विदेश में संविदा के निष्पादन हेतु परियोजना / सेवा निर्यातक द्वारा भारत में विदेशी मुद्रा खाता खोलना - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेश में संविदा के निष्पादन हेतु परियोजना / सेवा निर्यातक द्वारा भारत में विदेशी मुद्रा खाता खोलना
ए.पी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं. 20 सितंबर 23, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी महोदया /महोदय, विदेश में संविदा के निष्पादन हेतु परियोजना / प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान परियोजना /सेवा निर्यातकों द्वारा भारत से बाहर विदेशी मुद्रा खाता खोलने, धारित करने और अनुरक्षित करने के संबंध में मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 10/2000-आरबी के विनियम सं.7 की ओर आकृष्ट किया जाता है । संगत प्रावधानों को मार्च 30, 2003 की अधिसूचना सं. फेमा 87/2003-आरबी (प्रतिलिपि संलग्न) द्वारा संशोधित कर दिया गया है । 2. उक्त संशोधन के अनुसार, भारत में निवासी कोई व्यक्ति जो परियोजना/सेवा निर्यातक है, भारत से बाहर अथवा भारत में किसी बैंक के पास विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है / धारित कर सकता है ओर अनुरक्षित कर सकता है । तद्नुसार, समुद्रपारीय संविदा अनुमोदित करने वाले प्राधिकरण और प्राधिकृत व्यापारी / निर्यात-आयात बैंक/ कार्यकारी दल निर्यातकों के भारत में विदेशी मुद्रा खाता खोलने, धारित करने और अनुरक्षित करने के लिए परिशिष्ट में उल्लिखित नियम और शर्तों तथा निम्नलिखित शर्तों पर प्रस्ताव का अनुमोदन कर सकते हैं : (i) निर्यातक विदेश में निष्पादनाधीन प्रत्येक प्रयोजन के लिए अलग विदेशी मुद्रा खाता खोलेंगे/ धारित करेंगे और अनुरक्षित करेंगे । (ii) प्राधिकृत व्यापारी ऐसे खातों में धारित जमा राशि की जमानत पर कोई रूपया ऋण नहीं लेंगे और खाते में कोई अधिविकर्ष की अनुमति नहीं होगी । (iii) खाते की जमा राशि रिज़र्व बैंक (बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग) द्वारा समय-समय पर निर्धारित सांविधिक चलनिधि अनुपात / अनिवार्य चलनिधि अनुपात के अधीन होगी । 3. वर्तमान में, परियोजना / सेवा निर्यातकों से अपेक्षित है कि वे माल/सेवाओं के भारतीय आपूर्तिकताओं को भारत में खोले गए / अनुरक्षित अपने विदेशी मुद्रा खाते में से विदेश में परियोजनाओं के निष्पादन के लिए विदेशी मुद्रा में भुगतान करने हेतु रिज़र्व बैंक का विशिष्ट अनुमोदन प्राप्त करेंगे । चूंकि अब यह निर्णय किया गया है कि प्रयोजन अनुमोदन प्राधिकरण अनुरोध करने पर ऐसी प्रयोजन / सेवा निर्याकों को अनुमति दे सकते हैं, जैसा कि भारत में विदेशी मुद्रा खाते में से विदेशी मुद्रा में निम्नलिखित शर्तों पर भुगतान करने की अनुमति दे सकते हैं : (i) परियोजना / सेवा निर्यातक भारतीय आपूर्तिकर्ता / सेवा दाता को किए गए भुगतान के लिए निर्यात लाभें का दावा नहीं करेंगे । (ii) माल/ सेवाओं के भारतीय आपूर्तिकर्ता फेमा, 1999 के प्रावधानों/अपेक्षाओं के अनुसार निर्धारित क्रियाविधि का अनुपालन करेंगे । 4. प्राधिकृत व्यापारी उक्त परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दे। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999(1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं । भवदीय (ग्रेस कोशी) |