अग्रिमों के संबंध में आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करने से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड
भारिबैं/2016-17/198 28 दिसंबर, 2016 सभी विनियमित संस्थाएं महोदया / महोदय, अग्रिमों के संबंध में आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करने से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड कृपया 21 नवंबर, 2016 का परिपत्र बैविवि.सं.बीपी.बीसी.37/21.04.048/2016-17 देखें। 2. समीक्षा के बाद, यह निर्णय लिया गया है कि: (i) ऊपर उल्लिखित परिपत्र के माध्यम से प्रदान किए गए 60 दिनों के अतिरिक्त, निम्नलिखित श्रेणी के ऋणों के मामले में 30 दिन और प्रदान किए जाएं: (क) किसी बैंक में चल रहे कार्यशील पूंजी खाते (ओडी/सीसी)/फसल ऋण, जहां मंजूर की गई सीमा ₹ 1 करोड या उससे कम हो; (ख) व्यावसायिक प्रयोजन के लिए मीयादी ऋण, चाहे जमानती हों या अन्यथा, जहां मूल रूप से मंजूर की गई राशि किसी बैंक या एनबीएफसी (एमएफआई) सहित किसी एनबीएफसी की बही में ₹ 1 करोड या उससे कम हो। इसमें कृषि ऋण शामिल होगा। टिप्पणी: उपर्युक्त क्रम (क) और (ख) में दी गई सीमाएं ऋणों की संबंधित श्रेणी पर लागू परस्पर विशिष्ट (एक्सक्लूसिव) सीमाएं हैं। उपर्युक्त व्यवस्था 1 नवंबर 2016 और 31 दिसंबर 2016 के बीच देय बकाया राशियों पर लागू होगी। (ii) सभी विनियमित संस्थाओं को अनुमति दी जाए कि वे ऐसे खातों की श्रेणी घटाने की प्रक्रिया को आस्थगित करें जो 1 नवंबर 2016 को तो मानक थे, लेकिन 1 नवंबर 2016 से 31 दिसंबर 2016 के दौरान किसी कारणवश अनर्जक आस्ति हो गए। निम्नलिखित श्रेणी के खातों में इस प्रकार से श्रेणी घटाने की तिथि से 90 दिनों के लिए यह आस्थगन किया जाएगा: (क) किसी बैंक में चल रहे कार्यशील पूंजी खाते (ओडी/सीसी)/फसल ऋण, जहां मंजूर की गई सीमा ₹ 1 करोड या उससे कम हो; (ख) व्यावसायिक प्रयोजन के लिए मीयादी ऋण, चाहे जमानती हों या अन्यथा, जहां मूल रूप से मंजूर की गई राशि किसी बैंक या एनबीएफसी (एमएफआई) सहित किसी एनबीएफसी की बही में ₹ 1 करोड या उससे कम हो। इसमें कृषि ऋण शामिल होगा। टिप्पणी: उपर्युक्त क्रम (क) और (ख) में दी गई सीमाएं ऋणों की संबंधित श्रेणी पर लागू परस्पर विशिष्ट (एक्सक्लूसिव) सीमाएं हैं। 3. पैरा 2 में दिया गया अतिरिक्त समय केवल किसी मौजूदा मानक आस्ति के अवमानक के रूप में वर्गीकरण को आस्थगित करने के लिए ही लागू होगा, न कि खाते को अनर्जक आस्ति की उप-श्रेणियों में डालने में विलम्ब करने के लिए। 4. संबंधित विनियमित संस्थाओं के लिए 1 जनवरी 2017 के बाद देय बकाया राशियों पर मौजूदा निदेश लागू होंगे। भवदीय, (एस.एस. बारिक) |