बाह्य वाणिज्यिक उधारों की ज़मानत : उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधारों की ज़मानत : उदारीकरण
आरबीआइ/2008-09/92 11 जुलाई 2008 सेवा में महोदय/महोदया बाह्य वाणिज्यिक उधारों की ज़मानत : उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्यिक उधारों (ईसीबी) पर ज़मानत लेने से संबंधित 01 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर.सिरीज)परिपत्र सं.5 के अनुबंध के पैराग्राफ 1(ए)(vii) तथा 1(बी)( vi) की ओर आकर्षित किया जाता है। 2. मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुसार समुद्रपारीय उधारदाता/ आपूर्तिकर्ता को दी जाने वाली ज़मानत का विकल्प उधारकर्ता को ही चुनना । फिर भी, समुद्रपारीय उधारदाता के पक्ष में अचल परिसंपत्तियों और शेयर जैसी वित्तीय प्रतिभूति यों पर प्रचार का सृजन समय-समय पर यथासंशोधित क्रमश: मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.21/आरबी-2000 के विनियम 8 और मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/आरबी-2000 के विनियम 3 के अधीन ै। तद्नुसार, अचल संपत्तियों और वित्तीय प्रतिभूतियों तथा कारपोरेट अथवा निजी गारंटियों पर , उधारदाता की ओर से समुद्रपारीय उधारकर्ता के पक्ष में , स्व-चालित /अनुमोदन मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार को कवर देने हेतु प्रचार के सृजन के लिए प्रस्तावों पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विचार किया जाता है । 3. वर्तमान प्रक्रिया को युक्तिसंगत बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को अनुमति दी जाये कि वे विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999 के अंतर्गत अचल परिसंपत्तियों और वित्तीय प्रतिभूतियों तथा कारपोरेट अथवा निजी गारंटियों पर, उधारदाता की ओर से समुद्रपारीय उधारकर्ता/जमानत ट्रस्टी पर उधारकर्ता द्वारा की जाने वाली बाह्य वाणिज्यिक उधार उगाही के बचाव के लिए प्रचार-सृजन हेतु ’ आपत्ति नहीं ’ प्रमाणपत्र जारी करें । 4. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999 के अंतर्गत ’आपत्ति नहीं ’ प्रमाणपत्र देने से पूर्व प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक स्वयं को संतुष्ट और सुनिश्चित कर लें (i) अन्तर्निहित बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुरूप है । (ii) अचल संपत्तियों और वित्तीय प्रतिभूति यों तथा कारपोरेट अथवा निजी गारंटियों पर प्रचार के सृजन के लिए उधारदाता द्वारा की जाने वाली संविदा में सुरक्षा संबंधी उपबंध रखा गया है। iii) ऋण संविदा पर उधारदाता /उधारकर्ता दोनों के हस्ताक्षर हैं । (iv) उधारकर्ता ने भारतीय रिज़र्व बैंक से ऋण पंजीकरण संख्या (एलआरएन) प्राप्त कर लिया है । 5. उपर्युक्त शर्तों का अनुपालन हो जाने पर श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक , विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999 के अंतर्गत अचल परिसंपत्तियों और वित्तीय प्रतिभूति यों और निजी अथवा कारपोरेट गारंटीं पर प्रचार के सृजन के लिए क्रमश: 6(a), 6(b) और 6(c) पैराग्राफों में उल्लिखित शर्तों पर अपना ’ आपत्ति नहीं ’ प्रमाणपत्र सकते हैं । 6(a) अचल संपत्ति पर प्रचार का सृजन (ii) अचल परिसंपत्तियों पर ऐसे प्रचार की अवधि अंतर्निहित बाह्य वाणिज्यिक उधार के (ईसीबी) की परिपक्वता साथ साथ पूरी होती हों । (iii) ऐसे ’ आपत्ति नहीं ’ प्रमाणपत्र का यह अर्थ नहीं है कि किसी समुद्रपारीय उधारदाता /प्रतिभूति ट्रस्टी को भारत में अचल परिसंपत्ति (संपत्ति) अर्जित करने की अनुमति मिल गयी हो । 6(b) वित्तीय प्रतिभूति यों पर प्रचार का सृजन 7. 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं.फेमा.120/आरबी-2004 डविदेशी मुद्रा प्रबंध (अंतरण अथवा किसी विदेशी प्रतिभूति का निर्गम) विनियमावली 2004 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 8. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राों को अवगत करा दें। 9. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए ं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है। भवदीय (सलीम गंगाधरन) |