RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79050727

जनता की जमाराशियों या जमाराशियों की परिपक्वतापूर्व अदायगी

भारिबैं/2005-2006/231
गैबैंपवि. (नीति प्रभाग)कं.परि.सं./ 60 /02.01. /2005-2006

9 दिसंबर 2005

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ,
विविध गैर बैंकिंग कंपनियाँ और
अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियाँं
प्रिय महोदय

जनता की जमाराशियों या जमाराशियों की परिपक्वतापूर्व अदायगी

कृपया आप उपर्युक्त विषय पर 5 अक्तूबर 2004 के हमारे परिपत्र सं. गैबैंपवि.(नीति प्रभाग) कं.परि. सं. 44/02.01/2004-2005 का अवलोकन करें। उल्लिखित परिपत्र के पैराग्राफ 3(5) में यह विहित है कि एकमात्र/जमाकर्ताओं में से जिसका नाम पहले है और वह उसी(एकमात्र की) हैसियत वाला है, के नाम में दर्ज सभी जमाखातोंगत राशियों को परिपक्वतापूर्व अदायगी के प्रयोजन के लिए एक में जुड़ा/सम्मिलित और एक जमा खाता माना जाएगा।

2. इस बात पर जोर दिया जाता है कि जमाराशियों को जोड़ने/सम्मिलित करने का उक्त प्रावधान केवल समस्याग्रस्त गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों / अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों / विविध गैर बैंकिंग कंपनियों के मामले में ही लागू है और इस स्थिति को स्पष्ट करने के लिए प्रावधानों को संशोधित किया गया है। उल्लिखित तारीख की संशोधनकारी अधिसूचना सं. 182-184 के साथ-साथ निम्नलिखित अधिसूचनाएं :

क. DFC. 118/DG(SPT)-98, दिनांक 31 जनवरी 1998
ख. DFC. 55/DG(O) - 87, दिनांक 15 मई 1987 तथा
ग. DNBC. 39/DG(H)- 77, दिनांक 20 जून 1977

(अब तक यथासंशोधित) आपकी सूचना एवं अतिसावधानी पूर्वक अनुपालन करने के लिए संलग्न हैं।

3. इस प्रकार सभी जमाखातेगत राशियों को जोड़ने/सम्मिलित करने का प्रावधान एकमात्र/ जमाकर्ताओं में से जिसका नाम पहले है और वह उसी(एकमात्र की) हैसियत वाला है के नाम में रु. 10,000/- तक की शेष जमाराशि की परिपक्वतापूर्व अदायगी करने अथवा ऋण मंजूर करने, जैसाकि लागू हो, केवल समस्याग्रस्त गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों / अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों / विविध गैर बैंकिंग कंपनियों के मामले में ही लागू है।

4. हम इस बात को दोहराते हैं कि किसी जमाकर्ता की मृत्यु होने की दशा में, यहाँ तक कि, समस्याग्रस्त गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां / अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियां / विविध गैर बैंकिंग कंपनियां अवरुद्ध अवधि में भी जमाराशि/जनता की जमाराशि को बिना जोड़े/सम्मिलत किये भी अदा कर सकती हैं।

5. आप इसकी पावती भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेंजें जिसके अधिकार क्षेत्र में आपकी कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आता है।

भवदीय

(पी. कृष्णामूर्ति)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर -1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400005

अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 182/मुमप्र(पी.के.)-2005, दिनांक 9 दिसंबर 2005

भारतीय रिज़र्व बैंव , इस बात पर विचार करने के बाद कि जनता के हित में यह आवश्यक है और इस बात से संतुष्ट होने पर कि देश के हित में साख प्रणाली को विनियमित करने के लिए यह आवश्यक है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा जनता से जमाराशियाँ स्वीकार करने संबंधी(रिज़र्व बैंक ) निदेश, 1998 को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2)की धाराओं 45ञ, 45ञक, 45ट और 45 ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और इस संबंध में उसे सक्षम बनाने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निदेश देता है कि 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. अ्इण्118/अ्उ(एझ्ऊ)-98 में अंतर्विष्ट उक्त निदेश तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित होता है अर्थात-

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा जनता से जमाराशियाँ स्वीकारने संबंधी(रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैरा 4 के उप पैरा(14), के खण्ड (वख्) को निम्नवत प्रतिस्थापित किया जाता है:

"समस्यागस्त गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा जमाराशियाें को जोड़ना /एक में मिलाना

(वख्) समस्याग्रस्त गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा एकमात्र/जमाकर्ताओं में से जिसका नाम पहले है और वह उसी(एकमात्र की) हैसियत वाला है के नाम के सभी जमाखातों में शेष राशि को परिपक्वतापूर्व आहरण या ऋण प्रदान करने के प्रयोजन के लिए एक में जोड़ा जाएगा/ सम्मिलित किया जाएगा और एक ही खाता माना जाएगा";

बशर्ते यह प्रावधान, जैसाकि उप पैरा(व) में दिया गया है, किसी जमाकर्ता की मृत्यु होने की दशा में परिपक्वतापूर्व आहरण के मामले में लागू नहीं होगा"।

(पी. कृष्णामूर्ति)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर -1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400005

अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 183/मुमप्र(पी.के.)-2005, दिनांक 9 दिसंबर 2005

भारतीय रिज़र्व बैंव , इस बात पर विचार करने के बाद कि जनता के हित में यह आवश्यक है और इस बात से संतुष्ट होने पर कि देश के हित में साख प्रणाली को विनियमित करने के लिए यह आवश्यक है भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2)की धाराओं 45ञ, 45ञक, 45ट और 45 ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और इस संबंध में उसे सक्षम बनाने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निदेश देता है कि 15 मई 1987 की अधिसूचना सं. अ्इण्. 55/अ्उ(ध्)-87 में अंतर्विष्ट अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों संबंधी (रिज़र्व बैंक) निदेश तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित होता है अर्थात-

अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियाँ(रिज़र्व बैंक) निदेश, 1987 के पैरा 5ख के उप पैरा(ख्) को निम्नवत प्रतिस्थापित किया जाता है:

"समस्यागस्त अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनी द्वारा जमाराशियाें को जोड़ना /एक में मिलाना

(ख्) समस्याग्रस्त अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनी द्वारा एकमात्र/जमाकर्ताओं में से जिसका नाम पहले है और वह उसी(एकमात्र की) हैसियत वाला है के नाम के सभी जमाखातों में शेष राशि को परिपक्वतापूर्व आहरण के प्रयोजन के लिए एक में जोड़ा जाएगा/ सम्मिलित किया जाएगा और एक ही खाता माना जाएगा";

बशर्ते यह प्रावधान, जैसाकि उप पैरा(व) में दिया गया है, किसी जमाकर्ता की मृत्यु होने की दशा में परिपक्वतापूर्व आहरण के मामले में लागू नहीं होगा"।

(पी. कृष्णामूर्ति)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर -1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400005

अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 184/मुमप्र(पी.के.)-2005, दिनांक 9 दिसंबर 2005

भारतीय रिज़र्व बैंव , इस बात पर विचार करने के बाद कि जनता के हित में यह आवश्यक है और इस बात से संतुष्ट होने पर कि देश के हित में साख प्रणाली को विनियमित करने के लिए यह आवश्यक है कि विविध गैेर बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक ) निदेश, 1977 को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2)की धाराओं 45ञ, 45ञक, 45ट और 45 ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और इस संबंध में उसे सक्षम बनाने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निदेश देता है कि 20 जून 1977 की अधिसूचना सं. अ्ब्ँण्.39/अ्उ(प्)-77 में अंतर्विष्ट उक्त निदेश तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित होता है अर्थात-

विविध गैेर बैंकिंग कंपनियों संबंधी(रिज़र्व बैंक) निदेश, 1977 के पैरा 9ख के उप पैरा(वख्) को निम्नवत प्रतिस्थापित किया जाता है:

"समस्यागस्त गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा जमाराशियाें को जोड़ना /एक में मिलाना

(वख्) समस्याग्रस्त गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा एकमात्र/जमाकर्ताओं में से जिसका नाम पहले है और वह उसी(एकमात्र की) हैसियत वाला है के नाम के सभी जमाखातों में शेष राशि को परिपक्वतापूर्व आहरण या ऋण प्रदान करने के प्रयोजन के लिए एक में जोड़ा जाएगा/ सम्मिलित किया जाएगा और एक ही खाता माना जाएगा";

बशर्ते यह प्रावधान, जैसाकि उप पैरा(व) में दिया गया है, किसी जमाकर्ता की मृत्यु होने की दशा में परिपक्वतापूर्व आहरण के मामले में लागू नहीं होगा"।

(पी. कृष्णामूर्ति)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?