विदेशी प्रतिभूतियों की खरीद/ अर्जन हेतु अनुमति - स्पष्टीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी प्रतिभूतियों की खरीद/ अर्जन हेतु अनुमति - स्पष्टीकरण
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 16 15 दिसम्बर 2001 प्रति विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी प्रिय महोदय, /महोदया विदेशी प्रतिभूतियों की खरीद/ अर्जन हेतु अनुमति - स्पष्टीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान दिनांक 28 अप्रैल 2001 के ए.पी.(डीआइआरसिरीज) परिपत्र सं.32 के पैरा 2 के मद (ङ) की ओर आकृष्ट किया जाता है। समय-समय पर यथा संशोधित दिनांक 3 मई 2000 की भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा 19/2000-आरबी के विनियम 19 के अनुसार प्राधिकृत व्यापारियों को यह अनुमति दी गई है कि वे भारत में निवास करनेवाले किसी व्यक्ति को,व्यक्तिगत की हैसियत से, विप्रेषण की अनुमति दे सकते है, जो विदेशी कंपनी के भारत में किसी कार्यालय आविा शाखा आविा भारत में विदेशी कंपनी आविा किसी सहायक कंपनी का कर्मचारी अथवा निदेशक है जिसमें विदेशी ईक्विटी धारिता 51 प्रतिशत से कम नहीं है बशर्ते शेयरों का ऍधफर रियायती मूल्य पर किया गया हो। विनियम 19 के उप-प्ठरा (2) में यथा पारिभाषित पात्र निवासियों को प्रति कैलेण्डर वर्ष 20,000 अमेरिकन डालर अथवा उसके समकक्ष तक विप्रेषण की अनुमति दी गई है, बशर्ते शेयरों का ऑफर रियायती के रुप में किया गया हो। 2. यह स्पष्ट किया जाता है कि कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना (ईएसओपी) के अंतर्गत शेयरों के मूल्य में ऑफर किये जानेवाले रियायती को शेयरों को जारी करनेवाली विदेशी कंपनी अथवा उसकी भारतीय शाखा/कार्यालय/सहायक अथवा भारत में कंपनी जिसकी विदेशी ईक्विटी शेयर धारिता 51 प्रतिशत से कम नही है, 3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये। 4. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए है। भवदीय ग्रेस कोशी |