डायमंड डॉलर खाता (डीडीएएस)खोलना- संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
डायमंड डॉलर खाता (डीडीएएस)खोलना- संशोधन
भारतीय रिज़र्व बैंक भारिबैंक/2009-10/199 29 अक्तूबर 2009 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक महोदय/महोदया डायमंड डॉलर खाता (डीडीएएस)खोलना- संशोधन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -I (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान 13 फरवरी 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.51 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके जरिये प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को, कतिपय शर्तों के अधीन पात्र फर्मों और कंपनियों को डायमंड डॉलर खाता (डीडीए)खोलने तथा रखने के अधिकार प्रत्यायोजित किये गये थे । उपर्युक्त परिपत्र में भारत सरकार द्वारा जारी विदेश व्यापार नीति 2004-2009 के पैरा 4ए.19 का उल्लेख किया गया है , जिसके अनुसार कच्चे अथवा कटे हुए अथवा पॉलिस किये हुए हीरों/बहुमूल्य धातु से बने सादे आभूषणों, मीनाकारी और/अथवा हीरों अथवा अन्य रत्न-जटित अथवा बिना हीरे अथवा अन्य रत्न-जटित बहुमूल्य धातु से बने सादे आभूषणों की खरीद और बिक्री में कम से कम तीन वर्षों तक हीरों/रंगीन रत्नों/हीरों अथवा रंगीन रत्नों से जड़े हुए आभूषणों /सोने के सादे आभूषणों के आयात/निर्यात का उल्लेखनीय कार्य करनेवाले और पिछले तीन लाइसेंसों की अवधि के दौरान 5 करोड़ रुपये अथवा उससे अधिक का औसतन वार्षिक पण्यावर्त वाली फर्मों और कंपनियों को डायमंड डॉलर खाता (डीडीए)खोलने की अनुमति दी गयी है । 2. सरकार ने अब पिछले कार्य-निष्पादन रिकॉर्ड और औसतन वार्षिक पण्यावर्त के मानदंड में छूट देते हुए उसे क्रमश: कम से कम तीन वषों से 2 वर्ष और पिछले तीन लाइसेंस वर्षों के दौरान 5 करोड़ रुपये अथवा उससे अधिक के वार्षिक पण्यावर्त को 3 करोड़ रुपये अथवा उससे अधिक कर दिया है । पिछले कार्य-निष्पादन रिकॉर्ड के संबंध में सरकार द्वारा जारी 13 मार्च की अधिसूचना सं. 96 (आरई-2008)/2004-2009 की एक प्रति संलग्न है । 4. 13 फरवरी 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.51 में उल्लिखित अन्य शर्तें यथावत् रहेंगी । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें। 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है। भवदीय (डी.मिश्रा) |