एजेंसी बैंकों में सरकारी व्यवसाय की निगरानी
आरबीआई/2015-16/361 7 अप्रैल 2016 अध्यक्ष /प्रबंधक निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी/ महोदया/महोदय एजेंसी बैंकों में सरकारी व्यवसाय की निगरानी जैसा कि आप विदित हैं, सरकारी व्यवसाय के संचालन के लिए एजेंसी बैंकों के साथ किए गए एजेंसी करार के संदर्भ में, भारतीय रिज़र्व बैंक सरकारी व्यवसाय की आवधिक समीक्षा/निरीक्षण करता है। हम अब तक फोकल प्वाइंट शाखाओं और केन्द्रीकृत पेंशन प्रसंस्करण केन्द्रों (सीपीपीसी) सहित चुनिंदा शाखाओं में ऐसी समीक्षा/निरीक्षण करते रहे हैं। समीक्षा/निरीक्षण के अंत में संबंधित शाखा/कार्यालय को संबंधित रिपोर्ट जारी की जा रही थी। 2. अब सरकारी व्यवसाय की निगरानी की एक नई प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, निम्नलिखित मुख्य परिवर्तन होंगे:
3. इस नई व्यवस्था के अंतर्गत, सरकारी व्यवसाय की ऑफसाइट निगरानी शुरू करने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, एजेंसी बैंक अनुबंध 1 और 2 में संलग्न प्रारूपों के अनुसार अपने सरकारी व्यवसाय के विवरण को रिपोर्ट करें। पूर्ण विवरणों को एक प्रति के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय जिसके अधिकार क्षेत्र में बैंक आता है को ई-मेल किया जाए। एजेंसी बैंकों और रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय जिसके अंतर्गत संबन्धित एजेंसी बैंक आता है, की एक सूची अनुबंध 3 में दी गई है। इस तरह की पहली रिपोर्ट 31 मार्च 2016 को समाप्त तिमाही से संबंधित होगी और यह रिपोर्ट उस दिनांक से 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जाए। 4. यह भी निर्णय लिया गया है कि सरकारी व्यवसाय करने वाले बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समय-समय पर बातचीत की जाए। ऐसी बैठकें रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा आयोजित की जाएंगी, एवं भारतीय स्टेट बैंक के मामले में यह बैठक केंद्रीय कार्यालय द्वारा आयोजित की जाएगी। इन अनौपचारिक बैठकों का उद्देश्य एजेंसी बैंक के साथ संचार की शृंखला कायम रखना है और उसके द्वारा संचालित किए जा रहे सरकारी व्यवसाय पर प्रत्यक्ष जानकारी और प्रतिक्रिया प्राप्त करना होगा। चर्चा का एजेंडा मोटे तौर पर बैंक के व्यापकता और उसके द्वारा संभाले जा रहे सरकारी व्यवसाय की प्रकृति पर निर्भर करेगा। चर्चाओं में, कम से कम, निम्नलिखित बिन्दु शामिल होंगे:
भवदीय (जी श्रीकुमार) |
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