भारतीय कंपनियों/साझेदारी फ़र्मों द्वारा समुद्रपारीय निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय कंपनियों/साझेदारी फ़र्मों द्वारा समुद्रपारीय निवेश
ए.पी(डीआई आर सिरीज) परिपत्र सं.57 सेवा में महोदया/महोदय भारतीय कंपनियों/साझेदारी फ़र्मों द्वारा समुद्रपारीय निवेश -
प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 19/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा जारी करना) विनियमावली 2000, समय समय पर यथासंशोधित, की ओर आकृष्ट किया जाता है । क) उदारीकरण - समुद्रपारीय निवेश के लिए मौद्रिक सीमा हटाना मौजूदा फ़ेमा विनियमावली के अनुसार, निवासी कंपनियों को अपनी शुद्ध मालियत के 100 प्रतिशत के बराबर अथवा समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में 100 मिलियन अमरीकी डॉलर (पुजीकृत साझेदारी फ़र्म के मामलें में 10 मिलियन अमरीकी डॉलर) निवेश करने की अनुमति है । 2. उदारीकरण की जारी प्रक्रिया के अंग के रूप में अब निवासी कंपनियों और पंजीकृत साझेदारी फ़र्मों को अपनी शुद्ध मालियत के 100 प्रतिशत के बराबर अथवा समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में बिना किसी अलग मौद्रिक सीमा के निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है बशर्मे कि फ़ार्म ओडीआर में उसकी रिपोर्ट दी जाए । 3. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा जारी करना) विनियमावली 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं । 4. प्राधिकृत व्यापारी उक्त परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए है । भवदीय ग्रेस कोशी |