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भुगतान अवसंरचना विकास निधि - योजना का विस्तार और संवर्द्धन

आरबीआई/2023-24/101
सीओ.डीपीएसएस.पीओएलसी.सं.एस940/02-29-005/2023-24

29 दिसंबर, 2023

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
कार्ड जारीकर्ता और अधि‍ग्राहक बैंक और गैर-बैंक / प्राधिकृत कार्ड नेटवर्क

महोदया / प्रिय महोदय,

भुगतान अवसंरचना विकास निधि - योजना का विस्तार और संवर्द्धन

कृपया "भुगतान अवसंरचना विकास निधि (पीआईडीएफ) योजना के परिचालन" पर भारतीय रिज़र्व बैंक के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.एडी सं. 900/02.29.005/2020-21 दिनांक 05 जनवरी, 2021 और उसके बाद किए गए संशोधनों का संदर्भ लें।

2. जैसा कि 06 अक्टूबर 2023 के विकास और नियामक नीतियों पर वक्तव्य में घोषणा की गई थी, पीआईडीएफ योजना को दो वर्ष और, यानी 31 दिसंबर, 2025 तक बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा, स्वीकृति बुनियादी ढांचे के परिनियोजन को गति प्रदान करने की दृष्टि से, योजना में निम्नलिखित संवर्द्धन किये जा रहे हैं:

क) देश भर में पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत पहचाने गए लाभार्थियों को, पीआईडीएफ योजना के तहत परिनियोजन के लिए, व्यापारियों के रूप में शामिल किया जाएगा। पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत यानी 17 सितंबर, 2023 के बाद से सभी पात्र संस्थापन पीआईडीएफ योजना के तहत दावों को प्राथमिकता दे सकते हैं।

ख) वर्तमान में, पीआईडीएफ योजना उपकरणों की श्रेणी – भौतिक या डिजिटल, के आधार पर स्वीकृति बुनियादी ढांचे की तैनाती पर सब्सिडी देती है। अन्य समकालीन उपकरणों को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया है, जैसे, (i) साउंडबॉक्स डिवाइस – "स्कैन एंड पे" और नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) द्वारा भुगतान स्वीकृति के साथ-साथ त्वरित ऑडियो भुगतान पुष्टि प्रदान करना, और (ii) आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपकरण – “भीम आधार पे” के माध्यम से व्यापारी द्वारा भुगतान स्वीकार करने के लिए आधार प्रमाणीकरण की सुविधा प्रदान करने वाले प्रमाणित बायोमेट्रिक स्कैनर उपकरण, योजना के तहत सब्सिडी के लिए पात्र होंगे, जिनका संस्थापन 01 अक्टूबर, 2023 के बाद किया गया हो।

ग) विशेष फोकस क्षेत्रों, जैसे उत्तर पूर्वी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेश – जम्मू और कश्मीर और लद्दाख, में 01 अक्टूबर, 2023 के बाद से संस्थापित उपकरणों के लिए सब्सिडी की राशि, उपकरण के प्रकार की अपेक्षा किए बिना, कुल लागत का 75% से बढ़ाकर 90% कर दी गई है।

3. उपरोक्त संवर्द्धन, विस्तृत दिशानिर्देशों सहित, अनुबंध के रूप में संलग्न पीआईडीएफ योजना के ढांचे में शामिल किए गए हैं।

4. ये निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 10 (2) के साथ पठित धारा 18 के तहत जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(गुणवीर सिंह)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

भुगतान अवसंरचना विकास कोष (पीआईडीएफ) योजना

पीआईडीएफ का उद्देश्य देश में स्वीकृति उपकरणों की संख्या को कई गुना बढ़ाना है। समग्र स्वीकृति संबंधी मूलभूत ढांचे की लागत को कम करने के माध्यम से इस योजना से अधिग्राहक बैंकों / गैर-बैंकों और व्यापारियों को लाभ होने की उम्मीद है।

1. वैधता अवधि और पीआईडीएफ लक्ष्य

1.1 01 जनवरी 2021 से पाँच वर्ष तक

1.2 हर वर्ष 30 लाख टच पॉइंट जोड़कर भुगतान स्वीकृति बुनियादी ढांचे को बढ़ाना।

2. पीआईडीएफ की अभिशासन संरचना

2.1 पीआईडीएफ एक पदेन सलाहकार परिषद (एसी) द्वारा शासित होगा।

2.2 सलाहकार परिषद की संरचना: -

  1. श्री टी रबी शंकर1, उप गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक;

  2. श्री सुनील मेहता, मुख्य कार्यपालक, भारतीय बैंक संघ;

  3. श्री सी उभयाशंकर2, मुख्य महाप्रबंधक, डीएफआईबीटी, नाबार्ड;

  4. श्री दिलीप अस्बे, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम;

  5. श्री विश्वास पटेल, अध्यक्ष, पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया;

  6. श्री संदीप घोष3, ग्रुप कंट्री मैनेजर भारत और दक्षिण एशिया, वीज़ा;

  7. श्री विकास वर्मा4, मुख्य परिचालन अधिकारी, मास्टरकार्ड इंडिया;

  8. श्री आर विट्टल राज, चार्टर्ड एकाउंटेंट, कुमार और राज चार्टर्ड एकाउंटेंट; तथा

  9. श्री अविरल जैन5, क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय (पीआईडीएफ के प्रशासक)।

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक सलाहकार परिषद के लिए सचिवालय के रूप में कार्य करेंगे।

2.3 सलाहकार परिषद आवश्यकतानुसार पीआईडीएफ के विभिन्न पहलुओं को देखने के लिए उप-समितियों का गठन कर सकती है।

2.4 सलाहकार परिषद अपने विवेक पर सदस्यों को सहयोजित कर सकती है।

2.5 सलाहकार परिषद पीआईडीएफ के संचालन के लिए उपयुक्त नियम बनाएगी।

3. लक्षित भौगोलिक स्थान

3.1 टियर-3 से टियर-6 केंद्रों में भुगतान स्वीकृति संबंधी बुनियादी ढाँचा बनाने पर प्राथमिक रूप से ध्यान दिया जाएगा।

3.2 इस योजना में टियर-1 और टियर-2 केंद्रों में पीएम स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि योजना) के अंतर्गत कवर किए गए पात्र स्ट्रीट वेंडर शामिल होंगे।

3.3 देश के पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू और कश्मीर और लद्दाख़ के केंद्र शासित प्रदेशों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

4. बाजार और व्यापारी श्रेणी

4.1 आवश्यक सेवाएं (परिवहन, आतिथ्य, आदि), सरकारी भुगतान, ईंधन पंप, पीडीएस दुकानें, स्वास्थ्य सेवा, किराना दुकानें, सडक विक्रेता आदि प्रदान करने वाले व्यापारियों को विशेष रूप से लक्ष्यित भौगोलिक क्षेत्रों में कवर किया जाए।

4.2 धन के उपयोग के लिए पैरामीटर निर्धारित करते समय, उन व्यापारियों को लक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिनका अभी तक टर्मिनलीकरण नहीं हुआ है (ऐसे व्यापारी जिनके पास कोई भुगतान स्वीकृति उपकरण नहीं है)।

5. शामिल किए गए स्वीकृत उपकरणों के प्रकार

5.1 एकाधिक भुगतान स्वीकृति उपकरण / अंतर्निहित कार्ड से भुगतान का समर्थन करने वाला बुनियादी ढांचा जैसे कि फिजिकल पीओएस, एम पीओएस (मोबाइल पीओएस), जीपीआरएस (जनरल पैकेट रेडियो सेवा), पीएसटीएन (सार्वजनिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क) आदि।

5.2 डिजिटल उपकरण, जैसे क्यूआर कोड-आधारित स्वीकृति अवसंरचना।

5.3 पैराग्राफ 5.1 और 5.2 में उल्लिखित उपकरणों के अलावा, स्वीकृति के हाइब्रिड या वैकल्पिक मोड वाले अन्य समकालीन उपकरण, जैसे: -

क) साउंडबॉक्स डिवाइस - "स्कैन एंड पे" और नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) द्वारा भुगतान स्वीकृति के साथ-साथ त्वरित ऑडियो भुगतान पुष्टिकरण प्रदान करना; और

ख) आधार-सक्षम बायोमेट्रिक डिवाइस - प्रमाणित बायोमेट्रिक स्कैनर डिवाइस जो भीम आधार पे के माध्यम से व्यापारी द्वारा भुगतान स्वीकार करने के लिए आधार प्रमाणीकरण की सुविधा प्रदान करते हैं।

5.4 योजना के तहत एक पात्र व्यापारी को एक भौतिक उपकरण और एक डिजिटल या एक अन्य समसामयिक उपकरण प्राप्त किया जा सकता है। विशेष फोकस क्षेत्रों में, योजना के तहत एक पात्र व्यापारी को एक भौतिक, एक डिजिटल और एक अन्य समसामयिक उपकरण के लिए अधिग्रहण किया जा सकता है।

5.5 चूंकि स्वीकृति उपकरणों की लागत संरचना अलग-अलग होती है, इसलिए सब्सिडी की राशि लगाये गए डिवाइस के प्रकार के अनुसार भिन्न होगी। भौतिक स्वीकृति उपकरण की लागत का 60% से 75% और डिजिटल/अन्य समसामयिक उपकरण के लिए 75% से 90% की सब्सिडी ओफर की जाएगी।

5.6. भुगतान के ऐसे तरीके जो अंतर-संचालनीय नहीं हैं, उन्हें पीआईडीएफ के तहत नहीं माना जाएगा।

6. प्रारंभिक कॉर्पस

6.1 पीआईडीएफ के प्रारंभिक कॉर्पस को पैन-इंडिया टर्मिनलाइजेशन शुरू करने और पहले साल में पे-आउट को कवर करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। बैंकों और कार्ड नेटवर्क के लिए पीआईडीएफ में योगदान देना अनिवार्य होगा।

6.2 भारतीय रिज़र्व बैंक कॉर्पस में 250 करोड़ का योगदान करेगा; प्राधिकृत कार्ड नेटवर्क कुल मिलाकर 100 करोड़ का योगदान करेंगे।

6.3 कार्ड जारी करने वाले बैंक क्रमशः 1 और 3 प्रति डेबिट और क्रेडिट कार्ड की दर से कार्ड जारी करने की मात्रा (जिसमें डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड दोनों शामिल हैं) के आधार पर कॉर्पस में योगदान करेंगे।

6.4 31 जनवरी 2021 तक योगदान एकत्र करने का प्रयास किया जाएगा।

6.5 कार्ड भुगतान इको-सिस्टम (कार्ड जारीकर्ता और कार्ड नेटवर्क) में कोई भी नया प्रवेशकर्ता पीआईडीएफ के लिए एक उचित राशि का योगदान करेगा।

7. आवर्ती योगदान

7.1 प्रारंभिक कॉर्पस के अलावा, पीआईडीएफ को कार्ड नेटवर्क और कार्ड जारी करने वाले बैंकों से वार्षिक अंशदान भी प्राप्त होगा:

क) कार्ड नेटवर्क - टर्नओवर आधारित - 1 आधार बिंदु (बीपीएस) अर्थात, 0.01 पैसे प्रति रुपया लेनदेन पर;

ख) कार्ड जारी करने वाले बैंक - टर्नओवर आधारित - 1 बीपीएस और 2 बीपीएस अर्थात क्रमशः डेबिट और क्रेडिट कार्ड के लिए 0.01 पैसे और 0.02 पैसे प्रति रुपया लेनदेन; और वर्ष के दौरान उनके द्वारा जारी किए गए प्रत्येक नए डेबिट और क्रेडिट कार्ड के लिए क्रमशः 1 और 3 की दर से।

7.2 भारतीय रिज़र्व बैंक वार्षिक कमी में योगदान करेगा, यदि कोई हो।

8. संग्रहण तंत्र

8.1 क्रमशः 31 दिसंबर और 30 जून के कार्ड डेटा के आधार पर 31 जनवरी और 31 जुलाई तक।

8.2 पीआईडीएफ में उपलब्ध धनराशि के आधार पर, सलाहकार परिषद कार्ड नेटवर्क और कार्ड जारी करने वाले बैंकों को सूचित कर सकती है कि क्या योजना के संचालन की अवधि के दौरान किसी अर्ध वर्ष के लिए आवर्ती योगदान एकत्र किया जाएगा।

9. शामिल किए गए व्यय के प्रकार

9.1 उपकरण के प्रकार, तैनाती स्थान आदि को ध्यान में रखते हुए पूंजीगत व्यय के लिए सब्सिडी की राशि का दावा करने के लिए मानदंड / नियम सलाहकार परिषद द्वारा निर्धारित किए जाएंगे।

9.2 सब्सिडी तिमाही आधार पर दी जाएगी।

9.3 सब्सिडी के दावों पर कार्रवाई की जाएगी और शुरू में सब्सिडी राशि का 75 प्रतिशत जारी किया जाएगा। शेष 25 प्रतिशत बाद में यह सुनिश्चित करने के बाद जारी किया जाएगा कि निष्पादन पैरामीटर हासिल किए गए हैं, जिसमें स्वीकृति उपकरण की 'सक्रिय' स्थिति और एसी द्वारा परिभाषित 'न्यूनतम उपयोग' मानदंड शामिल हैं, और आगामी वर्ष की 4 तिमाहियों में से 3 में सक्रिय स्वीकृति उपकरण की स्थिति के अधीन है।

9.4 न्यूनतम उपयोग 90 दिनों की अवधि में 50 लेनदेन के रूप में कहा जाएगा और 90-दिन की अवधि में न्यूनतम 10 दिनों का उपयोग सक्रिय स्थिति कही जाएगी।

10. अधिग्राहकों के लिए स्थापना लक्ष्य

10.1 स्थापनाकर्ताओं को स्थापना क्षेत्रों की पहचान के लिए एक वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता है, क्षेत्रीय निदेशक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय (एमआरओ), भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्ताव प्रस्तुत करें और परियोजना को प्रभावी ढंग से लागू करें। इस संबंध में प्रस्तुत करने के लिए पीआईडीएफ प्रस्ताव का प्रारूप संलग्न है (प्रारूप I)।

11. दावें

11.1 योजना प्रतिपूर्ति के आधार पर है; तदनुसार, वेंडर को भुगतान करने के बाद ही दावा प्रस्तुत किया जाएगा।

11.2 अनुवृत्ति के लिए पात्र भौतिक स्वीकृति उपकरण की अधिकतम लागत - 10,000 (अधिकतम 500 तक एकबारगी परिचालन लागत सहित)।

11.3 अनुवृत्ति के लिए पात्र डिजिटल स्वीकृति उपकरण की अधिकतम लागत - 300 (अधिकतम 200 तक एकबारगी परिचालन लागत सहित)।

11.4 सब्सिडी के लिए पात्र अन्य समसामयिक उपकरण की अधिकतम लागत - 2,000 (अधिकतम 300 तक एकबारगी परिचालन लागत सहित)।

11.5 स्थापना के स्थान के आधार पर भौतिक और डिजिटल भुगतान स्वीकृति उपकरणों की लागत की अनुवृत्ति राशि निम्नानुसार होगी:

स्थान भौतिक भुगतान (कुल लागत का %) डिजिटल भुगतान स्वीकृति उपकरण
(कुल लागत का %)
अन्य समसामयिक उपकरण (कुल लागत का %)
टियर-1 से टियर-4 केंद्र 60 75 75
टियर-5 और टियर-6 केंद्र 75 90 90
टियर-5 और टियर-6 केंद्र, पूर्वोत्तर राज्य और जम्मू और कश्मीर और लद्दाख़ के केंद्र शासित प्रदेश 90 90 90
 

11.6 आवेदक द्वारा नाबार्ड आदि जैसे अन्य स्रोतों से सब्सिडी का दावा नहीं किया जाएगा। यदि सब्सिडी प्रदान करने या स्वीकृति बुनियादी ढांचे की तैनाती की लागत की प्रतिपूर्ति के लिए अन्य तंत्र मौजूद हैं, तो उसके लिए पीआईडीएफ से कोई प्रतिपूर्ति का दावा नहीं किया जाएगा।

11.7 अधिग्रहणकर्ताओं को अपने दावे अपने बैंकरों के माध्यम से आरबीआई, एमआरओ को अन्य योजनाओं से दावों के गैर-दोहराव, टर्मिनल व्यापारियों की विशिष्टता और लगाये गये उपकरणों की अंतर-संचालनीयता के बारे में स्व-घोषणा के साथ प्रस्तुत करने होंगे ।

11.8 सभी प्रारंभिक दावों को व्यय की प्रतिपूर्ति (जीएसटी के अंतर्गत बैंक / गैर-बैंक द्वारा प्राप्त / प्राप्त करने योग्य इनपुट टैक्स क्रेडिट घटाएँ) (प्रारूप II) के अनुसार प्रस्तुत किया जाएगा। पात्र अनुवृत्ति के शेष के लिए के लिए दूसरा दावा प्रारूप (प्रारूप III) के अनुसार स्थापित उपकरणों के संबंध में 'न्यूनतम उपयोग' और 'सक्रिय स्थिति' मानदंड की पूर्ति के संबंध में स्वघोषणा के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।

12. रिपोर्टिंग

12.1 अधिग्रहणकर्ता आरबीआई, एमआरओ को मासिक तैनाती रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।


1 पूर्वाधिकारी: श्री बी पी कानूनगो

2 पूर्वाधिकारी: सुश्री रोज़ी शेरिंग, श्री डी नागेश्वर राव और श्री जे एस उपाध्याय

3 पूर्वाधिकारी: श्री शैलेश पॉल के पूर्ववर्ती

4 पूर्वाधिकारी: श्री राजीव कुमार और श्री विकास सरावगी

5 पूर्वाधिकारी: श्री अजय मिच्यारी

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