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एजेंसी बैंकों में सरकारी व्यवसाय की निगरानी

आरबीआई/2015-16/361
डीजीबीए.जीबीडी.सं–3147/44.01.001/2015-16

7 अप्रैल 2016

अध्यक्ष /प्रबंधक निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी/
एजेंसी बैंक

महोदया/महोदय

एजेंसी बैंकों में सरकारी व्यवसाय की निगरानी

जैसा कि आप विदित हैं, सरकारी व्यवसाय के संचालन के लिए एजेंसी बैंकों के साथ किए गए एजेंसी करार के संदर्भ में, भारतीय रिज़र्व बैंक सरकारी व्यवसाय की आवधिक समीक्षा/निरीक्षण करता है। हम अब तक फोकल प्वाइंट शाखाओं और केन्द्रीकृत पेंशन प्रसंस्करण केन्द्रों (सीपीपीसी) सहित चुनिंदा शाखाओं में ऐसी समीक्षा/निरीक्षण करते रहे हैं। समीक्षा/निरीक्षण के अंत में संबंधित शाखा/कार्यालय को संबंधित रिपोर्ट जारी की जा रही थी।

2. अब सरकारी व्यवसाय की निगरानी की एक नई प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, निम्नलिखित मुख्य परिवर्तन होंगे:

(ए) समीक्षा/निरीक्षण का दायरा अब एजेंसी बैंकों के प्रधान कार्यालयों के सरकारी व्यवसाय को भी कवर करेगा। विभिन्न शाखाओं और सीपीपीसी का दौरा पहले की तरह जारी रहेगा।

(बी) समीक्षा/निरीक्षण के अंत में रिपोर्ट जारी करने की वर्तमान प्रणाली को बंद कर दिया जाएगा। तथापि, कार्यालयों/शाखाओं को कार्रवाई बिंदुओं, यदि कोई हो, की सूचना, जिसकी एक प्रति उसके नियंत्रक कार्यालय को भी प्रेषित करते हुए, दी जाएगी।

(सी) "प्रमुख" के रूप में चिह्नित कार्रवाई बिंदुओं के संबंध में टिप्पणियां रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को जिसके अंतर्गत शाखा/कार्यालय आता है को प्रस्तुत किये जायें।

(डी) जहां तक अन्य कार्रवाई बिन्दुओं का संबंध है, आवश्यक सुधार बैंक द्वारा ही सुनिश्चित किया जाए। तथापि, इसकी गुणवत्ता और निर्वाह की जांच एवं उस पर टिप्पणीआंतरिक लेखा परीक्षा द्वारा की जाए।

3. इस नई व्यवस्था के अंतर्गत, सरकारी व्यवसाय की ऑफसाइट निगरानी शुरू करने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, एजेंसी बैंक अनुबंध 1 और 2 में संलग्न प्रारूपों के अनुसार अपने सरकारी व्यवसाय के विवरण को रिपोर्ट करें। पूर्ण विवरणों को एक प्रति के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय जिसके अधिकार क्षेत्र में बैंक आता है को ई-मेल किया जाए। एजेंसी बैंकों और रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय जिसके अंतर्गत संबन्धित एजेंसी बैंक आता है, की एक सूची अनुबंध 3 में दी गई है। इस तरह की पहली रिपोर्ट 31 मार्च 2016 को समाप्त तिमाही से संबंधित होगी और यह रिपोर्ट उस दिनांक से 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जाए।

4. यह भी निर्णय लिया गया है कि सरकारी व्यवसाय करने वाले बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समय-समय पर बातचीत की जाए। ऐसी बैठकें रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा आयोजित की जाएंगी, एवं भारतीय स्टेट बैंक के मामले में यह बैठक केंद्रीय कार्यालय द्वारा आयोजित की जाएगी। इन अनौपचारिक बैठकों का उद्देश्य एजेंसी बैंक के साथ संचार की शृंखला कायम रखना है और उसके द्वारा संचालित किए जा रहे सरकारी व्यवसाय पर प्रत्यक्ष जानकारी और प्रतिक्रिया प्राप्त करना होगा। चर्चा का एजेंडा मोटे तौर पर बैंक के व्यापकता और उसके द्वारा संभाले जा रहे सरकारी व्यवसाय की प्रकृति पर निर्भर करेगा। चर्चाओं में, कम से कम, निम्नलिखित बिन्दु शामिल होंगे:

(ए) पिछले निरीक्षण के बाद से एजेंसी बैंक के सरकारी व्यवसाय में विकास

(बी) निरीक्षण रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुपालन का निर्वाह;

(सी) सरकारी व्यवसाय से संबंधित बड़ी धोखाधड़ी के मामले में प्रगति;

(डी) शिकायतों के संबंध में स्थिति

(ई) पेंशन संबंधित मुद्दे;

(फ) केन्द्र और राज्य सरकार के विभागों द्वारा उठाए गए मुद्दे जैसे सरकारी निधियों और लगाए गए जुर्माने के विप्रेषण में विलंब;

(जी) एजेंसी बैंक द्वारा सरकारी व्यवसाय के संचालन के संबंध में अपनी आवधिक लेखा परीक्षा/निरीक्षण रिपोर्ट में सी एंड एजी के कार्यालय और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा उठाए गए मुद्दे; और

(एच) अन्य संबंधित मुद्दे

भवदीय

(जी श्रीकुमार)
मुख्य महाप्रबंधक

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