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असेट प्रकाशक

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आवर्ती लेनदेन के लिए कार्ड पर ई-मैनडेट का प्रसंस्करण

आरबीआई/2019-20/47
डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.447/02.14.003/2019-20

21 अगस्त 2019

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक /
शहरी सहकारी बैंक / राज्य सहकारी बैंक /
जिला केंद्रीय सहकारी बैंक / भुगतान बैंक / लघु वित्त बैंक /
कार्ड भुगतान नेटवर्क / प्रीपेड  भुगतान लिखत जारीकर्ता

महोदया / महोदय,

आवर्ती लेनदेन के लिए कार्ड पर ई-मैनडेट का प्रसंस्करण

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ) ने पिछले दशक में कार्ड पेमेंट के लिए विभिन्न सुरक्षा और रक्षा संबंधी उपायों को लागू किया है, जिसमें प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफ़ए) की आवश्यकता शामिल है, विशेष रूप से 'कार्ड-नॉट-प्रेजेंट' लेनदेन के लिए। दिनांक 04 अगस्त 2011 के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के परिपत्र डीपीएसएस.पीडी.सीओ.सं.223/02.14.003/2011-2012 के अंतर्गत कार्डधारकों द्वारा व्यापारियों को दिए गए स्थायी निर्देशों के आधार पर आवर्ती लेनदेन प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफ़ए) के दायरे में लाए गए।

2. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को उद्योग हितधारकों की ओर से इस आशय के अनुरोध प्राप्त हो रहे थे कि ई-मैनडेट पंजीकरण और पहले लेनदेन, और बाद में लगातार होने वाले सरल / स्वचालित लेनदेन के दौरान प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफ़ए) के साथ आवर्ती लेनदेन के लिए कार्ड पर ई-मैनडेट के प्रसंस्करण की अनुमति दी जाए। बदलती भुगतान आवश्यकताओं और ग्राहक सुविधा के साथ कार्ड लेनदेन की सुरक्षा और रक्षा को संतुलित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि ई-मैनडेट पंजीकरण, संशोधन और निरसन, पहले लेन-देन के लिए भी, और सरल / स्वचालित और बाद में लगातार किए जाने वाले लेनदेन के दौरान प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफ़ए) के साथ आवर्ती लेनदेन (व्यापारी भुगतान) के लिए कार्ड पर ई-मैनडेट के प्रसंस्करण की अनुमति देने का निर्णय अनुबंध में सूचीबद्ध शर्तों के अधीन दिया गया है।

3. यह परिपत्र सभी प्रकार के कार्ड - डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (पीपीआई) का उपयोग करते हुए किए गए लेनदेन पर लागू है, जिसमें वालेट्स भी शामिल हैं।

4. इस व्यवस्था के अंतर्गत लेनदेन के लिए अधिकतम स्वीकृत सीमा 2,000/- होगी।

5. कार्ड लेनदेन से संबंधित अन्य सभी निर्देश इन ई-मैनडेट आधारित आवर्ती कार्ड लेनदेन पर लागू होंगे।

6. आवर्ती लेनदेन के लिए कार्ड पर ई-मैनडेट की सुविधा का लाभ उठाने के लिए कार्डधारक से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा या वसूल नहीं किया जाएगा।

7. भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के अंतर्गत जारी यह निर्देश 1 सितंबर 2019 से लागू होगा।

8. भुगतान के अन्य डिजिटल मोड्स के विस्तार के लिए इस सुविधा की समीक्षा की जा सकती है।

भवदीय,

(पी.वासुदेवन)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नक : यथोक्त


अनुबंध

आवर्ती लेनदेन के लिए कार्ड पर ई-मैनडेट के प्रसंस्करण के लिए पूरी की जाने वाली शर्तें
(डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 447/02.14.003/2019-20 दिनांक 21 अगस्त 2019)

प्रयोज्यता

1. कार्ड पर ई-मैनडेट की व्यवस्था केवल आवर्ती लेनदेन के लिए होगी न कि 'केवल एक बार' किए जाने वाले भुगतान के लिए।

ई-मैनडेट आधारित आवर्ती लेनदेन के लिए कार्ड विवरण का पंजीकरण

2. कार्ड पर ई-मैनडेट की सुविधा के लिए इच्छुक एक कार्डधारक, जारीकर्ता द्वारा प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक के सत्यापन के साथ एक बार पंजीकरण प्रक्रिया आरंभ करेगा। आवर्ती लेनदेन के लिए कार्ड पर ई-मैनडेट का पंजीकरण जारीकर्ता द्वारा अपेक्षित सामान्य प्रक्रिया के अलावा केवल प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफ़ए) के सफल सत्यापन के बाद ही किया जाएगा।

3. पंजीकरण, जारीकर्ता से ई-मैनडेट की वैधता अवधि और अन्य ऑडिट ट्रेल संबंधित अपेक्षाओं सहित सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के बाद ही पूरा किया जाएगा। ई-मैनडेट की वैधता अवधि को बाद के चरण में संशोधित करने की सुविधा, यदि आवश्यक हो, को भी प्रदान करना होगा।

4. पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान, कार्डधारक को आवर्ती लेनदेन के पूर्व-निर्धारित निश्चित मूल्य या आवर्ती लेनदेन के परिवर्तनशील मूल्य के लिए ई-मैनडेट प्रदान किए जाने का विकल्प दिया जाएगा; यदि वह बाद वाले का चुनाव करता है तो कार्डधारक स्पष्ट रूप से आवर्ती लेनदेन का अधिकतम मूल्य निर्दिष्ट करेगा, जो आरबीआई द्वारा निर्धारित समग्र कैप के अधीन होगा (वर्तमान में रु. 2,000 / - प्रति लेनदेन)।

5. वर्तमान में ई-मैनडेट में किए जाने वाले किसी भी संशोधन के लिए जारीकर्ता द्वारा प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक का सत्यापन कराना होगा।

पहले लेनदेन और बाद में आवर्ती लेनदेन का प्रसंस्करण

6. ई-मैनडेट आधारित आवर्ती लेनदेन श्रृंखला में पहला लेनदेन संसाधित करते समय, प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक का सत्यापन किया जाएगा। यदि ई-मैनडेट के पंजीकरण के साथ-साथ पहला लेन-देन किया जा रहा है, तो प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफ़ए) का सत्यापन साथ में किया जा सकता है। ऐसे सभी प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक के सत्यापन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मौजूदा निर्देशों के अनुसार होंगे।

7. बार-बार किए जाने वाले अनुवर्ती लेनदेन केवल उन्हीं कार्डों के लिए किए जाएंगे जिन्हें सफलतापूर्वक पंजीकृत किया जा चुका है और जिनके लिए पहला लेनदेन सफलतापूर्वक प्रमाणित और प्राधिकृत किया गया था। बाद में किए जाने वाले ये लेनदेन प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक के बिना किए जा सकते हैं।

लेनदेन पूर्व की अधिसूचना

8. जोखिम शामक और ग्राहक सुविधा के उपाय के रूप में, जारीकर्ता कार्डधारक को कार्ड पर वास्तविक शुल्क / डेबिट से कम से कम 24 घंटे पूर्व एक लेनदेन-पूर्व की अधिसूचना भेजेगा। कार्ड पर ई-मैनडेट को पंजीकृत करते समय, कार्डधारक को एक स्पष्ट, साफ तरीके से और एक समझ में आने वाली भाषा में लेनदेन-पूर्व की अधिसूचना प्राप्त करने के लिए उपलब्ध विकल्पों (एसएमएस, ईमेल इत्यादि) के बीच में एक मोड चुनने की सुविधा दी जाएगी। लेनदेन-पूर्व की अधिसूचना प्राप्त करने के इस मोड को बदलने की सुविधा, कार्डधारक को भी प्रदान की जाएगी।

9. लेनदेन-पूर्व की अधिसूचना के माध्यम से कार्डधारक को कम से कम व्यापारी के नाम, लेनदेन की राशि, डेबिट की तारीख / समय, लेन-देन / ई-मैनडेट की संख्या, डेबिट के कारण अर्थात कार्डधारक द्वारा पंजीकृत ई-मैनडेट के बारे में सूचित किया जाएगा।

10. लेनदेन-पूर्व की अधिसूचना के प्राप्त होने पर, कार्डधारक के पास उस विशेष लेनदेन या ई-मैनडेट से बाहर निकलने (ऑप्ट-आउट) की सुविधा होगी। ऐसे किसी भी ऑप्ट-आउट को निष्पादित करने के लिए जारीकर्ता द्वारा प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक के सत्यापन को पूरा करना होगा। इस तरह के ऑप्ट-आउट की सूचना मिलने पर, जारीकर्ता यह सुनिश्चित करेगा कि विशेष लेन-देन प्रभावित नहीं हुआ है / बार-बार किए जाने वाले अनुवर्ती लेनदेन प्रभावित नहीं हुए हैं (जैसा भी मामला हो)। इस आशय की पुष्टि की सूचना कार्डधारक को भेजी जाएगी।

लेनदेन होने के बाद की अधिसूचना

11. वर्तमान अनुदेशों के अनुसरण में जारीकर्ता, कार्डधारक को लेनदेन होने के बाद की चेतावनी / अधिसूचना भेजेगा। यह अधिसूचना कार्डधारक को कम से कम व्यापारी के नाम, लेनदेन की राशि, डेबिट की तारीख / समय, लेन-देन / ई-मैनडेट की संख्या, डेबिट के कारण अर्थात कार्डधारक द्वारा पंजीकृत ई-मैनडेट के बारे में सूचित करेगी।

लेन-देन की सीमा और गति की जाँच

12. प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक के बिना ई-मैनडेट आधारित आवर्ती लेनदेन के लिए कैप / सीमा रुपये 2,000/- प्रति लेनदेन होगी। इस सीमा के बाहर किए जाने वाले लेन-देन प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक के अधीन होंगे।

13. रुपये 2,000/ - प्रति लेनदेन की सीमा उन सभी श्रेणियों के व्यापारियों पर लागू होती है जो ऐसे ई-मैनडेट के आधार पर बार-बार किए जाने वाले भुगतान स्वीकार करते हैं।

14. जारीकर्ताओं द्वारा उपयुक्त गति संबंधी जांच और अन्य जोखिम शमन प्रक्रियाएं स्थापित की जाएंगी।

ई-मैनडेट को वापस लेना

15. जारीकर्ता, कार्डधारक को किसी भी ई-मैनडेट को किसी भी समय वापस लेने के लिए एक ऑनलाइन सुविधा प्रदान करेगा, जिसके बाद उस वापस किए गए ई-मैनडेट के लिए बाद में किसी भी आवर्ती लेनदेन की अनुमति नहीं होगी। (नोट: इसका अपवाद एक प्रक्रियाधीन (पाइपलाइन) लेनदेन होगा, जिसके लिए कार्डधारक को लेन-देन पूर्व की सूचना पहले ही भेजी जा चुकी है, लेकिन कार्डधारक को डेबिट की सूचना नहीं दी गई है अथवा उसे प्राप्त नहीं हुई है, और ई-मैनडेट वापसी अंतर्काल के दौरान होती है।) कार्डधारक द्वारा किसी भी समय ई-मैनडेट को वापस लेने की इस सुविधा के बारे में जानकारी उसे स्पष्ट रूप से पंजीकरण के समय अथवा बाद में जब कभी भी आवश्यक होगा, दे दी जाएगी।

16. कार्डधारक द्वारा किसी भी ई-मैनडेट को वापस लेने पर जारीकर्ता द्वारा प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक का सत्यापन अपेक्षित होगा।

17. वापस लिए गए ई-मैनडेट के संबंध में, अधिग्रहण करने वाले इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि उनके द्वारा ऑनबोर्ड किए गए व्यापारी भुगतान लिखत की जानकारी सहित सभी विवरणों को मिटा देंगे।

विवाद निपटान और शिकायत निवारण

18. जारीकर्ता द्वारा कार्डधारक को शिकायत/शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक उपयुक्त शिकायत निवारण प्रणाली की स्थापना की जाए। कार्ड नेटवर्कों को इन विवादों को स्पष्ट टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) के साथ निपटान करने के लिए विवाद निपटान तंत्र की स्थापना भी करनी होगी।

19. कार्ड नेटवर्क ई-मैनडेट आधारित आवर्ती लेनदेन के संबंध में चार्जबैक / विवाद अनुरोधों की अलग से पहचान करने के लिए उपयुक्त व्यवस्था करेगा।

20. अनधिकृत लेनदेन में ग्राहकों की देयता को सीमित करने के आरबीआई के अनुदेश इस तरह के लेनदेन पर भी लागू होंगे।

विविध

21. अधिग्राहकों का यह उत्तरदायित्व होगा कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि उनके द्वारा ऑन बोर्ड किए गए व्यापारियों द्वारा इन अनुदेशों के सभी पहलुओं के संबंध में अनुपालन किया जाए।

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