सर्व समावेशी निदेशो के तहत आने वाले प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के अंतरबैंक एक्सपोज़र पर प्रावधान - आरबीआई - Reserve Bank of India
सर्व समावेशी निदेशो के तहत आने वाले प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के अंतरबैंक एक्सपोज़र पर प्रावधान
भा.रि.बैं./2019-20/222 20 अप्रैल, 2020 मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया / महोदय, सर्व समावेशी निदेशो के तहत आने वाले प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के अंतरबैंक एक्सपोज़र पर प्रावधान जैसा कि आपको ज्ञात है, एक शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) पर सर्व-समावेशी निदेशो का आरोपण, अन्य बातों के साथ, बैंक को आरबीआई की अनुमति के अलावा अपनी देनदारियों के निर्वहन करने से रोकता है। यह ऐसे बैंक के साथ अन्य यूसीबी द्वारा रखे गए अंतरबैंक जमा राशि के आहरण पर प्रभाव डालता है, साथ ही साथ यूसीबी द्वारा जारी किए गए लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) के तहत आहरित भुनाये गए बिलों जैसे अंतरबैंक एक्सपोजर के समय पर निर्वहन पर भी प्रभाव डालता है। 2. यह सुनिश्चित करने के लिए कि शहरी सहकारी बैंको के वित्तीय विवरणो में इस तरह के एक्सपोज़र को निष्पक्ष रूप से पहचाना जाए, साथ ही इस तरह के एक्सपोज़र पर प्रावधान की आवश्यकताओं के प्रणालीगत प्रभाव को संबोधित करने के लिए, यह निम्नानुसार तय किया गया है: अ) यूसीबी का सर्व समावेशी निदेशो के तहत आने वाले यूसीबी के साथ रखी जमा राशि से उत्पन्न हुए अंतरबैंक एक्स्पोजर एवं सर्व समावेशी निदेशो के तहत आने वाले यूसीबी द्वारा जारी किए गए साख पत्रों के तहत आहरित भुनाये गए बिलों से उत्पन्न गैर निष्पादित एक्सपोजर पर 20% सालाना की दर से पाँच वर्ष में पूरा प्रावधान किया जाए। इसके अलावा, जमाराशि पर प्राप्य ब्याज को यूसीबी द्वारा आय के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी। ब) यदि यूसीबी ऐसी जमाराशि को दीर्घकालिक ऋण लिखतों (जैसे कि इनोवेटिव परपेचुयल डैब्ट इंस्ट्रूमेंट - आईपीडीआई) में परिवर्तित करना चुनते हैं, जिन्हें सर्व समवेशी निदेशो के तहत आने वाले यूसीबी के पुनर्गठन / पुनरुद्धार की योजना के तहत पूंजी साधन के रूप में मान्यता दी जा सकती है, तो जमाराशि के उस हिस्से पर प्रावधान की आवश्यकता नहीं होगी जिसे ऐसे लिखतों में परिवर्तित किया गया है। 3. उपरोक्त निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। भवदीय (नीरज निगम) |