समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण
आर बी आइ/2006-07/437
ए. पी.(डी आइ आर सिरीज़) परिपत्र सं.75
जून 14, 2007
सेवा में
सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय
समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकें का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं फेमा 120/आर बी 2004 डविदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली,2000 की ओर आकर्षित किया जाता है। वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य (पैरा 132,133 और134) में की गई घोषणा के अनुसार समुद्रपारीय निवेशों को नियंत्रित करनेवाले विनियमों को निम्नानुसार और उदार बनाया गया है।
1. समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश की सीमा में बढ़ोतरी(पैरा132)
वही अधिसूचना के विनियम 6 के अनुसार किसी वास्तविक व्यापार कार्यकलाप में लगी हुए भारतीय पार्टी के विदेश स्थित संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों में किए गए सभी निवेश उसकी निवल मालियत के 200 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। विदेश में निवेश के लिए भारतीय पार्टियों(भारत में निगमित अथवा संसद के अधिनियम के तहत सृजित) को और अधिक लोचकता प्रदान करने के लिए भारतीय पार्टी की निवल मालियत के 200 प्रतिशत की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर निवल मालियत का 300 प्रतिशत कर दिया गया है। फिर भी, समुद्र पारीय निवेश के लिए पंजीकृत भागीदारी फर्मों पर लागू सीमा उनके निवल मालियत के 200 प्रतिशत पर यथावत रहेगी। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत भारतीय पार्टी (पंजीकृत भागीदारी फर्म से इतर) के अंतिम लेखा परीक्षित तुलनपत्र की तारीख की स्थिति को उसकी निवल मालियत के 300 प्रतिशत तक समुद्रपारीय निवेश की अनुमति दे सकते है।
2. समुद्रपारीय निवेश के लिए वित्तीय प्रतिबद्धता - संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्व वाली
सहायक कंपनियों को अथवा उनकी ओर से किसी भारतीय पार्टी द्वारा जारी गारंटियां।
वही अधिसूचना के विनियम 2(च) के अनुसार "वित्तीय प्रतिबद्धता" का अर्थ इक्विटी में अंशदान, ऋण और भारतीय पार्टी द्वारा उसके समुद्र पारीय संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों को अथवा उसकी ओर से जारी गारंटियों की राशि का 50 प्रतिशत है। वर्तमान मानदड़ों को सरल और कारगर बनाने के एक उपाय के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि किसी भारतीय पार्टी द्वारा समुद्रपारीय निवेश के लिए ’वित्तीय प्रतिबद्धता’ के निर्धारण हेतु किसी भारतीय पार्टी द्वारा जारी गारंटियों की राशि के 100 प्रतिशत की गणना की जाए। तदनुसार, किसी भारतीय पार्टी द्वारा समुद्रपारीय निवेश के लिए ’वित्तीय प्रतिबद्धता’ का अर्थ अबसे इक्विटी को अंशदान, ऋण और भारत में निवेशकर्ता कंपनी/प्रवर्तक कंपनी/समूह कंपनी/सहयोगी संस्था अथवा सहयोगी कंपनी/भागीदारी फर्म द्वारा गारंटियों की कुल राशि होगी। संशोधित मानदंड तत्काल प्रभाव से नए और मौजूदा निवेशों दोनें पर लागू होंगे।
3. स्चीबद्ध भारतीय कंपनियों द्वारा पोर्टफोलियो निवेश (पैरा 134)
वही अधिसूचना के विनियम 6 आ के अनुसार सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों को, जो मान्यता प्राप्त स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है और जिनका भारत में मान्यताप्राप्त स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों तथा पोर्टफोलियो निवेश योजना के तहत समुद्रपारीय कंपनियों द्वारा जारी निर्धारित बांडें/नियत आय प्रतिभूतियों में कम से कम 10 प्रतिशत शेयरधारिता है।पोर्टफोलियो निवेश के लिए सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों को और बेहतर अवसर मुहैया कराने हेतु निवेशकर्ता कंपनी के अंतिम लेखा परीक्षित तुलनपत्र की तारीख की स्थिति को उसके निवल मालियत के 25 प्रतिशत की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया है। अधिसूचना के विनियम 6 आ में अनुबद्ध अन्य सभी शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी ।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषय वस्तु से अपने सभी संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
5. जुलाई 7,2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आर बी-2004 डविदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम)विनियमावली 2004 के आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999(1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महा प्रबंधक