बैंक खातों का परिचालन तथा ‘धनशोधन के माध्यम बने व्यक्ति’ - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंक खातों का परिचालन तथा ‘धनशोधन के माध्यम बने व्यक्ति’
आरबीआइ/2010-11/303 7 दिसंबर 2010 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय बैंक खातों का परिचालन तथा ‘धनशोधन के माध्यम बने व्यक्ति’ आपराधिक तत्वों द्वारा धनशोधन अथवा आतंकवादी गतिविधियों का वित्तपोषण करने के लिए बैंकों के इरादतन या गैर-इरादतन दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘अपने ग्राहक को जानिए’ मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध संबंधी दिशानिर्देश ज्जारी किए हैं जिन्हें 01 जुलाई 2010 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि. एएमएल. बीसी. सं. 2/14.01.001/2010-11 में समेकित किया गया है । 2. यह बात हमारे ध्यान में लाई गई है कि अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी वाली योजनाओं (उदाहरणार्थ फिशिंग तथा पहचान की चोरी) से होने वाली आय का शोधन करने के लिए ऐसे व्यक्तियों की सेवा ली जाती है ज्जो धनशोधन के माध्यम बन जाते है। ऐसे अपराधी इन तीसरे पक्षकारों को ‘धनशोधन के माध्यम’ के रूप में कार्य करने के लिए राजी कर अवैध रूप से जमा खातों तक पहुँच बना लेते हैं। कुछ मामलों में ये तीसरे पक्षकार निर्दोष हो सकते हैं लेकिन अन्य मामलों में अपराधियों के साथ उनकी मिलीभगत हो सकती है। 3. ‘धनशोधन के माध्यम’ संबंधी लेनदेन में एक बैंक खाताधारक व्यक्ति को अपने खाते में चेक जमाज्अथवा तार अंतरण प्राप्त करने और तत्पश्चात् कमीशन की एक निश्चित राशि अपने लिए घटाकर इन निधियों को किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर धारित खातों में अथवा अन्य व्यक्तियों को अंतरित करने के लिए प्रयोग किया जाता है । ऐसे व्यक्तियों को स्पैम ई-मेल, भर्ती की मान्य वेबसाइटों पर विज्ञापनों, सोशल नेटवर्किंग साइटों, इंस्टैंट मैसेजिंग तथा समाचार पत्रों में विज्ञापनों ज्जैसे तमाम तरीकों से इस कार्य के लिए राजी किया जा सकता है। जब धनशोधन के माध्यम बने ऐसे व्यक्ति पकड़े जाते हैं तो प्राय: उनके बैंक खाते निलंबित कर दिए जाते हैं जिसके कारण धोखाधड़ी में हिस्सेदारी के लिए संभावित कानूनी कार्रवाई भुगतने के अलावा उन्हें असुविधा और भारी वित्तीय क्षति भी उठानी पड़ती है। कई बार तो धनशोधन के माध्यम बने ऐसे व्यक्तियों के पते और संपर्क के ब्योरे नकली निकलते हैं या वे अद्यतन नहीं होते जिससे प्रवर्तन एजेंसियों को खाताधारक का पता लगाने में कठिनाई होती है। 4. यदि बैंक अपने ‘अपने ग्राहक को जानिए’ मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध/धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व पर मास्टर परिपत्र में निहित दिशानिर्देशों का पालन करें तो धनशोधन के माध्यम बने ऐसे खातों के परिचालन को कम-से-कम किया जा सकता है । अत: बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपने ग्राहक को जानिए/धनशोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध पर समय-समय पर जारी तथा खाता खुलने के बाद ग्राहक पहचान संबंधी आंकड़ों को आवधिक रूप से अद्यतन करने संबंधी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें ताकि वे ऐसे धोखेबाजोंद्वारा अपना और अपने ग्राहकों का दुरुपयोग होने से बचाव कर सकें । भवदीय (विनय बैजल) |