विदेशी प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण
भारतीय रिज़र्व बैंक
दिसंबर 6, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय विदेशी प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान दिसंबर 6, 2003 के ए.पी(डिआई आर सीरिज) परिपत्र सं.41 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार विदेश में स्थित भारतीय कंपनियों को अपने संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के शेयर स्वचालित मार्ग के अंतर्गत विक्री द्वारा अंतरित करने की अनुमति दी गई है । जैसा कि प्राधिक,त व्यापारियों को अवगत है, ऐसे विनिवेश की अनुमति उन्हीं मामलों में दी गई है जहाँ पर कि किए गए निवेश और अन्य हकदारियों, यदि कोई हों तो, का संपूर्ण प्रत्यावर्तन करना होगा । 2. उदारीकरण के अगले उपाय के रूप में, भारत में सूचीबद्ध कंपनियों को विदेश स्थित अपने संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में निवेश का विनिवेश करने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है चाहे विनिवेश के कारण पूंजी के पिछले वर्ष की निर्यात वसूली के 10 प्रतिशत की सीमा तक किए गए निवेश की गई पुंजी को बट्टे खाते डालना पड़ जाए । उक्त ए.पी(डिआई आर सीरिज) परिपत्र की परिशिष्ट में उल्लिखित नियम और शतें एवं रिपोर्ट करने की वांछनीयता में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है 3. मई 3, 2000 की अधिसूचना संख्या फेमा 19/आरबी द्वारा अधिसूचित और अन्य संगत अधिसूचनाएं विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किया रहा है । 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु की जानकारी अपने सभी संबंधित ग्राहकों को दे दें । 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए है । भवदीय ग्रेस कोशी |