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विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को सरल और कारगर बनाना

आरबीआइ/2006-07/337

ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.41

अप्रैल 20, 2007

सेवा में

सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक श्रेणी I

महोदया/महोदय,

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को सरल और कारगर बनाना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं.फेमा.120/आरबी-2004 (अधिसूचना) द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 की ओर आकर्षित किया जाता है। वर्तमान प्रावधानों को सरल और कारगर बनाने के लिए समुद्रपारीय निवेशों को नियंत्रित करनेवाले विनियम में निम्नलिखित परिवर्तन किए गए हैं।

1. किसी भारतीय कंपनी के शेयरों का स्वैप अथवा विनिमय द्वारा विदेशी प्रतिभूति में निवेश

वही अधिसूचना के विनियम 8 के अनुसार किसी भारतीय पार्टी को, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड और साधारण शेयर (निक्षेपागार रसीद व्यवस्था) योजना 1993 की निर्गम की योजना और उसके तहत केद्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार बादवाले को जारी एडीआर/जीडीआर के बदले में प्रामाणिक कारोबारी कार्यकलाप में लगी किसी विदेशी कंपनी के शेयर अधिग्रहण की अनुमति है। इसके अलावा यह कतिपय शर्तों, मूल्यांकन के मानदण्डों और भारतीय रिज़र्व बैंक के रिपोर्टिंग के अधीन है। ऐसे अधिग्रहणों को अब से आगे समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश के तरीके के रूप में समझा जाएगा तथा वही अधिसूचना के विनियम 6 में निर्दिष्ट सीमा के अंदर शामिल किया जाएगा।

2. समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम/ पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं के शेयरों के समुद्रपारीय उधारदाता के पास गिरवी रखना

वही अधिसूचना के विनियम 18 के अनुसार किसी भारतीय पार्टी को स्वयं व संयुक्त उद्यम/ पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं के लिए निधि आधारित अथवा गैर-निधि आधारित सुविधा का लाभ उठाने हेतु जमानत के रूप में भारत के बाहर स्थित संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं में धारित शेयरों को भारत के किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक के पास गिरवी के रूप में अंतरण की अनुमति है।

समुद्रपारीय निधि आधारित अथवा गैर-निधि आधारित सुविधा हेतु भारतीय पार्टी को परिचालनात्मक लोचकता प्रदान करने के लिए अब किसी समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं में धरित शेयरों को किसी समुद्रपारीय उधारदाता के पास गिरवी के रूप में अंतरित करने की अनुमति दी जाती है बशर्ते उधारदाता का एक बैंक के रूप में नियंत्रण और पर्यवेक्षण किया जाता है तथा भारतीय पार्टी की कुल वित्तीय प्रतिबद्धता समुद्रपारीय निवेशों के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा नियत सीमा के अंदर है।

3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

4. जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं.फेमा 120/आरबी-2004 डविदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं।

5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

मावदीय

 

(सलीम गंगाधरन)

मुख्य महाप्रबंधक

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