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व्यवसाय प्रयोजनों के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के पक्ष में शेयर गिरवी रखना

भारिबैंक/2013-14/633
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 141

6 जून 2014

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

व्यवसाय प्रयोजनों के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के पक्ष में शेयर गिरवी रखना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 2 मई 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 57 के पैरा 2(i) के उपबंधों की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार निवेश प्राप्तकर्ता निवासी कंपनी के वास्तविक व्यवसाय प्रयोजनों के लिए ऋण सुविधाएं देने हेतु किसी अनिवासी निवेशक द्वारा भारतीय कंपनी के धारित शेयरों को, उसमें दी गई शर्तों के तहत, भारत स्थित किसी बैंक के पक्ष में गिरवी रखा जा सकता है।

2. इस प्रक्रिया को और युक्तियुक्त बनाने तथा लेनदेन में लगने वाले समय को घटाने के दृष्टिकोण से, यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के अनुसार किसी अनिवासी निवेशक द्वारा किसी भारतीय कंपनी के धारित ईक्विटी शेयरों को निवेश प्राप्तकर्ता निवासी कंपनी के वास्तविक व्यवसाय प्रयोजनों/परिचालनों के लिए ऋण सुविधाएं जुटाने हेतु किसी सूचीबद्ध अथवा गैर-सूचीबद्ध गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के पक्ष में गिरवी रखने के लिए, निम्नलिखित शर्तों के अनुपालन के अधीन, अनुमति देने के अधिकार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों में प्रत्यायोजित किए जाएं:

(ए) केवल उन ईक्विटी शेयरों को किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के पक्ष में गिरवी रखा जा सकेगा जो भारत में किसी मान्यताप्राप्त स्टाक एक्स्चेंज/जों में सूचीबद्ध हों;

(बी) गिरवी के आह्वान (इनवोकेशन) के मामले में, शेयरों का अंतरण समय-समय पर यथा संशोधित 1 जुलाई 2013 के मास्टर परिपत्र डीएनबीएस(पीडी)सीसी.333/03.02.001/2013-14 में विनिर्दिष्ट ऋण संकेंद्रन मानकों के अनुसार होना चाहिए;

(सी) (i) प्राधिकृत व्यापारी निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी के निदेशक बोर्ड से इस आशय का एक पूर्व संकल्प प्राप्त करे कि शेयरों को गिरवी रखने से प्राप्त ऋण राशि का उपयोग निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी द्वारा केवल घोषित प्रयोजन के लिए किया जाएगा; (ii) प्राधिकृत व्यापारी निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी के सांविधिक लेखा परीक्षक से इस आशय का उत्तरवर्ती प्रमाणपत्र भी प्राप्त करे कि शेयरों को गिरवी रखने से प्राप्त आगम राशि का उपयोग निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी द्वारा केवल घोषित प्रयोजन के लिए किया गया है;

(डी) भारतीय कंपनी को सेबी द्वारा विनिर्दिष्ट प्रकटीकरण (Disclosure) मानदंडों का पालन करना होगा;

(ई) किसी भी परिस्थिति में, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा ऋण संकेंद्रन मानकों को भंग नहीं करना चाहिए। यदि गिरवी के आह्वान पर ऋण संकेंद्रन मानक भंग होते हों, तो शेयरों की बिक्री कर देनी चाहिए और गिरवी के आह्वान की तारीख से 30 दिनों के भीतर उक्त मानक के भंग होने को दुरुस्त कर लेना चाहिए।

3. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब मूल विनियमावली में 30 मई 2014 के जीएसआर सं.370(ई) के मार्फत 22 मई 2014 की अधिसूचना सं. फेमा. 305/2014-आरबी के जरिए विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम)(पांचवां संशोधन) विनियमावली, 2014 द्वारा संशोधन कर दिए हैं।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं ।

5. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं ।

भवदीय,

(बी.पी.कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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