RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S2

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79069510

धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत अधिसूचित नियमों के अनुसार धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत अधिसूचित नियमों के अनुसार

आरबीआइ/2008-2009/86

आरबीआइ/2008-2009/86
शबैंवि.केंका.बीपीडी.(पीसीबी) सं. 1/12.05.001/2008-09

2 जुलाई 2008

मुख्य कार्यपालक अधिकारीं
सभी प्रथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदय,

धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत अधिसूचित नियमों के अनुसार
बैंकों का दायित्व - शहरी सहकारी बैंक

कृपया उपर्युत विषय पर 21 मार्च 2006 का हमारा परिपत्र शबैं. केंका. बीपीडी. (पीसीबी) सं 38 /09.16.100/2005-06 देखें। उक्त परिपत्र के पैराग्राफ 4 और 5 में यह सूचित किया गया था कि बैंकों से अपेक्षित है कि वे नियम 3 में उल्लिखित अपने ग्राहक के साथ किए गए लेनदेन से संबंधित जानकारी रखना आवश्यक हें। आगे यह स्पष्ट किया जाता है कि बैंकों को पूर्वोत नियम 3 में उल्लिखित सभी लेनदेन से संबंधित जानकारी निदेशक, वित्तीय आसूचना इकाई- भारत (एफआइयू-आइएनडी) को भी रिपोर्ट करनी चाहिए।

2. ‘अपने ग्राहक को जानिए’ मानदंड तथा धन शोधन निवारण उपायों पर दिशानिर्देश संबंधी हमारे 15 दिसंबर 2004 के परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.परि. 30 /09.161.00/2004-05 के पैराग्राफ 2 में निहित अनुदेशों के अनुसार शहरी सहकारी बैंकों को जोखिम वर्गीकरण के आधार पर प्रत्येक ग्राहक का एक प्रोफाइल तैयार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त 25 फरवरी 2008 के हमारे परिपत्र के पैरा 4 में जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। अत:, इस बात को दोहराया जाता है कि लेनदेन निगरानी व्यवस्था के एक भाग के रूप में बैंकों को एक ऐसा उपयुक्त सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन स्थापित करना चाहिए जो ग्राहक के अद्यतन प्रोफाइल तथा जोखिम वर्गीकरण से असंगत लेनदेन होने पर सतर्कता का संकेत दे। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि सतर्कता के संकेत देनेवाला एक सक्षम सॉफ्टवेयर संदिग्ध लेनदेन की प्रभावी पहचान तथा रिपोर्टिंग के लिए आवश्यक है।

3. 21 मार्च 2006 के हमारे उपर्युत परिपत्र के पैराग्राफ 6 में बैंकों को सूचित किया गया था कि वे एफआइयू-आइएनडी को भेजी जाने वाली नकद लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) तथा संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) को इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल करने के लिए तत्काल कदम उठाएं। एफआइयू-आइएनडी ने सूचित किया है कि बहुत सारे बैंकों ने अभी तक इलेक्ट्रॉनिक रिपोर्ट फाइल नहीं की हैं । अत: यह सूचित किया जाता है कि उन बैंकों के मामले में जहां सभी शाखाएं अभी तक पूर्णत: कंप्यूटरीकृत नहीं हुई हैं, बैंक के प्रधान अधिकारी को चाहिए कि वे कंप्यूटरीकृत नहीं हुई शाखाओं से लेनदेन के ब्यौरों को छांटकर, उन्हें एफआइयू-आइएनडी द्वारा अपनी वेबसाइट http://fiuindia.gov.in पर उपलब्ध कराई गयी सीटीआर/एसटीआर की एडिटेबल इलैक्ट्रॉनिक यूटिलिटिज की सहायता से एक इलैक्ट्रॉनिक फाइल में डालने की उपयुत व्यवस्था करें।

4. . 21 मार्च 2006 के हमारे उपर्युत परिपत्र के पैराग्राफ 6(।) (क) में बैंकों को सूचित किया गया था कि वे प्रत्येक महीने की नकद लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) एफआइयू-आइएनडी को परवर्ती महीने की 15 तारीख तक अवश्य भेजें। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि शाखाओं द्वारा अपने नियंत्रक कार्यालयों को भेजी जाने वाली नकद लेनदेन रिपोर्ट अनिवार्यत:मासिक आधार (पाक्षिक आधार पर नहीं) पर प्रस्तुत की जानी चाहिए तथा बैंकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्धारित समय अनुसूची के अनुसार एफआइयू-आइएनडी को प्रत्येक महीने की सीटीआर प्रस्तुत की जाती है।

5. सीटीआर के संबंध में यह पुन: सूचित किया जाता है कि दस लाख रुपये की उच्चतम सीमा आपस में जुड़े नकद लेनदेन पर भी लागू होगी। इसके अलावा, एफआइयू-आइएनडी के साथ विचार-विमर्श करने के बाद यह स्पष्ट किया जाता है कि :

क) आपस में जुड़े नकद लेनदेन को निर्धारित करने के लिए बैंकों को एक कैलेंडर महीने के दौरान किसी खाते में किए गए ऐसे सभी अलग-अलग नकद लेनदेन को ध्यान में लेना होगा जहां नामे अथवा जमा प्रविष्टियों का अलग-अलग योग महीने के दौरान दस लाख रुपये से अधिक है। तथापि, सीटीआर फाइल करते समय पचास हजार रुपये से कम अलग-अलग नकद लेनदेन के ब्यौरों को न दर्शाया जाए। आपस में जुड़े नकद लेनदेन का उदाहरण अनुबंध - 1 में दिया गया है।

ख) सीटीआर में केवल वही लेनदेन होने चाहिए जो बैंक ने अपने ग्राहकों की ओर से किए हैं। बैंक के आंतरिक खातों के बीच किए गए लेनदेन इसमें शामिल नहीं होंगे।

ग) जहां जाली अथवा नकली भारतीय मुद्रा नोटों का असली के रूप में उपयोग किया गया हो, वहां ऐसे सभी नकद लेनदेनों की सूचना प्रधान अधिकारी द्वारा अनुबंध II तथा III में दिए गए फॉर्मेट में एफआइयू-आइएनडी को तत्काल भेजी जानी चाहिए। इन नकद लेनदेनों में ऐसे लेनदेन भी शामिल होने चाहिए जहां मूल्यवान प्रतिभूति अथवा दस्तावेजों की जालसाजी की गई है। यह सूचना एफआइयू-आइएनडी को प्लेन टेक्स्ट में भेजी जानी चाहिए।

6. 15 दिसंबर 2004 के हमारे परिपत्र शबैवि.पीसीबी.परि.सं. 30/09.161.00/2004-05 से संलग्न अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धन शोधन निवारण उपायों से संबंधित दिशानिर्देशों के पैराग्राफ 4 में बैंकों को सूचित किया गया है कि वे सभी जटिल, असामान्य रूप से बड़े लेनदेन और लेनदेन के ऐसे असामान्य स्वरूप की ओर विशेष ध्यान दें जिनका कोई सुस्पष्ट आर्थिक अथवा विधि सम्मत प्रयोजन न हो। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि जहां तक संभव हो ऐसे लेनदेन से संबंधित सभी दस्तावेज / कार्यालयीन अभिलेख / ज्ञापन सहित उसकी पृष्ठभूमि तथा उसके प्रयोजन की जांच की जाए तथा शाखा तथा प्रधान अधिकारी दोनों स्तर पर प्राप्त निष्कर्षों को उचित रूप से रिकार्ड किया जाए। धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की अपेक्षा के अनुसार इन अभिलेखों को दस वर्ष की अवधि के लिए परिरक्षित किया जाना है।लेनदेन की संवीक्षा से संबंधित दिन-प्रति-दिन का कार्य करने में लेखा परीक्षकों की सहायता के लिए तथा रिज़र्व बैंक/अन्य संबंधित प्राधिकारियों को भी ऐसे रिकार्ड तथा संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराये जाएँ।

7. 21 मार्च 2006 के परिपत्र के पैराग्राफ 7 में बैंकों को सूचित किया गया है कि एफआइयू-आइएनडी को उनके द्वारा भेजे गए एसटीआर के बारे में ग्राहक को पता नहीं चलना चाहिए। यह संभव है कि कुछ मामलों में ग्राहकों को कुछ ब्योरे देने अथवा दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहे जाने पर ग्राहक अपने लेनदेन का परित्याग करे अथवा उसे बीच में ही रोक दे। यह स्पष्ट किया जाता है कि बैंकों को एसटीआर में लेनदेन के ऐसे सभी प्रयासों के संबंध में सूचना देनी चाहिए, भले ही ग्राहकों ने इन लेनदेनों को अधूरा छोड़ दिया हो।

8. एसटीआर तैयार करते समय बैंक पूर्वोत नियमावली के नियम 2 (Ž) में निहित ‘संदिग्ध लेनदेन’ की परिभाषा को ध्यान में रखें ।साथ ही, यह स्पष्ट किया जाता है कि बैंक लेनदेन की राशि पर तथा /अथवा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की अनुसूची के भाग - ख में तिरूपित अपराधों के लिए परिकल्पित न्यूनतम सीमा पर ध्यान दिए बिना एसटीआर तब बनाए जब उनके पास यह विश्वास करने के लिए उचित आधार है कि लेनदेन में सामान्यत: अपराध से प्राप्त राशि सम्मिलित है।

9. स्टाफ को अपने ग्राहक को जानिए /धन शोधन निवारण के संबंध में जागरूक बनाने के लिए तथा संदिग्ध लेनदेन के लिए सतर्कता संकेत तैयार करने के लिए बैंक ‘बैंकों के लिए आइबीए के मार्गदर्शी नोट 2005’ के अनुबंध 5 में निहित संदिग्ध गतिविधियों की निदर्शी सूची देखें।

10. ये दिशानिर्देश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क तथा पूर्वोत नियमावली 7 के अधीन जारी किए गए हैं। उत दिशानिर्देशों का किसी भी प्रकार से उल्लंघन करने पर अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के अंतर्गत दंड दिया जा सकता है ।

भवदीय

(ए.के.खौंड)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध - I

आपस में जुड़े नकद लेनदेन का उदाहरण

अप्रैल के माह के दौरान किसी शाखा में निम्नलिखित लेनदेन हुए हैं :

तारीख

माध्यम

नामे (रुपये में)

जमा (रुपये में)

आगे लाया गया शेष
(रुपये में) 8,00,000.00

02/04/2008

नकद

5,00,000.00

3,00,000.00

6,00,000.00

07/04/2008

नकद

40,000.00

2,00,000.00

7,60,000.00

08/04/2008

नकद

4,70,000.00

1,00,000.00

3,90,000.00

मासिक संकलन

 

10,10,000.00

6,00,000.00

 

i) उपर्युत स्पष्टीकरण के अनुसार उपर्युत उदाहरण में जो नामे लेनदेन हैं वे आपस में जुड़े नकद लेनदेन हैं क्योंकि कैलेंडर माह के दौरान कुल नकद नामे लेनदेन 10 लाख रुपये से अधिक हैं। तथापि, बैंक को केवल 02/04 तथा 08/04/2008 को हुए लेनदेन को रिपोर्ट करना चाहिए। 07/04/2008 के नामे लेनदेन को बैंक अलग से रिपोर्ट नहीं करे क्योंकि वह 50,000/- रुपये से कम है।

ii) उपर्युत उदाहरण में दिए गए सभी जमा लेनदेनों को आपस में जुड़ा नहीं समझा जाएगा, क्योंकि माह के दौरान जमा लेनदेन का कुल योग दस लाख रुपये से अधिक नहीं है। अत:, 02, 07 तथा 08/04/2008 के जमा लेनदेन बैंकों द्वारा रिपोर्ट नहीं किए जाने चाहिए ।

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?