भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) बनाये रखने में हुई चूक पर दंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) बनाये रखने में हुई चूक पर दंड
ग्राआऋवि.आरएफ. बीसी. 17/07.02.01/2006-07
11 अगस्त 2006
सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक तथा
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) बनाये रखने में हुई चूक पर दंड
कृपया उपर्युक्त विषय पर 22 जून 2006 का हमारा परिपत्र भारिबैं/2005-2006/424. ग्राआऋवि.आरएफ. बीसी. 93/07.02.01/2005-06 देखें जिसमें यह सूचित किया गया था कि 24 जून 2006 को शुरू होनेवाले पखवाड़े से रिज़र्व बैंक अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों
द्वारा रखे गए सीआरआर शेष पर कोई भी ब्याज अदा नहीं करेगा ।
2. इसके परिणामस्वरूप, 24 जून 2006 को शुरू होनेवाले पखवाड़े से अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा सीआरआर बनाए रखने में की गयी चूक के मामलों में निम्नानुसार दंडात्मक ब्याज प्रभरित किया जाएगा:
व दैनिक आधार पर अपेक्षित सीआरआर, जो कि वर्तमान में अपेक्षित कुल आरक्षित नकदी निधि अनुपात का 70 प्रतिशत है, को बनाए रखने में की गयी चूक के मामलों में उस दिन के लिए निर्धारित न्यूनतम रशि से वास्तव में बनाए रखी गयी रशि जितनी रशि से कम है, उस पर बैंक दर के अतिरिक्त तीन प्रतिशत प्रति वर्ष की दर पर उस दिन के लिए दंडात्मक ब्याज वसूल किया जाएगा तथा यदि यह कमी अगले अनुवर्ती दिन/दिनों में जारी रहती है तो बैंक दर के अतिरिक्त पांच प्रतिशत प्रति वर्ष की दर पर दंडात्मक ब्याज वसूल किया जाएगा ।
वव सीआरआर बनाए रखने में किसी पखवाड़े के दौरान औसत आधार पर चूक के मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (3) में परिकल्पित किए अनुसार दंडात्मक ब्याज वसूल किया जाएगा ।
भवदीय
(के. भट्टाचार्य)
महाप्रबंधक