बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना से संबंधित विवेकपूर्ण दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना से संबंधित विवेकपूर्ण दिशानिर्देश
आरबीआइ सं. 2008-09/143 |
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 37/21.04.132/2008-09 |
27 अगस्त 2008 |
5 भाद्र 1930 (शक) |
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक /मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना से संबंधित विवेकपूर्ण दिशानिर्देश कृपया कंपनी ऋण पुनर्रचना (सीडीआर) तथा लघु और मझौले उद्यम ऋण पुनर्रचना प्रणालियों के अंतर्गत ऋण पुनर्रचना को छोड़कर बैंकों द्वारा की जानेवाली ऋण पुनर्रचना से संबंधित विवेकपूर्ण दिशानिर्देशाें का प्रारूप देखें, जिसे 21 जून 2007 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 1522/ 21.04.132/ 2006-07 द्वारा जनता के अभिमत और सुझाव आदि जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया था । वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य में अंग्रिमों (सीडीआर प्रणाली के अंतर्गत आनेवाले अग्रिमों को छोड़कर) की पुनर्रचना से संबंधित वर्तमान दिशानिर्देशों की समीक्षा करने तथा उन्हें संशोधित सीडीआर प्रणाली के प्रावधानों से सुसंगत बनाने के लिए एक कार्य दल गठित करने के संबंध में की गयी घोषणा के अनुसरण में ये प्रारूप दिशानिर्देश जारी किये गये थे । 2. कार्य दल की सिफारिशों तथा विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों के प्रारूप पर जनता से प्राप्त अभिमत और सुझावों के आधार पर विभिन्न प्रकार के अग्रिमों की पुनर्रचना पर लागू होनेवाले सिद्धांतों को परस्पर सुसंगत बनाया गया है तथा इस विषय पर अब तक जारी सभी दिशानिर्देशों का अधिक्रमण करते हुए नये दिशानिर्देश संलग्न किये गये हैं । 3. इस परिपत्र की तारीख के बाद पुनर्रचित सभी खातों पर ये दिशानिर्देश लागू होंगे । भवदीय (प्रशांत सरन) |