बैंकों द्वारा अंग्रिमों की पुनर्रचना के संबंध में विवेकपूर्ण दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों द्वारा अंग्रिमों की पुनर्रचना के संबंध में विवेकपूर्ण दिशानिर्देश
आरबीआइ/2008-09/370 |
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 105 /21.04.132/2008-09 |
4 फरवरी 2009 |
15 माघ 1930 (शक) |
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक /मुख्य कार्यपालक अधिकारी |
महोदय |
बैंकों द्वारा अंग्रिमों की पुनर्रचना के संबंध में विवेकपूर्ण दिशानिर्देश |
कृपया उपर्युक्त विषय पर 2 जनवरी 2009 का हमारा परिपत्र आरबीआइ/2008-09/340 बैंपविवि. बीपी. सं. 104/21.04.132/2008-09 देखें । |
2. उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 4(क) के अनुसार 8 दिसंबर 2008 के परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. 93/21.04.132/ 2008-09 में शामिल सभी खाते, जो 1 सितंबर 2008 को मानक खाते थे, पुनर्रचना के बाद मानक खाते माने जाएंगे, बशर्ते पुनर्रचना 31 जनवरी 2009 या उससे पहले आरंभ की जाती है (अर्थात् पुनर्रचना के लिए आवेदन पत्र प्राप्त किया जाता है) तथा पुनर्रचना पैकेज आरंभ करने की तारीख से 120 दिनों की अवधि के भीतर पुनर्रचना पैकेज लागू कर दिया जाता है । बैंकों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं कि चूंकि पुनर्रचना किये जानेवाले खातों की संख्या बड़ी है, अत: 31 जनवरी 2009 तक ऐसे सभी खातों की पुनर्रचना करना संभव नहीं होगा । इसे ध्यान में रखते हुए उपर्युक्त विनियामक छूट की अवधि 31 मार्च 2009 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है । यह स्पष्ट किया जाता है कि यह छूट उन सभी खातों पर लागू होगी जो 27 अगस्त 2008 के हमारे परिपत्र के अंतर्गत पात्र हैं तथा जो 1 सितंबर 2008 को मानक खाते थे । |
3. इसके साथ-साथ, यह स्पष्ट किया जाता है कि (i) बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना का सामान्य ढांचा 27 अगस्त 2008 के परिपत्र के अनुसार जारी रहेगा । (ii) इस परिपत्र और 8 दिसंबर 2008 और 2 जनवरी 2009 के परिपत्रों के सभी प्रावधान, जहां तक प्रासंगिक हैं, सीडीआर प्रणाली के अंतर्गत पुनर्रचित खातों पर भी लागू होंगे । |
भवदीय |
(प्रशांत सरन) |
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |