प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार - एमएसएमइडी अधिनियम, 2006 के तहत सेवा के अंतर्गत आनेवाले कार्यकलापों का श्रेणीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार - एमएसएमइडी अधिनियम, 2006 के तहत सेवा के अंतर्गत आनेवाले कार्यकलापों का श्रेणीकरण
आरबीआई/2009-10/164 18 सितंबर 2009 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/ [सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक प्रिय महोदय, प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार - एमएसएमइडी अधिनियम, 2006 प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार पर दिनांक 1 जुलाई 2009 के मास्टर परिपत्र के भाग I के पैरा 2.1.1 और 2.1.2 के अनुसार, छोटे उद्यमों को ऋण में माइक्रो और छोटे (विनिर्माण और सेवा) उद्यमों को दिए गए ऋण शामिल हैं, बशर्ते विनिर्माण उद्यमों के मामले में संयंत्रों और मशीनरी [भूमि और भवन तथा लघु उद्योग मंत्रालय द्वारा अपनी दिनांक 5 अक्तूबर 2009 की अधिसूचना सं. 1722/(ई) में विनिर्दिष्ट मदों को छोड़कर मूल लागत में निवेश 5 करोड़ रुपए से अधिक न हो तथा सेवा उद्यमों के मामले में उपकरणों (भूमि और भवन और फर्नीचर, फिटिंग्स और ऐसी अन्य मदें जो दी गई सेवाओं से सीधे जुड़ी न हों, या एमएसएमइडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत अधिसूचित मदों को छोड़कर मूल लागत ) में निवेश 2 करोड़ रूपए से अधिक न हो। साथ ही, पैरा 3.1 और 3.2 के अनुसार खुदरा व्यापार प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र की एक अलग श्रेणी में आता है। भारत सरकार ने दिनांक 12 जून 2009 के अपने पत्र सं. 5 (6)/2/2009 के अनुसार माइक्रो, छोटे और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमइडी) अधिनियम, 2006 के तहत सेवाओं के अंतर्गत कार्यकलापों के श्रेणीकरण का उल्लेख किया है। इसकी जांच करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित कार्यकलापों के लिए बैंक द्वारा दिए गए ऋणों को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंदर माइक्रो, और छोटे (सेवा) उद्यमों के अंतर्गत शामिल किया जाए बशर्ते, ऐसे उद्यम उपकरणों (भूमि और भवन तथा फर्नीचर, फिटिंग्स और अन्य ऐसी मदें जो दी गई सेवाओं से सीधे न जुड़ी हों अथवा जो एमएसएमइडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत अधिसूचित की गई हों, को छोड़कर मूल लागत) में निवेश के संबंध में माइक्रो और छोटे (सेवा) उद्यमों (अर्थात निवेश क्रमश: 10 लाख रुपए और 2 करोड़ रुपए से अधिक न हो) की परिभाषा को संतुष्ट करते हों। (क) प्रबंध सेवाओं सहित परामर्श सेवाएं ; 3. तदनुसार, प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत ’खुदरा व्यापार’ के लिए कोई अलग श्रेणी नहीं होगी। खुदरा व्यापार [अर्थात् जीवनोपयोगी वस्तुओं (राशन की दुकान), उपभोक्ता सहकारी भंडार का कारोबार करनेवाले खुदरा व्यापारियों को दिए गए अग्रिम; तथा निजी खुदरा व्यापारियों को जिन्हें 20 लाख रूपए से अनधिक की ऋण सीमाएं मंजूर की गई हैं, को दिए गए अग्रिम ] के लिए बैंकों द्वारा दिए गए ऋण अब से छोटे (सेवा) उद्यमों का हिस्सा होंगे। 4. वाणिज्य बैंक ऐसे ऋणों को "छोटे उद्यमों को कुल ऋण" शीर्षक के अंतर्गत प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र अग्रिम पर अर्ध वार्षिक (एडहॉक) (2ए और 2(ii) के अंतर्गत) तथा वार्षिक (अंतिम) [14,15,19, 20 और 21 के अंतर्गत] विवरणी में रिपोर्ट करें। 5. आप उचित कार्रवाई करने के लिए अपने क्षेत्रीय कार्यालयों / शाखाओं को आवश्यक अनुदेश जारी करें। 6. कृपया प्राप्ति सूचना दें। भवदीय (बी.पी.विजयेद्र) |