धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरुप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समयसीमा तथा उसके रखरखाव की क्रियाविधि और पद्धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन तथा रखरखाव) संशोधन नियमावली, 2010 - बैंकों के दायित्व - आरबीआई - Reserve Bank of India
धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरुप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समयसीमा तथा उसके रखरखाव की क्रियाविधि और पद्धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन तथा रखरखाव) संशोधन नियमावली, 2010 - बैंकों के दायित्व
आरबीआइ/2009-10/448 6 मई 2010 अध्यक्ष महोदय धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरुप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, कृपया दिनांक 28 जनवरी 2010 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.एएमएल.बीसी.सं. 49/ 03.05.33(इ)/ 2009-10 देखें। भारत सरकार ने 12 फरवरी 2010 की अपनी अधिसूचना सं 7/2010/ई.एस.एफ सं.6/8/2009-ईएस द्वारा धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरुप और मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समय सीमा और उसके रखरखाव की क्रियाविधि और पद्धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियमावली, 2005 में संशोधन किया है। उक्त अधिसूचना की प्रतिलिपि त्वरित संदर्भ के लिए संलग्न है। 2. संशोधन की मुख्य विशेषताओं में अन्य बातों के साथ क्षेत्र्ीय ग्रामीण बैंकों से यह अपेक्षा की गयी है कि वे
3. इसके अलावा, उप-नियम (1क) के नियम 9 में "लाभार्थी स्वामी" की व्याख्या शामिल की गयी है, जिसके अनुसार " ’लाभार्थी स्वामी’ वह प्रकृत व्यक्ति है जो उस ग्राहक या व्यक्ति का अंतिम नियंत्रक है जिसकी ओर से कोई लेनदेन किया जा रहा है तथा इसके अंतर्गत वह व्यक्ति आता है जो किसी विधिक व्यक्ति के ऊपर अंतिम प्रभावी नियंत्रण रखता है।" 4. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे पीएमएलए नियमावली के उक्त संशोधित प्रावधानों का कड़ाई से अनुसरण करें तथा इन नियमों का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित करें। 5. कृपया परिपत्र की प्राप्ति सूचना हमारे क्षेत्रीय कार्यालय को दें। भवदीय, |