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समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण

आरबीआइ/2007-08/148
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.11

सितंबर 26, 2007

सेवा में

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश - उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 (अधिसूचना) डविदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 और जून 14, 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.75 की ओर आकर्षित किया जाता है। समुद्रपारीय निवेशों को नियंत्रित करनेवाले विनियमों को तत्काल प्रभाव से निम्नानुसार और उदार बनाया गया है।

2. समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश की सीमाओं को बढ़ाना

समुद्रपारीय निवेशों के संबंध में फेमा के तहत वर्तमान प्रावधानों के अनुसार किसी भारतीय पार्टी की, किसी प्रामाणिक व्यावसायिक कार्यकलाप में लगी विदेश स्थित सभी संयुक्त उद्यम/ पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं में कुल समुद्रपारीय निवेश, भारत में निगमित कंपनियों अथवा संसद के अधिनियम द्वारा सृजित निकायों के लिए इसके निवल मालियत के 300 प्रतिशत और पंजीकृत साझेदारी फर्मों के मामले में निवल मालियत के 200 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। विदेश में निवेशों के लिए भारतीय पार्टियों को और अधिक सुविधाएं प्रदान करने की दृष्टि से, भारतीय पार्टी के निवल मालियत के 300 प्रतिशत की वर्तमान सीमा (पंजीकृत साझेदारी फर्मों के मामले में 200 प्रतिशत) को बढ़ाकर भारतीय पार्टी के निवल मालियत के 400 प्रतिशत कर दिया गया है। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक , स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत, भारतीय पार्टी के अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख की स्थिति में उसके निवल मालियत के 400 प्रतिशत तक के समुद्रपारीय निवेश की अनुमति दे सकते हैं।

3. सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों द्वारा पोर्टफोलियो निवेश

वर्तमान में, सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों को, सूचीबद्ध विदेशी कंपनियों की ईक्विटी में, जो मान्यता प्राप्त स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है और भारत में मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों में कम से कम 10 प्रतिशत की शेयर धारिता रखते हैं और पोर्टफोलियो निवेश योजना के तहत समुद्रपारीय कंपनियों द्वारा जारी श्रेणीकृत बांडों/ नियत आय प्रतिभूतियों में अपने अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख की स्थिति में अपने निवल मालियत के 35 प्रतिशत तक निवेश करने की अनुमति है। पोर्टफोलियो निवेशों के लिए सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों को और बेहतर अवसर मुहैया कराने हेतु 35 प्रतिशत की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर निवेशकर्ता कंपनी के अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख को उसके निवल मालियत के 50 प्रतिशत कर दिया गया है। यह भी निर्णय लिया गया है कि भारतीय कंपनियों में पारस्परिक 10 प्रतिशत की शेयर धारिता की आवश्यकता को तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाए। तदनुसार, सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों को अब (i) शेयरों और (ii) सूचीबद्ध समुद्रपारीय कंपनियों द्वारा जारी प्रामाणिक/ पंजीकृत साख निर्धारित एजेंसियों द्वारा निवेश ग्रेड से नीचे न निर्धारित किए गए श्रेणीकृत बांडों/ नियत आय प्रतिभूतियों में अपने अंतिम लेखा परीक्षित तुलनपत्र की तारीख की स्थिति में अपने निवल मालियत के 50 प्रतिशत तक की निवेश की अनुमति है। अधिसूचना के विनियम 6आ में अनुबद्ध अन्य सभी शर्तें यथावत रहेंगी।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

5. जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 डविदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक

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