गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के मानक परिसंपत्तियों के 0.25% का प्रावधान - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के मानक परिसंपत्तियों के 0.25% का प्रावधान
भारिबैं/2010-11/370 17 जनवरी 2011 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदय गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के मानक परिसंपत्तियों के 0.25% का प्रावधान गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशियां स्वीकारने या धारण करने वाली) कंपनियां विवेकपूर्ण मानदंड (रिजर्व बैंक ) निदेश 2007 तथा गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशियां न स्वीकारने या धारण करने वाली) कंपनियां विवेकपूर्ण मानदंड (रिजर्व बैंक ) निदेश 2007, के अनुसार प्रत्येक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अनर्जक परिसंपत्तियों का आवश्यक प्रावधान करने की आवश्यकता है. प्रति चक्रियता के हित में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां वित्तीय बफर बनाना सुनिश्चित करें जिससे वित्तीय विघटन के प्रभाव से बचा जा सके, इसके लिए मानक परिसंपत्तियों के प्रावधान को भी लाने का निर्णय किया गया है. 2. तदनुसार
3. इस संबंध में गहन अनुपालन हेतु 17 जनवरी 2011 का अधिसूचना संख्या: गैबैंपवि.222मुमप्र (यूएस)-2011, तथा गैबैंपवि 223मुमप्र (यूएस)-2011 ( संलग्न) जारी की गई है. भवदीया, भारतीय रिजर्व बैंक अधिसूचना संख्या. डीएनबीएस 222/सीजीएम(यूएस)-2011 17 जनवरी 2011 भारतीय रिजर्व बैंक , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए, बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से 22 फरवरी 2007 का अधिसूचना सं. डीएनबीएस.192/डीजी(वीएल)-2007 में अंतविष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय ( जमाराशियां स्वीकारने या धारण करने वाली) कंपनियां विवेकपूर्ण मानदण्ड ( रिजर्व बैंक ) निदेश 2007 को संशोधित करना आवश्यक है. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम , 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञक द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है यथा- i) निम्नलिखित पैरा को निदेश के पैरा 9 के बाद , 9क पैरा के रूप में शामिल किया जाए.
ii) उक्त निदेश के पैरा (2) (xx)(सी) को निमनवत संशोधित करके पढा जाए. " सामान्य प्रावधानों ( मानक परिसंपत्तियों के लिए शामिल) तथा उस सीमा तक हानि आरक्षित निधि जो किसी विशिष्ठ परिसंपत्ति के मूल्य में वास्तविक कमी या उसमें ज्ञातव्य संभावित हानि के कारण नहीं है और ये अप्रत्याशित हानि की पूर्ति के लिए जोखिम भारित परिसंपत्तियों के एक और एक चौथाई प्रतिशत की सीमा तक उपलब्ध रहती है. " (उमा सुब्रमणियम ) मुख्य महाप्रबंधक भारतीय रिजर्व बैंक अधिसूचना संख्या. डीएनबीएस 223/सीजीएम(यूएस)-2011 17 जनवरी 2011 भारतीय रिजर्व बैंक , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से 22 फरवरी 2007 का अधिसूचना सं. डीएनबीएस.193/डीजी(वीएल)-2007 में अंतविष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय ( जमाराशियां स्वीकारने या धारण करने वाली) कंपनियां विवेकपूर्ण मानदण्ड ( रिजर्व बैंक ) निदेश 2007 को संशोधित करना आवश्यक है. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम , 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञक द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है यथा- i) निम्नलिखित पैरा को निदेश के पैरा 9 के बाद , 9क पैरा के रूप में शामिल किया जाए. " 9क. प्रत्येकगैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां को अतिदेय मानक परिसंपत्तियों के 0.25 प्रतिशत का सामान्य प्रावधान करना है, जिसकी गणना निवल अनर्जक परिसंपत्तियों में नहीं की जानी है. मानक परिसंपत्तियों के लिए किए गए प्रावधान को सकल अग्रिमों से नहीं घटाना है किंतु तुलन पत्र में अलग से "मानक परिसंपत्तीयों के विरूद्ध आकस्मिक प्रावधान " में दर्शाया जाना है. ii) उक्त निदेश के पैरा (2) (xx)(सी) को निमनवत संशोधित करके पढा जाए. " सामान्य प्रावधानों ( मानक परिसंपत्तियों के लिए शामिल) तथा उस सीमा तक हानि आरक्षित निधि जो किसी विशिष्ठ परिसंपत्ति के मूल्य में वास्तविक कमी या उसमें ज्ञातव्य संभावित हानि के कारण नहीं है और ये अप्रत्याशित हानि की पूर्ति के लिए जोखिम भारित परिसंपत्तियों के एक और एक चौथाई प्रतिशत की सीमा तक उपलब्ध रहती है. " (उमा सुब्रमणियम ) मुख्य महाप्रबंधक |