पंजीकृत न्यासों /सोसायटी द्वारा समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
पंजीकृत न्यासों /सोसायटी द्वारा समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश
आरबीआई/2008-09/128
एपी(डी आईआर सिरीज़)परिपत्र सं.7
सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक
महोदय / महोदया
पंजीकृत न्यासों /सोसायटी द्वारा समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 27 जून, 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.53 की ओर आकर्षित किया जाता है,जिसमें निर्माण/शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े और उपर्युक्त परिपत्र के अनुबंध में उल्लिखित शर्तें पूरी करनेवाले पंजीकृत न्यास /सोसायटी को भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति से संयुक्त उद्यम कंपनी या पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में उन्हीं क्षेत्रों में सीधे समुद्रपारीय निवेश की अनुमति दी गयी है।
2. उदारीकरण के एक अतिरिक्त उपाय के रूप में, भारत सरकार के परामर्श से यह निर्णय लिया गया है कि भारत में अस्पताल खोलने वाले पंजीकृत न्यासों/सोसाइटीज को , भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति से , भारत से बाहर के संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक संस्थाओं में उसी क्षेत्र में निवेश की अनुमति दी जाए । उपर्युक्त परिपत्र के अनुबंध में दिये गये पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले न्यास /सोसाइटीज अपने श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक/ बैंकों के माध्यम से फार्म ओडीई- भाग-I में भारतीय रिज़र्व बैंक को अपने आवेदनपत्र भेजें। उपर्युक्त ए.पी. (डीआईआर सिरीज़)परिपत्र में उल्लिखित अन्य नियम व शर्तों तथा रिपोर्टिंग प्रणाली की अपेक्षाओं में कोई परिवर्तन नहीं है।
3. 7 जुलाई 2004 की हमारी अधिसूचना सं. फेमा120/आरबी-2004 द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण और जारी करना)विनियमावली, 2004 में आवश्यक आशोधन अलग से किए जा रहे है।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।
5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुदा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 की 42) धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानुन के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोन यदि कोई हो , पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है ।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक