प्रेषण प्रवर्तक को सकारात्मक पुष्टि (पॉजिटिव कन्फर्मेशन) प्रदान करना - आरबीआई के अनुदेशों का पालन न करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रेषण प्रवर्तक को सकारात्मक पुष्टि (पॉजिटिव कन्फर्मेशन) प्रदान करना - आरबीआई के अनुदेशों का पालन न करना
आरबीआई/2011-12/341 05 जनवरी, 2012 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/प्रिय महोदय प्रेषण प्रवर्तक को सकारात्मक पुष्टि (पॉजिटिव कन्फर्मेशन) प्रदान करना - आरबीआई के अनुदेशों का पालन न करना कृपया दिनांक 5 फरवरी, 2010 के हमारे परिपत्र डीपीएसएस सीओ ईपीपीडी सं.168/04.03.01/2009-2010 का संदर्भ लें, जिसमें एक व्यवस्था स्थापित की गई थी कि राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) के सहभागी बैंक, लाभार्थी के खाते में निधियों के सफल जमा (क्रेडिट) की प्रेषण प्रवर्तक (रेमिटेंस ओरिजिनेटर) को सकारात्मक पुष्टि भेज सकें। एनईएफटी में यह संशोधन 01 मार्च 2010 से लागू किया गया था और बैंकों को इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं पूरी करने की पुष्टि करने हेतु सूचित किया गया था। 2. यद्यपि, बैंकों के पास अपने सिस्टम में आवश्यक बदलाव करने के लिए पर्याप्त समय था, परन्तु यह देखा गया है कि सभी बैंक इस तरह की पुष्टि नहीं भेज रहे हैं। अधिकतर मामलों में, जिस बैंक ने प्रेषण किया है, वह प्रवर्तक/भेजने वाले ग्राहक को पुष्टि करने में असमर्थ रहते हैं क्योंकि उन्हें लाभार्थी बैंक से तदनुरूपी संदेश (एन-10 संदेश) प्राप्त नहीं होता है। हाल के विश्लेषण से पता चलता है कि बड़ी संख्या में बैंकों के मामलों में, भेजी गई सकारात्मक पुष्टियों का प्रतिशत प्राप्त आवक संदेशों की तुलना में 10% से कम है। जैसा कि आप समझ सकते हैं, सकारात्मक पुष्टि एनईएफटी की एक अनूठी विशेषता है और इसने प्रयोक्ताओं के बीच इस प्रणाली को लोकप्रिय बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। इस संबंध में अनुदेशों का पालन न करने से इस प्रणाली की ग्राहक सेवा कुशलता में कमी आयेगी। 3. एक बार पुनः यह सूचित किया जाता है कि सभी बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम स्थापित करें कि हमारे उपर्युक्त परिपत्र के अनुसार प्रेषण प्रवर्तक (ओरिजिनेटर) को सकारात्मक पुष्टि भेजी जाए। हालांकि यह आशा की जाती है कि ऐसे पुष्टि संदेश लाभार्थी के खाते में क्रेडिट होते ही भेजे जाते हैं, परंतु यह किसी भी परिस्थिति में दिनांत (एंड ऑफ़ दि डे) के पश्चात नहीं होना चाहिए। 4. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे प्रेषण प्रवर्तक और प्राप्तकर्ता दोनों के रूप में ऐसे संदेश भेजने हेतु उनकी वर्तमान प्रास्थिति /प्रक्रिया की रिपोर्ट तुरंत भेजें । बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे, ऐसी व्यवस्था या तंत्र यदि पहले से मौजूद नहीं हैं, तो तुरंत उपयुक्त व्यवस्था (तंत्र) स्थापित करें जिसके द्वारा सभी आवक / जावक संदेशों के लिए पुष्टि संदेश भेजे जाएं I इस संबंध में आपकी कार्य-योजना की एक प्रति इस पत्र की प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर हमें भेजें। इस संबंध में बैंकों के कार्य निष्पादन की नियमित रूप से निगरानी की जाएगी और किसी भी पथांतर को गंभीरता से लिया जाएगा। ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं। कृपया प्राप्ति स्वीकार करें और अनुपालन सूचित करें। भवदीय (विजय चुग) |