म्यूचुअल फंडों द्वारा समुद्रपारीय निवेश- उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
म्यूचुअल फंडों द्वारा समुद्रपारीय निवेश- उदारीकरण
आरबीआइ/2007-08/274
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.34
अप्रैल 03,2008
सेवा में
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
म्यूचुअल फंडों द्वारा समुद्रपारीय निवेश- उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान म्यूचुअल फंडों द्वारा समुद्रपारीय निवेशों के संबंध में, समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7,2004 की अधिसूचना सं.फेमा 120/आरबी-2004 डविदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली,2004 के विनियम 6 इ और विनियम 26 और अप्रैल 29,2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.97,जुलाई 26,2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.3,नवंबर 11,2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.16,मई 8,2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.53 ,जून 8,2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.72 और सितंबर 26,2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.12 की ओर आकर्षित किया जाता है।
2. समुद्रपारीय निवेशों को बेहतर अवसर प्रदान करने की दृष्टि से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास पंजीकृत म्यूचुअल फंडों द्वारा समुद्रपारीय निवेशों की सकल सीमा को तत्काल प्रभाव से 5 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़ाकर 7 बिलियन अमरीकी डालर कर दिया गया है। सेबी द्वारा यथानुमत समुद्रपारीय एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में अर्हताप्राप्त भारतीय म्यूचुअल फंडों की सीमित संख्या को संचयी रूप से 1 बिलियन अमरीकी डालर तक के निवेश की वर्तमान सुविधा जारी रहेगी। निवेश सेबी द्वारा जारी की गई शर्तों और परिचालनात्मक मार्गदर्शी सिद्धांतों के अधीन होगी।।
3. जुलाई 26,2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.3 द्वारा यथानिर्धारित और जून 8,2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.72 द्वारा किए गए आशोधन के अनुसार सितंबर 26,2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं. 12 द्वारा अनुमत निवेशों की अतिरिक्त श्रेणियों को शामिल करने के लिए उचित आशोधनों के साथ सांख्यकीय प्रयोजनों हेतु रिज़र्व बैंक को मासिक आधार पर रिर्पोंटिंग की आवश्यकता जारी रहेगी । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I नोट करें कि रिज़र्व बैंक को मासिक रिर्पोट अगले महीने की दस तारीख को अथवा उसके पहले प्रस्तुत की जानी है। रिपोर्ट न प्रस्तुत किए जाने को बैंक गंभीरता से लेगा।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भ्ावदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक