटा गोपनीयता के पहलू का विशेष रूप से ध्यान रखा जाएगा।

5.4. ग्राहक के द्वारा विवाद या शिकायत दर्ज कराने के पश्चात ओडीआर प्रणाली द्वारा एक यूनीक रिफरेंस नंबर प्रदान किया जाएगा। इस रिफरेंस नंबर का उपयोग करके विवाद या शिकायत की स्थिति का पता लागाने के लिए ग्राहकों को सुविधा प्रदान की जाएगी।

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