कृषि ऋण प्राप्त करने के लिए क्रियाविधियों और प्रक्रियाओं का सरलीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
कृषि ऋण प्राप्त करने के लिए क्रियाविधियों और प्रक्रियाओं का सरलीकरण
भारिबैं/2006-07/363
ग्राआऋवि.सं.पीएलएफएस.बीसी.85 /05.04.02/2006-07
30 अप्रैल 2007
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यापालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित)
महोदय
कृषि ऋण प्राप्त करने के लिए क्रियाविधियों और प्रक्रियाओं का सरलीकरण
कृपया वर्ष 07-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य का पैराग्राफ 150 (प्रति संलग्न) देखें।
2. वर्तमान में, बैंक ऋण लेनेवाले किसानों की एक बाधा ‘अदेयता’ प्रमाणपत्र (एनडीसी) है जिसे किसानों को क्षेत्र में कार्य कर रहे विभिन्न बैंकों/को-ऑपरेटिव से प्राप्त करके ऋण देनेवाले बैंकों को प्रस्तुत करना पड़ता है। इसके लिए किसानों को एक छोटा ऋण प्राप्त करने के लिए भी काफी समय और पैसे देने र्ग़ख्र्ड़ेख्र्श्च् हें। इस स्थिति के निवारण हेतु बैंक छोटे और सीमांत किसानों, बंटाईदारों तथा उन जैसे लोगों को 50,000 रुपये तक के छोटे ऋण के लिए ‘अदेयता’ प्रमाणपत्र की आवश्यकता को समाप्त कर दें तथा उसके स्थान पर उधारकर्ता से स्व घोषणा प्राप्त करें।
3. भूमिहीन श्रमिकों, बंटाईदारों तथा मौखिक पट्टेदारों को उधार देने में बैकों की एक समस्या है उनकी पहचान और प्रतिष्ठा सत्यापित करने वाले दस्तावेजों का अभाव । इस समस्या से उबरने के लिए बैंक भूमिहीन श्रमिकों, बंटाईदारों तथा मौखिक पट्टेदारों को ऋण के मामले में फसल की उगाई के संबंध में स्थानीय प्रशासन / पंचायती राज संस्थानों द्वारा प्रदान प्रमाणपत्र स्वीकार करें ।
4. कृपया प्राप्ति सूचना दें।
भवदीय
(जी श्रीनिवासन)
मुख्य महा प्रबंधक
अनुबंध
वर्ष 07-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य का पैराग्राफ 150 :
विशेषत: छोटे और सीमांत किसानों द्वारा कृषि ऋण प्राप्त करने की क्रियाविधियों और प्रक्रियाओं के सरलीकरण हेतु कृषि ऋण की क्रियाविधियों और प्रकियाओं की जांच करने के लिए दिसंबर 2006 में गठित कार्यकारी दल (अध्यक्ष : श्री सी.पी. स्वर्णकार) ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। जब कि रिपोर्ट की विस्तृत जांच की जा रही है, यह प्रस्ताव है कि :
छोटे और सीमांत किसानों, बंटाईदारों और उन जैसे लोगों को 50,000 रु. तक के छोटे ऋण के लिए ‘अदेयता’ प्रमाणपत्र की आवश्यकता समाप्त कर दी जाए तथा उसके स्थान पर उधारकर्ता से स्व-घाषणा प्राप्त की जाए।
भूमिहीन श्रमिकों तथा मौखिक पट्टेदारों को ऋण के मामले में फसल की उगाई के संबंध में स्थानीय प्रशासन / पंचायती राज संस्थानों द्वारा प्रदान प्रमाणपत्र स्वीकार किया जाए।