आरबीआई/2021-22/118 पवि.कें.का.पीपीजी.एसईसी.सं.4/11.01.005/2021-22 02 नवंबर, 2021 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदया/महोदय, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) फ्रेमवर्क कृपया अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के लिए संशोधित त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) फ्रेमवर्क से संबंधित 13 अप्रैल 2017 का परिपत्र संख्या डीबीएस.सीओ.पीपीडी.बीसी.सं.8/11.01.005/2016-17 देखें। 2. एससीबी के लिए मौजूदा पीसीए फ्रेमवर्क की समीक्षा की गई है और उसमें संशोधन किया गया है। संशोधित फ्रेमवर्क अनुबंध में दिया गया है। 3. संशोधित पीसीए फ्रेमवर्क के प्रावधान 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होंगे। 4. पीसीए फ्रेमवर्क का उद्देश्य उचित समय पर पर्यवेक्षी हस्तक्षेप को सक्षम बनाना है। यह पर्यवेक्षित संस्था से समय पर उपचारात्मक उपायों को शुरू और लागू करने की अपेक्षा रखता है, ताकि उसकी वित्तीय स्थिति बहाल की जा सके। पीसीए फ्रेमवर्क का उद्देश्य प्रभावी बाजार अनुशासन के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करना भी है। पीसीए फ्रेमवर्क, भारतीय रिज़र्व बैंक को फ्रेमवर्क में निर्धारित सुधारात्मक कार्रवाइयों के अलावा किसी भी समय कोई अन्य कार्रवाई, जैसा कि वह किसी भी समय उचित समझे, करने से नहीं रोकता है। 5. परिपत्र की विषय-वस्तु से बैंक के निदेशक मंडल को अवगत कराया जाए। भवदीय (अजय कुमार चौधरी) प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक अनुलग्नक : अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए पीसीए फ्रेमवर्क
अनुबंध अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए पीसीए फ्रेमवर्क1 क. संशोधित फ्रेमवर्क, में निगरानी के लिए पूंजी, आस्ति गुणवत्ता और लीवरेज प्रमुख क्षेत्र होंगे। ख. पूंजी, आस्ति गुणवत्ता और लीवरेज के लिए संकेतक क्रमशः सीआरएआर/सामान्य इक्विटी टियर -I अनुपात2, निवल एनपीए अनुपात3 और टियर - I लीवरेज अनुपात4 होंगे। ग. किसी भी जोखिम सीमा का उल्लंघन (जैसा कि नीचे वर्णित है) होने पर पीसीए के तहत कार्रवाई की जाएगी।
पीसीए मेट्रिक्स – मानदंड, संकेतक और जोखिम सीमा |
मानदंड |
संकेतक |
जोखिम सीमा 1 |
जोखिम सीमा 2 |
जोखिम सीमा 3 |
(1) |
(2) |
(3) |
(4) |
(5) |
पूंजी (सीआरएआर या सीईटी -1 अनुपात का उल्लंघन) |
सीआरएआर - पूंजी से जोखिम आस्तियों के अनुपात + लागू पूंजी संरक्षण बफर (सीसीबी) के लिए न्यूनतम विनियामकीय निर्देश और/या सामान्य इक्विटी टियर -1 अनुपात (सीईटी -1 पीएसटी) + लागू पूंजी संरक्षण बफर (सीसीबी) के विनियामकीय पूर्व-निर्दिष्ट ट्रिगर |
कॉलम (2) में निर्धारित संकेतक के 250 बीपीएस तक कॉलम (2) में निर्धारित संकेतक के 162.50 बीपीएस तक |
कॉलम (2) में निर्धारित संकेतक के 250 बीपीएस से अधिक लेकिन 400 बीपीएस से अधिक नहीं कॉलम (2) में निर्धारित संकेतक के 162.50 बीपीएस से अधिक लेकिन 312.50 बीपीएस से अधिक नहीं |
कॉलम (2) में निर्धारित संकेतक 400 बीपीएस से अधिक कॉलम (2) में निर्धारित संकेतक के नीचे 312.50 बीपीएस से अधिक |
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पीसीए को ट्रिगर करने के लिए सीआरएआर या सीईटी -1 अनुपात का उल्लंघन |
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आस्ति गुणवत्ता |
निवल अनर्जक अग्रिम (एनएनपीए) अनुपात |
>=6.0% लेकिन <9.0% |
>=9.0% लेकिन < 12.0% |
>=12.0% |
लीवरेज |
विनियामकीय न्यूनतम टियर - 1 लीवरेज अनुपात |
विनियामकीय न्यूनतम के 50 बीपीएस तक |
विनियामकीय न्यूनतम के 50 बीपीएस से अधिक लेकिन 100 बीपीएस से अधिक नहीं |
विनियामकीय न्यूनतम के 100 बीपीएस से अधिक |
घ. चिह्नित किए गए संकेतकों की जोखिम सीमा के उल्लंघन के आधार पर पीसीए फ्रेमवर्क, भारत में परिचालित सभी बैंकों, जिसमें शाखाओं या सहायक कंपनियों के माध्यम से परिचालन करने वाले विदेशी बैंक भी शामिल हैं, पर लागू होगा। ङ. बैंक को आम तौर पर लेखा परीक्षित वार्षिक वित्तीय परिणामों और आरबीआई द्वारा किए गए पर्यवेक्षी मूल्यांकन के आधार पर पीसीए फ्रेमवर्क के तहत रखा जाएगा। आरबीआई एक वर्ष के दौरान किसी भी बैंक पर पीसीए लगा सकता है, (एक सीमा से दूसरी सीमा में बदलाव सहित) यदि परिस्थितियाँ ऐसी हों। च. पीसीए से बाहर निकलना और पीसीए के तहत प्रतिबंधों को वापस लेना - एक बार जब बैंक को पीसीए के तहत रखा जाता है, तो बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर निकालने और/या पीसीए फ्रेमवर्क के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को वापस लेने पर विचार किया जाएगा: ए) यदि चार निरंतर तिमाही वित्तीय विवरणों में जोखिम सीमा के किसी भी मानदंड का कोई उल्लंघन नहीं पाया जाता है, जिनमें से एक लेखा परीक्षित वार्षिक वित्तीय विवरण (आरबीआई द्वारा मूल्यांकन के अधीन) होना चाहिए; और बी) बैंक की लाभप्रदता की स्थिरता का मूल्यांकन सहित आरबीआई की पर्यवेक्षी सहुलियत के आधार पर। छ. जब किसी बैंक को पीसीए के तहत रखा जाता है, तो निम्नलिखित में से एक या अधिक सुधारात्मक कार्रवाई निर्धारित की जाएगी:
अनिवार्य और विवेकाधीन कार्रवाई |
निर्धारण |
अनिवार्य कार्रवाई |
विवेकाधीन कार्रवाई |
जोखिम सीमा 1 |
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लाभांश वितरण/लाभ के विप्रेषण पर प्रतिबंध।
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विदेशी बैंकों के मामले में प्रवर्तक/ मालिक/मूल कंपनी पूंजी लाएं
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सामान्य सूची
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विशेष पर्यवेक्षी कार्रवाई
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रणनीति से संबंधित
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गवर्नेंस से संबंधित
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पूंजी से संबंधित
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ऋण जोखिम से संबंधित
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बाजार जोखिम से संबंधित
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मानव संसाधन से संबंधित
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लाभप्रदता से संबंधित
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परिचालन/व्यवसाय से संबंधित
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अन्य मामले
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जोखिम सीमा 2 |
सीमा 1 की अनिवार्य कार्रवाइयों के अलावा,
- घरेलू/विदेश में शाखा विस्तार पर प्रतिबंध
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जोखिम सीमा 3 |
सीमा 1 और 2 की अनिवार्य कार्रवाइयों के अलावा ,
- बोर्ड द्वारा अनुमोदित सीमाओं के भीतर तकनीकी उन्नयन के अलावा पूंजीगत व्यय पर उचित प्रतिबंध
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विवेकाधीन सुधारात्मक कार्रवाईयों के चयन के लिए सामान्य सूची 1. विशेष पर्यवेक्षी कार्रवाइयां
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तिमाही या अन्य निर्धारित अंतराल पर विशेष पर्यवेक्षी निगरानी बैठकें (एसएसएमएम)
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बैंक का विशेष निरीक्षण / लक्षित संवीक्षा
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मौजूदा पर्यवेक्षी तंत्र द्वारा और/या बाहरी लेखा परीक्षकों के माध्यम से बैंक की विशेष लेखा परीक्षा कराना
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समामेलन या पुनर्निर्माण द्वारा बैंक का सुधार (संदर्भः बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 45)
2. रणनीतिक कार्रवाइयां आरबीआई बैंक के बोर्ड को सूचित कर सकता है कि:
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पर्यवेक्षक द्वारा विधिवत अनुमोदित वसूली योजना शुरू करें।
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व्यापार मॉडल के स्थायित्व, व्यापारिक स्वरूपों और गतिविधियों की लाभप्रदता, मध्यम और दीर्घकालिक सक्षमता आदि के संदर्भ में व्यापार मॉडल की विस्तृत समीक्षा करें।
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तात्कालिक चिंताओं को दूर करने के लिए उन पर ध्यान केंद्रित कर अल्पकालिक रणनीति की समीक्षा करें।
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मध्यम अवधि की कारोबारी योजनाओं की समीक्षा करें, साध्य लक्ष्यों की पहचान करे और प्रगति तथा उपलब्धि के लिए ठोस लक्ष्य निर्धारित करें।
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यथोचित व्यवसाय प्रक्रिया की पुनर्रचना करें।
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यथोचित परिचालन के पुनर्गठन के लिए उपयुक्त कार्य करें।
3. गवर्नेंस से संबंधित कार्रवाइयां
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आरबीआई, यथोचित विभिन्न पहलुओं पर बैंक के बोर्ड के साथ सक्रिय रूप से विचार-विमर्श करेगा।
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आरबीआई, नए प्रबंधन/बोर्ड को लाने के लिए मालिकों (सरकार/प्रवर्तकों/विदेशी बैंक शाखा के प्रमुखों) से सिफारिश करेगा।
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आरबीआई, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 36एए के तहत, जैसा लागू हो, प्रबंधन से संबंधित व्यक्तियों को हटाएगा।
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आरबीआई, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 36एसीए के तहत, जैसा लागू हो, बोर्ड का अधिक्रमण करेगा/बोर्ड को हटाने की सिफारिश करेगा।
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आरबीआई, बैंक को क्लॉ बैक और मालस क्लॉज और विनियामकीय दिशानिर्देशों में उपलब्ध अन्य कार्रवाइयों को लागू करने और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत अनुमत अन्य प्रतिबंध या शर्तें लागू करने की अपेक्षा करता है।
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निदेशकों या प्रबंधन क्षतिपूर्ति, जैसा लागू हो, पर प्रतिबंध लगाना।
4. पूंजी से संबंधित कार्रवाइयां
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पूंजी नियोजन की विस्तृत बोर्ड स्तरीय समीक्षा
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अतिरिक्त पूंजी जुटाने के लिए योजनाओं और प्रस्तावों को प्रस्तुत करना
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बैंक से प्रतिधारित लाभ के माध्यम से भंडार बढ़ाने की अपेक्षा
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अनुषंगियों/सहयोगियों में निवेश पर प्रतिबंध
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पूंजी बचत के लिए उच्च जोखिम-भारित आस्त्तियों की वृद्धि पर प्रतिबंध लगाना
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पूंजी के संरक्षण के लिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में जोखिम को कम करना
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अनुषंगियों और अन्य समूह कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाने पर प्रतिबंध
5. ऋण जोखिम से संबंधित कार्रवाइयां
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समयबद्ध योजना तैयार करना और एनपीए के स्टॉक को कम करने के लिए प्रतिबद्धता
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नए एनपीए को रोकने के लिए योजना तैयार करना और उसके प्रति प्रतिबद्धता
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एनपीए/एनपीआई के लिए और कवरेज व्यवस्था के हिस्से के रूप में उच्च प्रावधान
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ऋण समीक्षा तंत्र को सुदृढ़ बनाना
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कुल ऋण जोखिम भार घनत्व पर प्रतिबंध/कमी (उदाहरण: कतिपय रेटिंग ग्रेड से नीचे के उधारकर्ताओं के लिए ऋण पर प्रतिबंध/कमी, असुरक्षित एक्सपोजर, आदि पर प्रतिबंध/कमी)
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चिह्नित क्षेत्रों, उद्योगों या उधारकर्ताओं में ऋण संकेंद्रण में कमी
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आस्तियों की बिक्री
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भूक्षेत्र-वार, उद्योग खंड-वार, उधारकर्ता-वार, आदि क्षेत्रों की पहचान करके और समर्पित वसूली कार्य दल, अदालतों आदि की स्थापना के माध्यम से आस्तियों की वसूली के लिए कार्य योजना।
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सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश/अन्य उच्च गुणवत्ता वाले चलनिधि निवेशों को छोड़कर ऋण/निवेश पोर्टफोलियो के विस्तार पर प्रतिबंध
6. बाजार जोखिम से संबंधित कार्रवाइयां
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अंतर-बैंक बाजार से उधार लेने पर प्रतिबंध / कमी
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थोक जमाओं/महंगी जमाओं/जमा प्रमाणपत्रों तक पहुँच/नवीनीकरण पर प्रतिबंध
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डेरिवेटिव गतिविधियों पर प्रतिबंध, डेरिवेटिव जो संपार्श्विक स्थानापन्न की अनुमति देते हैं
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धारित संपार्श्विक के अधिक के रखरखाव पर प्रतिबंध जिसे प्रतिपक्षकार द्वारा किसी भी समय संविदा के आधार पर मांगा जा सकता है।
7. मानव संसाधन से संबंधित कार्रवाइयां
8. लाभप्रदता से संबंधित कार्रवाइयां
9. परिचालन से संबंधित कार्रवाइयां
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घरेलू या विदेशी शाखा विस्तार योजनाओं पर प्रतिबंध;
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विदेशी शाखाओं/सहायक कंपनियों/अन्य संस्थाओं के व्यवसाय में कमी लाना
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नए कारोबार में प्रवेश पर प्रतिबंध
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गैर-निधि आधारित व्यवसाय में कमी के माध्यम से लीवरेज में कमी
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जोखिम वाली आस्तियों में कमी
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गैर-ऋण आस्ति सृजन पर प्रतिबंध
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यथानिर्दिष्ट व्यवसाय आरंभ करने पर प्रतिबंध।
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आउटसोर्सिंग गतिविधियों पर प्रतिबंध / कमी
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नए उधार पर प्रतिबंध \
10. अन्य कार्रवाइयां
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