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व्यवसाय प्रयोजनों के लिए शेयर गिरवी रखना

भारिबैंक/2010-11/497
.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.57

 2 मई 2011

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक

महोदया/महोदय

व्यवसाय प्रयोजनों के लिए शेयर गिरवी रखना

मौजूदा फेमा विनियमावली के तहत, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। (एडी श्रेणी-।) बैंकों को, प्रवर्तकों द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के तहत उधार लेने वाली कंपनी/उधार लेने वाली कंपनी की घरेलू सहयोगी कंपनी के धारित शेयरों को बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए कतिपय शर्तों के अंतर्गत प्रतिभूति के रूप में गिरवी रखने हेतु मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) लेने संबंधी दिशा-निर्देशों के अनुसार निवासी पात्र उधारकर्ताओं को 'अनापत्ति' की सूचना देने के अधिकार प्रत्यायोजित किये गये हैं। [देखें 11 जुलाई 2008 का ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.1] । प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से संबंधित सभी अन्य लेनदेनों के संबंध में शेयरों को गिरवी रखने के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना आवश्यक है ।

2. मौजूदा फेमा विनियमावली की अब पुनरीक्षा की गयी है तथा भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आने की प्रक्रिया को और उदार, युक्तिसंगत तथा सरल बनाने के लिए और लेनदेन में लगनेवाले समय को कम करने का निर्णय लिया गया है । तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों को, निम्नलिखित मामलों में, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के अनुसार, अनिवासी निवेशक/निवेशकों द्वारा धारित किसी भारतीय कंपनी के शेयर गिरवी रखने के लिए नीचे दर्शायी गयी शर्तों के अनुपालन के अधीन अनुमति देने के अधिकार प्रत्यायोजित किए गये हैं ।

(i) वास्तविक व्यवसाय प्रयोजनों के लिए निवासी निवेशिती कंपनी को दी जा रही ऋण सुविधाएं जारी रखने के लिए अनिवासी निवेशकर्ता द्वारा किसी भारतीय कंपनी के धारित शेयर, निम्नलिखित शर्तों पर भारत में किसी भारतीय बैंक के पक्ष में गिरवी रखे जा सकते हैं :

(ए) गिरवी रखे शेयरों के आह्वान (इनवोकेशन) के मामले में, शेयरों का अंतरण गिरवी रखने के समय प्रचलित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के अनुसार होना चाहिए;

(ब) निवेशिती कंपनी के सांविधिक लेखा-परीक्षक से इस आशय का एक घोषणापत्र/वार्षिक प्रमाणपत्र     प्राप्त कर प्रस्तुत किया जाना चाहिए कि ऋण राशि का उपयोग घोषित प्रयोजन के लिए किया     जाएगा/किया गया है;

(सी) भारतीय कंपनी को सेबी के प्रकटन(Disclosure) से संबंधित मानदंडों का पालन करना होगा; और

(डी) उधारदाता(बैंक) के पक्ष में शेयरों को गिरवी रखना बैंककारी विनियम अधिनियम, 1949 की धारा 19 की अपेक्षा पूरी करने की शर्त पर होगा ।

(ii)  अनिवासी निवेशक द्वारा किसी भारतीय कंपनी के धारित शेयर, भारतीय कंपनी अथवा उसकी ओवरसीज समूह की कंपनी के अनिवासी निवेशक / अनिवासी प्रवर्तक को प्रदान की जा रही ऋण सुविधाएं जारी रखने के लिए निम्नलिखित शर्तों पर किसी ओवरसीज बैंक के पक्ष में गिरवी रखे जा सकते हैं :

(ए) ऋण केवल किसी ओवरसीज बैंक से लिया जाए;

(बी) ऋण का उपयोग विदेश में वास्तविक व्यवसाय प्रयोजनों के लिए किया जाए और भारत में उसे     प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष निवेशों के लिए न किया जाए;

(सी) ओवरसीज निवेश का प्रभाव भारत में पूंजी के अंत:प्रवाह के रूप में नहीं होना चाहिए;

(डी) गिरवी रखे शेयरों के आह्वान (इनवोकेशन) के मामले में, शेयरों का अंतरण गिरवी रखने के     समय प्रचलित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के अनुसार होना चाहिए;

(ई) अनिवासी उधारकर्ता के सनदी लेखाकार/सर्टिफाइड पब्लिक एकाउंटेंट से इस आशय का एक     घोषणापत्र/वार्षिक प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए कि ऋण राशि का उपयोग घोषित प्रयोजन के     लिए किया जाएगा/किया गया है ।

2. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

3.प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

4.इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं ।

भवदीया

  (मीना हेमचंद्र)
   प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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