समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण
आरबीआइ/2004-05/360
ए पी(डीआइआर सिरीजॅ)परिपत्र सं.32
फरवरी 09, 2005
सेवा में
विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिवफ्त सभी बैंक
महोदया/महोदय,
समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण
- जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/2004-आरबी
- कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना
यह परिपत्र दो मुों िसे संबंधित है। पहला मुा िअधिसूचना जारी करने से संबंधित है जिसमें समुद्रपारीय निवेश से संबंधित सभी संशोधन दिए गए हैं। दूसरा कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना में उदारीकरण से संबंधित है। विस्तफ्त ब्योरे नीचे दिए गए हैं:
2. जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं.फेमा.120/2004-आरबी
प्राधिवफ्त व्यापारियों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.19/2000-आरबी की ओर आकर्षित किया जाता है जिसे भारत सरकार द्वारा सरकारी राजपत्र के मई 8, 2000 के जी.एस.आर.सं.456()िं भाग घ्घ्, धारा 3, उप-धारा (1) द्वारा अधिसूचित किया गया था। इसके बाद, ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्रों के माध्यम से विभिन्न उदारीकरण और सरलीकरण के उपाय शुरू किए गए और फेमा.19/2000/आरबी के उनके अपने-अपने संशोधन भी अधिसूचित किए गए थे। इन सभी संशोधनों को समेकित करने के लिए अब तक किए गए सभी संशोधनों को शामिल करते हुए मूल अधिसूचना का अधिक्रमण करके विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमवली, 2004, अधिसूचना सं.फेमा.120/2004-आरबी दिनांक जुलाई 7, 2004 को नवंबर 19, 2004 के जी.एस.आर. सं.757()िं द्वारा अधिसूचित किया गया। जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं.120/2004-आरबी की गजटेड प्रति संलग्न है।
3. कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना
कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना पूर्वोक्त अधिसूचना के विनियम (22) के उप-विनियम (2) के अनुसार भारत में रहनेवाला कोई व्यक्ति, व्यक्ति होने के नाते, किसी भारतीय कार्यालय अथवा भारत स्थित किसी विदेशी कंपनी की शाखा अथवा सहयोगी कंपनी अथवा किसी भारतीय कंपनी, जिसमें विदेशी ईक्विटी धारिता कम-से-कम 51 प्रतिशत है, का कर्मचारी अथवा निदेशक है, उपर्युक्त विदेशी कंपनी द्वारा प्रस्तावित ईक्विटी शेयर खरीद सकता है। जहां किसी नियंत्रक कंपनी/ विशेष प्रयोजन के माध्यम से भारत में निवेश किया गया है, वहां अंतिम मूल कंपनी अथवा सहयोगी अथवा समूह कंपनी, जैसा भी मामला हो, के शेयरों की धारिता के लिए वर्तमान में अनुमति, मामला-दर-मामला आधार पर रिज़र्व बैंक प्रदान करता है।
समुद्रपारीय निवेश को और उदार बनाने के लिए अब यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे मामलों में भी, जहां विदेशी कंपनी, कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना के अंतर्गत अपने शेयर प्रस्तावित करती है और जिसका, विशेष प्रयोजन माध्यम अथवा स्टेप डाउन सहयोगी कंपनी के माध्यम से भारतीय कंपनी में प्रत्यक्ष शेयर धारिता है, रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमति की आवश्यकता तब तक नहीं है जब तक ऐसी धारिता कम-से-कम 51 प्रतिशत है।
4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2004 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।
5. प्राधिवफ्त व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(एफ.आर. जोसफ)
मुख्य महाप्रबंधक