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बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना पर विवेकशील दिशानिर्देश

आरबीआइ/2008-09/267
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 76/21.04.0132/2008-09

3 नवंबर 2008
12 कार्तिक 1930(शक)

अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक/
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी
(स्थानीय क्षेत्र बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना पर विवेकशील दिशानिर्देश

कृपया उपर्युक्त विषय पर 27 अगस्त 2008 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 37/21.04.132/2008-09 का पैरा 6.1 देखें जिसके अनुसार उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 6 में निर्दिष्ट किये गये अनुसार अग्रिमों की पुनर्रचना पर आस्ति वर्गीकरण के लिए विशेष विनियामक व्यवहार से अग्रिमों की केवल तीन श्रेणियों को ही बाहर रखा गया
है। इस प्रकार बैंकों द्वारा मंजूर किये गये आवास ऋणों की यदि पुनर्रचना की जाती है तो वे विशेष विनियामक व्यवहार के लिए पात्र होंगे ।पैरा 6.2.2(iii) के अनुसार पुनर्रचित अग्रिमों (आधारभूत सुविधाओं के लिए अग्रिमों को छोड़कर) की चुकौती अवधि पर 10 वर्ष की अधिकतम सीमा की शर्त भी लगाई गई है ताकि पुनर्रचित अग्रिम विशेष विनियामक व्यवहार के लिए पात्र हो सके ।

2. यह देखा गया है कि 10 वर्ष की उपर्युक्त अधिकतम सीमा के कारण कई आवास ऋण विशेष विनियामक व्यवहार के लिए पात्र नहीं होंगे क्योंकि वे सामान्यत: काफी लंबी चुकौती अवधि के साथ मंजूर किये जाते हैं ।

3. इस मामले की समीक्षा की गयी है और यह निर्णय लिया गया है कि पुनर्रचित अग्रिमों की चुकौती अवधि पर लागू 10 वर्ष की अधिकतम सीमा पुनर्रचित आवास ऋणों पर लागू नहीं होगी, बशर्ते उपर्युक्त दिशानिर्देशों में निर्धारित अन्य सभी शर्तों का पूरा पालन किया जाए । बैंकों के निदेशक बोर्डों को चाहिए कि वे अग्रिमों की सुरक्षा और सुदृढ़ता को विचार में लेते हुए पुनर्रचित अग्रिमों के लिए अधिकतम अवधि निर्धारित करें ।

4. यह भी निर्णय लिया गया है कि पुनर्रचित आवास ऋणों पर दिनांक 1 जुलाई 2008 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 11/21.06.0001/2008-09 द्वारा जारी "पूंजी पर्याप्तता और बाज़ार अनुशासन पर विवेकशील दिशानिर्देश - पूंजी पर्याप्तता के नये ढांचे का कार्यान्वयन" संबंधी हमारे मास्टर परिपत्र के पैरा 5.10.1 में निर्धारित जोखिम भार से 25 प्रतिशत अंकों का अतिरिक्त जोखिम भार लगाया जाए ।

भवदीय

(पी. विजय भास्कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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