अतिदेय सार्वजनिक जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान - आरबीआई - Reserve Bank of India
अतिदेय सार्वजनिक जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान
भारिबैं/2013-14/121 4 जुलाई 2013 सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) महोदय, अतिदेय सार्वजनिक जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान कृपया सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 के पैरा 4 के खण्ड (10) का अवलोकन करें। एनबीएफसी को प्रवर्तन प्राधिकारी के आदेश पर कभी कभी ग्राहकों की सावधि जमाराशियों को अवरुद्ध (फ्रीज) करना पड़ता है अथवा प्रवर्तन प्राधिकरियों द्वारा जमाराशि के रूप में प्राप्तियों को ज़ब्त कर लिया जाता है। ऐसी जमाराशियों पर ब्याज के भुगतान के संबंध में दुविधा उत्पन्न होती है जिसे या तो सरकारी प्राधिकार द्वारा ज़ब्त कर लिया गया है तथा/अथवा संबंधित सरकारी प्राधिकार से आगामी सूचना प्राप्त होने तक अवरोधित (फ्रोज़ेन) किया गया है, ऐसी स्थिति में एनबीएफसी को सूचित किया जाता है कि वे निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएं:
तथापि, मूलधन तथा उसपर अर्जित ब्याज का अंतिम भुगतान संबंधित सरकारी एजेंसी से एनबीएफसी को उसके संबंध में अनापत्ति प्राप्त होने के बाद ही किया जाए। 2. 4 जुलाई 2013 की अधिसूचना सं: डीएनबीएस 258/सीजीएम (सीआरएस) -2013 की प्रतिलिपि गहन अनुपालन हेतु संलग्न है। भवदीया (सी.आर.संयुक्ता) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. डीएनबीएस(नीप्र).258 /सीजीएम(सीआरएस) 2013 4 जुलाई 2013 भारतीय रिज़र्व बैंक , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर किदेश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए और बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. डीएफसी. 118/डीजी (एसपीटी)-98 में अंतर्विष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशिस्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 को संशोधित करना आवश्यक है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-ञ, 45-ट तथा 45-ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में उसे सक्षम बनाने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एतद्द्वारा उक्त निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है अर्थात- पैरा 4 के खण्ड (10) में “अतिदेय सार्वजनिक जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान” शीर्षक के तहत निम्नलिखित को खंड (10 ए) के रूप में जोड़ा जाए- ‘(10 ए) ऐसी जमाराशियों पर ब्याज के भुगतान के संबंध में जिसे या तो सरकारी प्राधिकार द्वारा ज़ब्त कर लिया गया है तथा/अथवा संबंधित सरकारी प्राधिकार से आगामी सूचना प्राप्त होने तक अवरोधित (फ्रोज़ेन) किया गया है, ऐसी स्थिति में एनबीएफसी को सूचित किया जाता है कि वे निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएं: i. ग्राहक से सावधि जमाराशि की परिपक्वता पर एक अनुरोध पत्र प्राप्त किया जाए। नवीकरण हेतु ग्राहक से अनुरोध पत्र प्राप्त करते समय, एनबीएफस उन्हें सूचित करे कि वे इस बात का उल्लेख करें कि जमाराशि का नवीकरण कितनी अवधि के लिए किया जाना है। यदि ग्राहक नवीकरण की अवधि के विकल्प को नहीं चुनता है तब एनबीएफसी उसे मूल अवधि के बराबर अवधि के लिए नवीन कर सकती है। ii. इसके लिए नई रसीद जारी करने की आवश्यकता नहीं है। किंतु जमा लेज़र में नवीकरण के संबंध में उचित नोटिंग की जानी चाहिए। iii. नवीकरण की सूचना पंजीकृत डाक/स्पीड पोस्ट/कूरियर के माध्यम से संबंधित सरकारी विभाग को देते हुए जमाकर्ता को भी सूचित किया जाए। जमाकर्ता को दी जाने वाली सूचना में नवीनीकृत जमाराशि के ब्याज दर का भी उल्लेख होना चाहिए। iv. यदि अतिदेय अवधि अनुरोध पत्र की प्राप्ति की तारीख से 14 दिन से अधिक नहीं है तो नवीकरण परिपक्वता की तारीख से किया जा सकता है। यदि यह 14 दिनों से अधिक है, तो एनबीएफसी को उनके द्वारा अपनाई गई नीति के अनुसार अतिदेय अवधि के लिए ब्याज का भुगतान करना होगा तथा इसे ब्याज रहित उप- खाता में रखना होगा और मूल सावधि जमा की निर्मुक्ति पर अदा किया जाए। तथापि, मूलधन तथा उसपर अर्जित ब्याज का अंतिम भुगतान संबंधित सरकारी एजेंसी से एनबीएफसी को उसके संबंध में अनापत्ति प्राप्त होने के बाद ही किया जाए। (सी.आर.संयुक्ता) |