RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

80268601

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

06 अगस्त 2020

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य वित्तीय बाजारों और अन्य हितधारकों के लिए चलनिधि समर्थन को बढ़ाने के लिए विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है; ऋण क्षेत्र को मजबूत करते हुए COVID-19 व्यवधानों के कारण वित्तीय दवाब को और कम करना; ऋण के प्रवाह में सुधार; डिजिटल भुगतान को मजबूत करना; चेक भुगतान में ग्राहक सुरक्षा की बढ़ोतरी; और एक नवाचार हब क माध्यम से प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर वित्तीय क्षेत्र में नवाचारों की सुविधा प्रदान करना है।

I. चलनिधि प्रबंधन और वित्तीय बाजार

1. राष्ट्रीय आवास बैंक के लिए अतिरिक्त चलनिधि सुविधा

सभी भारतीय वित्तीय संस्थानों (एआईएफआई) - राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड); भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी); राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी); और एक्ज़िम बैंक को 65,000 करोड़ की कुल राशि के लिए विशेष पुनर्वित्त सुविधाएं - विभिन्न क्षेत्रों की वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने में उनकी भूमिका का समर्थन करने के लिए प्रदान की गईं। मौजूदा परिस्थितियों में चलनिधि व्यवधानों से आवास क्षेत्र का परिरक्षण करने और इस क्षेत्र में वित्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए, एनएचबी को पहले से उपलब्ध कराए गए 10,000 करोड़ के अलावा 5,000 करोड़ की राशि - आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को समर्थन देने के लिए अतिरिक्त स्थायी चलनिधि सुविधा (एएसएलएफ) प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। यह सुविधा एक वर्ष की अवधि के लिए होगी और आरबीआई की रेपो दर लगाया जाएगा।

2. नाबार्ड के लिए अतिरिक्त चलनिधि सुविधा

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को COVID-19 के कारण आई चुनौतियों का सामना करने के लिए कृषि कार्यों को समर्थन देने और कृषि क्षेत्र की उज्ज्वल संभावनाओं, इस कष्टकारी समय में रोजगार देने की इसकी क्षमता, और इसके पिछले और आगे की सहलग्नता के लिए अप्रैल 2020 में 25,000 करोड़ की चलनिधि सहायता प्रदान की गई थी। छोटे गैर-बैंक वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) और सूक्ष्म-वित्त संस्थानों द्वारा चलनिधि तक पहुँच प्राप्त करने के लिए सामना किए जा रहे दवाब को कम करने के लिए, अब नाबार्ड को एक वर्ष की अवधि के लिए, आरबीआई की नीतिगत रेपो दर पर 5,000 करोड़ की अतिरिक्त विशेष चलनिधि सुविधा (एएसएलएफ) प्रदान करने का निर्णय लिया गया है ताकि 500 करोड़ या उससे कम की परिसंपत्ति आकार वाली एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य छोटे एनबीएफसी को पुनर्वित्त प्रदान किया जाए और कृषि और संबद्ध गतिविधियों और ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित किया जा सके।

3. सीआरआर शेष प्रबंधन के लिए एक लचीले स्वचालित विकल्प को शुरू करना

बैंकों को अपने दिन की समाप्ति पर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) शेष का प्रबंधन करने के लिए अधिक लचीलापन / अधिकार प्रदान करने के लिए रिज़र्व बैंक एक वैकल्पिक सुविधा शुरू करेगा। ई-कुबेर प्रणाली में इस सुविधा का उपयोग करके, बैंक दिन की समाप्ति पर आरबीआई के साथ अपने चालू खाते में शेष राशि (विशिष्ट या कोई सीमा) निर्धारित कर सकते हैं। इस पूर्व निर्धारित राशि के आधार पर, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) और रिवर्स रेपो बोलियां, जैसा भी मामला हो, दिन की समाप्ति में ऑटो-जनरेट किया जाएगा।

विस्तृत दिशानिर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं।

II. विनियमन और पर्यवेक्षण

COVID-19 के आर्थिक पतन को कम करने के उद्देश्य से किए गए उपाय

पिछले कुछ महीनों में विनियामक ध्यान वित्तीय संस्थानों और उनके घटकों पर COVID-19 के तत्काल प्रभाव को कम करने के लिए उपयुक्त नीति प्रतिक्रियाओं को तैयार करने के लिए था । इन उपायों का उद्देश्य महामारी से प्रभावित उधारकर्ताओं को अस्थायी राहत प्रदान करना, साथ ही साथ वित्तीय प्रणाली के विभिन्न क्षेत्रों की चलनिधि की जरूरतों का समाधान, इसके लचीलेपन को बनाए रखते हुए करना था। रिज़र्व बैंक इस दिशा में कोई भी आवश्यक उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है, इसके साथ ही वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। आगे, जैसे ही आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने की गति प्राप्त करती है, महामारी के कारण कई व्यवहार्य संस्थाओं के गहन नकदी प्रवाह / तुलन पत्रक दवाब उजागर हुए हैं और वित्तीय संस्थानों पर परिणामी प्रभाव को दूर करने के लिए उसकी पहचान करनी होगी।

4. COVID-19-संबंधित दवाब के लिए समाधान ढांचा

एक सामान्य परिदृध्य में 7 जून 2019 का "दवाबग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान पर विवेकपूर्ण ढांचा” उधारकर्ता चूककर्ता का निवारण करने के लिए एक सिद्धांत-आधारित समाधान ढांचा प्रदान करता है। विवेकपूर्ण ढांचा के तहत कार्यान्वित कोई भी समाधान योजना, जिसमें उधारकर्ता की वित्तीय कठिनाई के कारण किसी भी रियायत को प्रदान करना शामिल है, वह यदि निर्धारित शर्तों के अधीन, स्वामित्व में परिवर्तन के साथ हो तो उसे छोड़कर परिसंपत्ति वर्गीकरण डाउनग्रेड करता है।

COVID-19 महामारी के कारण आर्थिक पतन ने देश भर में कई उधारकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय दवाब उत्पन्न कर दिया है। परिणामी दवाब संभावित रूप से बड़ी संख्या में फर्म जो मौजूदा प्रमोटरों के तहत एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड बनाए रखते हैं, उनके नकदी प्रवाह उत्पादन क्षमताओं के सापेक्ष उनके ऋण के बोझ से असुरक्षित होने की चुनौती का सामना कर रहे हैं, उसे प्रभावित कर सकता है। इस तरह के व्यापक प्रसार प्रभाव पूरी वसूली प्रक्रिया को ख़राब कर सकते हैं, जिससे महत्वपूर्ण वित्तीय स्थिरता जोखिम उत्पन्न हो सकता है।

उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, वास्तविक क्षेत्र की गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और अंतिम उधारकर्ताओं पर प्रभाव को कम करने के विचार के साथ, विवेकपूर्ण ढांचा के तहत एक विंडो प्रदान करने का निर्णय लिया गया है ताकि निर्दिष्ट शर्तों के अधीन, इस तरह के एक्सपोजर को मानक के रूप में वर्गीकृत कर, ऋणदाता को पात्र कॉर्पोरेट जोखिमों के संबंध में स्वामित्व में बदलाव के बिना और व्यक्तिगत ऋण के लिए समाधान योजना लागू करने में सक्षम बनाया जा सके। ऐसी शर्तों को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक माना जाता है कि यह समाधान विंडो की सुविधा केवल COVID-19 संबंधित दवाबग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा, वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के महत्वपूर्ण पहलू को भी उपयुक्त रूप से चित्रित किया गया है।

विनियामक पूर्वाभासों के उपयोग के संबंध में पिछले अनुभवों को देखते हुए, आवश्यक सुरक्षा उपायों को शामिल किया जा रहा है, जिसमें विवेकपूर्ण प्रवेश मानदंड, स्पष्ट रूप से परिभाषित सीमा स्थितियां, विशिष्ट अनिवार्य पारस्परिक संविदा, स्वतंत्र सत्यापन और सख्त कार्यान्वयन पश्चात कार्यनिष्पादन निगरानी शामिल हैं। स्थावर क्षेत्र की गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और अंतिम उधारकर्ताओं पर प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से, यह ढांचा वित्तीय क्षेत्र की संस्थाओं के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारों, स्थानीय सरकारी निकायों (जैसे नगर निगम) और संसद या राज्य विधानमंडल के किसी भी निकाय के लिए उपलब्ध नहीं होगा।

वैयक्तिक ऋणों के अलावा अन्य जोखिमों के लिए समाधान ढांचे की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. केवल उन्हीं उधारकर्ताओं के खाते इस ढांचे के तहत समाधान के लिए पात्र होंगे जिन्हें मानक के रूप में वर्गीकृत किया गया था, लेकिन जो 1 मार्च 2020 तक किसी भी उधार देने वाली संस्था के साथ 30 दिनों से अधिक समय तक डिफ़ॉल्ट रूप में न हो। इसके अलावा, आमंत्रण की तारीख तक खाते मानक बने रहने चाहिए।अब तक, अन्य सभी खातों पर, 7 वें विवेकपूर्ण ढांचा के तहत या जंहा विवेकपूर्ण ढांचा लागू न हो, संबंधित निर्देश जो उधार देने वाले संस्थानों की विशिष्ट श्रेणी पर लागू होते हैं, समाधान के लिए विचार किया जा सकता है।

  2. समाधान योजना को 31 दिसंबर 2020 तक कभी भी लागू किया जा सकता है और इसे आमंत्रण की तारीख से 180 दिनों के भीतर लागू किया जाना चाहिए।

  3. ऋणदाताओं को समाधान के पश्चात ऋण पर 10 प्रतिशत के अतिरिक्त प्रावधान रखना होगा।

  4. सामूहिक कार्रवाई को लागू करने के लिए, समाधान योजना के आमंत्रण के लिए भी विशिष्ट मतदान सीमा निर्धारित की जा रही है; और जो उधार संस्थाएँ आमंत्रण की तारीख से 30 दिनों के भीतर इंटर-क्रेडिटर समझौते (आईसीए) पर हस्ताक्षर नहीं कर रही हैं, उन पर 20 का उच्च प्रावधान लगाया जाएगा।

  5. कार्यान्वयन के बाद, खाते का परिसंपत्ति वर्गीकरण मानक के रूप में बरकरार रखा जाएगा, या यदि खाता आमंत्रण के बाद, परंतु कार्यान्वयन से पहले एनपीए में चला गया हो तो, परिसंपत्ति वर्गीकरण को कार्यान्वयन पर बहाल किया जाएगा।

  6. रिज़र्व बैंक एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर रहा है (अध्यक्ष: श्री के.वी. कामथ) जो अपेक्षित वित्तीय मापदंडों पर, साथ ही ऐसे मापदंडों के लिए क्षेत्र विशेष बेंचमार्क श्रेणियों, जिसे प्रत्येक समाधान योजनाओं में शामिल किया जा सके के लिए रिज़र्व बैंक को सिफ़ारिश करेगा। इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा सिफारिशों पर विचार करने के बाद अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी।

  7. विशेषज्ञ समिति एक निर्दिष्ट सीमा से ऊपर के खातों के लिए समाधान योजनाओं का एक प्रक्रिया सत्यापन भी करेगी।

  8. उधार देने वाले संस्थान ऋण के अवशिष्ट कार्यकाल के विस्तार की अनुमति भुगतान स्थगन के साथ या बिना, लेकिन दो वर्ष से कम की अवधि के लिए दे सकते हैं।

  9. जहां-जंहा समाधान योजनाओं में ऋण के एक हिस्से को इक्विटी और अन्य ऋण लिखतों में परिवर्तित करना शामिल है, ऋण के समान शर्तों वाले ऋण उपकरणों को समाधान के बाद के ऋण के हिस्से के रूप में गिना जाएगा, जबकि अन्य गैर-इक्विटी उपकरणों में परिवर्तित किया गया भाग पूरी तरह से अवलेखित किया जाएगा।

  10. संघ या बहु बैंकिंग व्यवस्था वाले खातों के संबंध में, उधारकर्ता द्वारा सभी रसीदें; उधारकर्ता द्वारा उधार देने वाली संस्थाओं को सभी चुकौतियाँ; साथ ही सभी अतिरिक्त संवितरण, यदि कोई हो, तो समाधान योजना के एक भाग के रूप में उधारकर्ता संस्थानों द्वारा उधारकर्ता को, उधार देने वाले संस्थानों में से एक के साथ रखे गए एस्क्रो खाते के माध्यम से भेजा जाएगा।

वैयक्तिक ऋण के संबंध में, एक अलग रूपरेखा निर्धारित की जा रही है। इस ढांचे के तहत वैयक्तिक ऋण के लिए समाधान योजना 31 दिसंबर 2020 तक लागू की जा सकती है और इसके बाद 90 दिनों के भीतर कार्यान्वित की जाएगी। हालांकि, उधार देने वाली संस्थाओं को पात्र मामलों में शीघ्र आमंत्रण के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। वैयक्तिक ऋणों के मामले में समाधान योजना को लागू करने की समयसीमा का आकलन किया जाएगा,क्योंकि बड़े कॉरपोरेट एक्सपोज़र के विपरीत, एक्सपर्ट कमेटी द्वारा तीसरे पक्ष के सत्यापन, या क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा, या आईसीए की आवश्यकता नहीं होगी। योजना की रूप-रेखा का निर्धारण ऋण की अवशिष्ट अवधि के विस्तार, भुगतान अधिस्थगन के साथ या इसके बिना, दो वर्ष से कम की अवधि तक, बोर्ड द्वारा उधारदाताओं के अनुमोदित नीतियों के आधार पर किया जा सकता है।

इस संबंध में दिशानिर्देश आज जारी किए जा रहे हैं।

5. एमएसएमई ऋण का पुनर्गठन

31 दिसंबर 2020 तक कार्यान्वित पुनर्गठन के अधीन ऐसे एमएसएमई, जो डिफ़ॉल्ट में थे लेकिन 1 जनवरी 2020 तक ’मानक’ थे, के लिए एक पुनर्गठन ढांचा पहले से ही तैयार कर लिया गया है। इस योजना ने बड़ी संख्या में एमएसएमई को राहत प्रदान की है। हालाँकि, एमएसएमई क्षेत्र में तनाव COVID-19 के प्रभाव के कारण बढ़ गया है।

एमएसएमई के सार्थक पुनर्गठन के लिए निरंतर समर्थन की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि, एमएसएमई उधारकर्ताओं के संबंध में, जिन्हें महामारी के आर्थिक पतन के कारण तनाव का सामना करना पड़ रहा है, उधार देने वाली संस्थाएं मौजूदा ढांचे के तहत अपने ऋण के पुनर्गठन करेगी, बशर्ते संबंधित ऋणदाता के साथ उनके खातों को 1 मार्च 2020 तक मानक के रूप में वर्गीकृत किया गया हो। इस पुनर्गठन को 31 मार्च 2021 तक लागू करना होगा।

इस संबंध में दिशानिर्देश आज अलग से जारी किए जाएंगे।

6. स्वर्ण आभूषण और गहने के एवज में अग्रिम

मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए सोने के आभूषणों और गहनों को गिरवी रखने के एवज में बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण सोने के आभूषणों और गहनों के मूल्य का 75 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। परिवारों, उद्यमों और छोटे कारोबारों पर COVID-19 के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से, यह निर्णय लिया आया है कि गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए सोने के आभूषणों और गहनों को गिरवी रखने के एवज में लिए गए ऋण के लिए मूल्य की तुलना में अनुमेय ऋण (एलटीवी) को 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दिया जाए। यह छूट 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध रहेगी।

इस संबंध में दिशानिर्देश आज अलग से जारी किए जाएंगे।

7. बड़े उधारकर्ताओं द्वारा बहु परिचालन खातों के उपयोग को व्यवस्थित करना

विभिन्न उपायों के माध्यम से उधारकर्ताओं को आवश्यक राहत प्रदान करने के लिए ऋण देने वाली संस्थाओं को अनुमति देते समय, क्रेडिट अनुशासन को मजबूत करने के लिए उचित उपाय करना भी आवश्यक माना जाता है। यह पाया गया है कि उधारकर्ताओं द्वारा बहु परिचालन खातों का उपयोग, दोनों चालू खातों के साथ-साथ नकद क्रेडिट (सीसी) / ओवरड्राफ्ट (ओडी) खाते, क्रेडिट अनुशासन का दुरुपयोग करने के लिए प्रेरित करता है। चालू खातों को खोलने के लिए मौजूदा ढांचे में लगाए गए चेक और बैलेंस अपर्याप्त हैं।

अतः, बहु बैंकों से ऋण सुविधा प्राप्त करने वाले ग्राहकों के लिए चालू खातों और CC / OD खातों को खोलने के लिए उपयुक्त सुरक्षा उपायों के माध्यम से उपरोक्त चिंताओं का समाधान करने का निर्णय लिया गया है।

इस संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

उपरोक्त उपायों से यह भी अपेक्षित है कि उधारकर्ताओं के खातों में तनाव के त्वरित समाधान के लिए लेनदारों द्वारा सामूहिक क्रियाओं में अपेक्षित अनुशासन लाया जाए, जो COVID-19- संबंधित तनाव के लिए संकल्प ढांचा के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण होगा, जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है।

8. डेट म्यूचुअल फंड और डेट एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में बैंकों द्वारा निवेश – बाजार जोखिम हेतु ऋण प्रभार

आरबीआई के मौजूदा बेसल III दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि कोई बैंक सीधे ऋण लिखत रखता है, तो उसे म्यूचुअल फंड (एमएफ़) / एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ़) के माध्यम से उसी ऋण लिखत की तुलना में कम पूंजी आवंटित करनी होगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि इक्विटी पर लागू होने वाले विशिष्ट जोखिम ऋण प्रभार को म्यूचुअल फंड / ईटीएफ में निवेश के लिए लागू किया जाता है; जबकि यदि बैंक को ऋण लिखत सीधे रखना था, तो ऋण लिखत की प्रकृति और रेटिंग के आधार पर विशिष्ट जोखिम पूंजी प्रभार लगाया जाता है। अतः वर्तमान में मौजूदा अंतर उपचार के सामंजस्य का निर्णय लिया गया है। उसी समय, यह देखा गया है कि एमएफ / ईटीएफ ऋण में इक्विटी जैसे ही विशेषताएं हैं, क्योंकि एमएफ / ईटीएफ टोकरी में ऋण प्रतिभूतियों में से एक के डिफ़ॉल्ट होने की स्थिति में भी फंड पर अक्सर गंभीर मोचन दबाव होता है। इस तथ्य के बावजूद कि टोकरी में अन्य ऋण प्रतिभूतियां उच्च गुणवत्ता की हैं। इसलिए, यह निर्णय लिया गया है कि 9 प्रतिशत के सामान्य बाजार जोखिम शुल्क को लागू रहने दिया जाएगा। इस प्रकार, बाजार जोखिम के लिए कुल पूंजी प्रभार की गणना में ऋण और इक्विटी दोनों लिखतों के तत्वों को शामिल किया जाएगा। इससे बैंकों के लिए पर्याप्त पूंजी की बचत होगी और इससे बॉन्ड बाजार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

इस संबंध में परिपत्र अलग से जारी किया जा रहा है।

III. वित्तीय समावेशन

9. प्राथमिकता क्षेत्र उधार दिशानिर्देशों की समीक्षा

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्राथमिकता क्षेत्र उधार (पीएसएल) दिशानिर्देशों की पिछली समीक्षा अप्रैल 2015 में की गई थी। उभरती हुई राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ दिशानिर्देशों को संरेखित करने और समावेशी विकास पर तीव्र ध्यान देने के लिए, सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है। संशोधित दिशानिर्देशों का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में मदद करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल ऋण नीतियों को प्रोत्साहित करना और समर्थन करना है।

प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के प्रवाह में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के उद्देश्य से, बैंकों के लिए एक प्रोत्साहन ढांचा तैयार किया गया है। जबकि पहचान किए गए जिलों में वृद्धिशील प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के लिए अधिक महत्व दिया जाएगा जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम है, और पहचान किए गए जिलों में वृद्धिशील प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के लिए कम महत्व दिया जाएगा जहां क्रेडिट प्रवाह तुलनात्मक रूप से अधिक है।

अन्य परिवर्तनों में स्टार्ट-अप को शामिल करने के लिए पीएसएल के दायरे को व्यापक बनाना; सौर ऊर्जा और संपीड़ित बायो गैस संयंत्रों सहित नवीकरणीय ऊर्जा के लिए सीमा बढ़ाना; और 'लघु और सीमांत किसानों' और 'कमजोर वर्गों' को ऋण देने के लिए लक्ष्य बढ़ाना शामिल है।

इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे।

IV. भुगतान और निपटान प्रणाली

10. कार्ड और मोबाइल उपकरणों का उपयोग करके ऑफलाइन खुदरा भुगतान की योजना

मोबाइल फोन, कार्ड, वॉलेट आदि का उपयोग कर डिजिटल भुगतान में काफी वृद्धि हुई है। इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी या इंटरनेट की कम गति, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में, डिजिटल भुगतान को अपनाने में एक प्रमुख बाधा है। इस पृष्ठभूमि के विरुद्ध, कार्ड, वैलट और मोबाइल उपकरणों के माध्यम से ऑफ-लाइन भुगतान का एक विकल्प प्रदान करने से डिजिटल भुगतान को आगे बढ़ाने की उम्मीद है। रिज़र्व बैंक ऑफ़लाइन भुगतान समाधान विकसित करने के लिए संस्थाओं को प्रोत्साहित कर रहा है। अतः, यह प्रस्तावित है कि ऑफ-लाइन मोड में छोटे मूल्य के भुगतान के लिए एक पायलट स्कीम की अनुमति दी जाए, जिसमें यूजर्स के हितों की सुरक्षा, देयता संरक्षण इत्यादि के लिए बिल्ट-इन फीचर्स हों।

इस संबंध में निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे। प्राप्त अनुभव के आधार पर, योजना के रोल-आउट के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों की घोषणा की जाएगी।

11. डिजिटल भुगतान के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर)

जैसे-जैसे डिजिटल लेनदेन की संख्या में काफी वृद्धि होती है, विवादों और शिकायतों की संख्या में एक सहवर्ती वृद्धि होती है। समय पर और प्रभावी तरीके से उनसे निपटने के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित निवारण तंत्रों जो नियम-आधारित, पारदर्शी हैं और न्यूनतम (या नहीं) मैनुअल हस्तक्षेप वाले हों का सहारा लेना आवश्यक है। तदनुसार, रिज़र्व बैंक को चरणबद्ध तरीके से ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) सिस्टम लागू करने के लिए भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (पीएसओ) की आवश्यकता होगी। शुरुआत में, अधिकृत पीएसओ को अपने संबंधित भुगतान प्रणालियों में विफल लेनदेन के लिए ओडीआर सिस्टम को लागू करने की आवश्यकता होगी। प्राप्त अनुभव के आधार पर, ओडीआर व्यवस्था को अन्य प्रकार के विवादों और शिकायतों के लिए विस्तारित किया जाएगा।

इस संबंध में निर्देश आज जारी किए जाएंगे।

12. चेक के लिए सकारात्मक भुगतान तंत्र

चेक समाशोधन के लिए चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) ऑपरेशनल पैन-इंडिया है और वर्तमान में मात्रा और मूल्य के संदर्भ में कुल खुदरा भुगतानों का 2 प्रतिशत और 15 प्रतिशत कवर करता है; वर्तमान में सीटीएस में समाशोधन किया गया चेक का औसत मूल्य 82,000 है। चेक के पन्नों पर न्यूनतम सुरक्षा सुविधाओं को निर्दिष्ट करने वाला सीटीएस-2010 मानक चेक धोखाधड़ी के खिलाफ एक निवारक के रूप में कार्य करता है, जबकि चेक फ़ॉर्म पर फ़ील्ड प्लेसमेंट का मानकीकरण ऑप्टिकल / छवि वर्ण पहचान तकनीक के उपयोग द्वारा सीधे-थ्रू-प्रोसेसिंग सक्षम बनाता है। चेक भुगतान में ग्राहक सुरक्षा को और बढ़ाने और चेक पत्तियों से छेड़छाड़ के कारण होने वाली धोखाधड़ी की घटनाओं को कम करने के लिए, 50,000 और उससे अधिक के सभी चेक के लिए सकारात्मक भुगतान का एक तंत्र शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इस तंत्र के तहत, चेक जारी करने के समय उसके ग्राहक द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर चेक को भुगतान बैंक के भुगतान के लिए संसाधित किया जाएगा। यह उपाय देश में मात्रा और मुली के आधार पर जारी किए गए कुल चेकों के लगभग क्रमशः 20 प्रतिशत और 80 प्रतिशत को कवर करेगा।

इसके लिए परिचालन संबंधी दिशानिर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।

13. रिजर्व बैंक नवाचार हब का निर्माण

रिज़र्व बैंक ने वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में संस्थाओं द्वारा जिम्मेदार नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार प्रयास किया है। विनियामक सैंडबॉक्स ढांचा हाल ही में एक ऐसी पहल थी जिसमें डिजिटल पेमेंट पहला दल (कोहार्ट) था। सैंडबॉक्स के तहत छह प्रस्तावों को स्वीकार किया गया था, जिसका वर्तमान COVID-19 स्थिति के कारण पायलट अध्ययन / परीक्षण में देरी हुई है। वित्तीय क्षेत्र में नवाचार के बारे में सोचते समय साइबर सुरक्षा, डेटा एनालिटिक्स, डिलीवरी प्लेटफॉर्म, भुगतान सेवाएँ आदि जैसे क्षेत्र सबसे आगे रहते हैं। प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देते हुए वित्तीय क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने और एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए जो नवाचार को सुविधाजनक और बढ़ावा देगा, रिज़र्व बैंक भारत में एक नवाचार हब स्थापित करेगा। नवाचार हब नई क्षमताओं के विचार और ऊष्मायन के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जो नवोन्मेषी और व्यवहार्य वित्तीय उत्पादों को निर्मित करने और/ या गहन वित्तीय समावेशन के व्यापक उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए, कुशल बैंकिंग सेवाओं, आपातकाल में व्यापार निरंतरता और उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने आदि के लिए लगाया जा सकता है। नवाचार हब विनियामक रेमिट्स और राष्ट्रीय सीमाओं को विस्तारित करते हुए क्रॉस-थिंकिंग का समर्थन करेगा, बढ़ावा देगा।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2020-2021/150

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?