गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा मानक आस्तियों के लिए प्रावधान – अपर लेयर - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा मानक आस्तियों के लिए प्रावधान – अपर लेयर
आरबीआई/2022-23/61 6 जून 2022 सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदया/महोदय गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा मानक आस्तियों के लिए प्रावधान – अपर लेयर कृपया "स्केल आधारित विनियमन (एसबीआर): एनबीएफसी के लिए संशोधित नियामक ढांचा" पर 22 अक्तूबर 2021 का परिपत्र डीओआर.सीआरई.आरईसी.सं.60/03.10.001/2021-22 देखें, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह उल्लेख किया गया था कि आरबीआई द्वारा एनबीएफसी-अपर लेयर (एनबीएफसी-यूएल) के रूप में वर्गीकृत एनबीएफसी द्वारा धारित मानक आस्तियों के विभिन्न वर्गों के लिए विभेदक प्रावधानों पर दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। 2. तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि एनबीएफसी-यूएल के रूप में वर्गीकृत एनबीएफसी द्वारा 'मानक' आस्तियों के संबंध में बकाया निधिकृत राशि के लिए निम्नलिखित दरों पर प्रावधान रखे जाएंगे:
3. अनुमत व्युत्पन्न (डेरिवेटिव) लेनदेनों के कारण उत्पन्न होने वाले वर्तमान ऋण एक्सपोजर पर भी उक्त प्रावधान लागू होंगे जैसा कि संबंधित प्रतिपक्षकारों की 'मानक' श्रेणी में ऋण आस्तियों पर लागू है। मानक आस्तियों के प्रावधानों के व्यवहार के लिए लागू सभी शर्तें अनुमत व्युत्पन्न लेनदेन के लिए पूर्वोक्त प्रावधानों पर भी लागू होंगी। 4. चूंकि 250 करोड़ रुपये या उससे अधिक की निवल संपत्ति वाली एनबीएफसी को अपने वित्तीय विवरण तैयार करने के लिए भारतीय लेखा मानकों (इण्ड-एएस) का अनुपालन करना आवश्यक है, वे 13 मार्च 2020 को जारी परिपत्र डीओआर (एनबीएफसी) सीसी.पीडी.सं.109/22.10.106/2019-20 के अनुबंध के पैराग्राफ 2 के तहत निर्धारित विवेकपूर्ण फ्लोर के अधीन, इंड एएस के तहत आवश्यक हानि भत्ते को जारी रखेंगे। हालांकि, उपर्युक्त प्रावधानों को विवेकपूर्ण स्तर की गणना में शामिल किया जाएगा, लेकिन शुद्ध एनपीए की गणना के लिए इन्हे शामिल नहीं किया जाएगा। 5. इन निर्देशों के संदर्भ में, निम्नलिखित परिभाषाएं/स्पष्टीकरण लागू होंगे: ए) सूक्ष्म उद्यम, लघु उद्यम और मध्यम उद्यम इन शब्दों की परिभाषा दिनांक 2 जुलाई 2020 को 'सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र में ऋण प्रवाह' पर जारी और समय-समय पर अद्यतन किए गए परिपत्र एफ़आईडीडी.एमएसएमई और एनएफ़एस.बीसी.सं.3/06.02.31/2020-21 के अनुसार होगी। बी) वाणिज्यिक रियल एस्टेट (सीआरई) में बिल्डरों / डेवलपर्स/ अन्य सृजक/ वाणिज्यिक अचल संपत्ति का अधिग्रहण करने वाले (जैसे कार्यालय भवन, खुदरा स्थान, बहुउद्देश्यीय वाणिज्यिक परिसर, बहु-किरायेदार वाणिज्यिक परिसर, औद्योगिक या गोदाम स्थान, होटल, भूमि अधिग्रहण, विकास और निर्माण आदि) को दिये गए ऋण शामिल होंगे, जहां चुकौती की संभावनाएं, या चूक के मामले में वसूली, यह मुख्य रूप से पट्टे/किराये के भुगतान, बिक्री आदि के माध्यम से आस्ति द्वारा उत्पन्न नकदी प्रवाह पर निर्भर करेगा। इसके अलावा, किसी व्यक्ति को तीसरी आवासीय इकाई के लिए दिए गए ऋण को सीआरई एक्सपोजर के रूप में माना जाएगा। सी) वाणिज्यिक रियल एस्टेट - निवासीय आवास (सीआरई-आरएच) सीआरई की एक उप-श्रेणी है, जिसमें निवासीय आवास परियोजनाओं के लिए बिल्डरों/डेवलपर्स (कैप्टिव खपत को छोड़कर) को दिये जाने वाले ऋण शामिल हैं। ऐसी परियोजनाओं में आमतौर पर गैर-आवासीय वाणिज्यिक अचल संपत्ति शामिल नहीं होनी चाहिए। हालाँकि कुछ व्यावसायिक स्थानों वाली एकीकृत आवास परियोजना को भी सीआरई-आरएच के अंतर्गत निर्दिष्ट किया जा सकता है, (जैसे शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, स्कूल आदि) बशर्ते कि निवासीय आवास परियोजना में वाणिज्यिक क्षेत्र परियोजना के कुल फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) के 10 प्रतिशत से अधिक न हो। यदि मुख्य रूप से निवासीय आवास परिसर में वाणिज्यिक क्षेत्र का एफएसआई 10 प्रतिशत की सीमा से अधिक है, तो पूरे ऋण को सीआरई के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए न कि सीआरई-आरएच के रूप में। डी) लुभावनी दरों पर दिए जाने वाले आवास ऋणों का अर्थ है पहले कुछ वर्षों में तुलनात्मक रूप से कम ब्याज दर वाले आवास ऋण, जिसके बाद ब्याज दरों को उच्च दरों पर रीसेट किया जाता है। ई) वर्तमान क्रेडिट एक्सपोजर को एक ही प्रतिपक्षकार के संबंध में सभी डेरिवेटिव अनुबंधों के सकल सकारात्मक मार्क-टू-मार्केट मूल्य के योग के रूप में परिभाषित है, जो उसी प्रतिपक्ष के साथ अनुबंधों के किसी भी नकारात्मक मार्क-टू-मार्केट मूल्यों के समायोजन के बिना है। 6. ये दिशानिर्देश 1 अक्टूबर 2022 से प्रभावी होंगे। भवदीय (मनोरंजन मिश्रा) |