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अग्रिमों से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - कार्यान्वयन के अधीन परियोजनाएं

आरबीआइ/2009-10/375
बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.85/21.04.048/2009-10

31 मार्च 2010
10 चैत्र 1932 (शक)

अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

अग्रिमों से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण
पर विवेकपूर्ण मानदंड - कार्यान्वयन के अधीन परियोजनाएं

ाृपया अग्रिमों से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण संबंधी विवेकपूर्ण मानदंडों पर 01 जुलाई 2009 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 17/21.04.048/2008-09 (आगे इसे आईआरएसी मानदंडों पर मास्टर परिपत्र कहा जाएगा) का पैरा 4.2.15 (iv) देखें जिसके अनुसार मानक आस्ति वर्गीकरण बनाए रखने के प्रयोजन से औद्योगिक परियोजनाओं के लिए परियोजना के पूरा होने की मूल तिथि के बाद वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के मामले में दो वर्ष तथा औद्योगिक परियोजानाओं के मामले में छ: महीने की छूट अवधि उपलब्ध है बशर्ते खाते में ब्याज नियमित रूप से अदा किया जा रहा हो ।

2.  हमें इसके लिए अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं कि विधिक और सरकारी अनुमोदन आदि में विलंब जैसे अन्य बाहरी कारणों से ऐसे कई मौके आते हैं जब परियोजनाओं के पूरा होने में विलंब हो जाता है । इन सभी कारकों, जो प्रोमोटरों के नियंत्रण के बाहर होते हैं, के चलते परियोजना के कार्यान्वयन में विलंब हो सकता है और साथ ही बैंकों द्वारा ऋण को पुनर्रचित एवं पुनर्व्यवस्थित भी किया जा सकता है । तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि पैराग्राफ 4 में दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार परियोजना ऋण के लिए आस्ति वर्गीकरण संबंधी मानदंडों में संशोधन वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ होने से पहले किया जाए । तथापि, ये दिशानिर्देश आईएआरसी मानदंडों पर मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 14.1 के अंतर्गत आने वाले अग्रिमों (वाणिज्यिक स्थावर संपदा एक्सपोज़र के रूप में वर्गीकृत अग्रिम; पूंजी बाजार एक्सपोज़र के रूप में वर्गीकृत अग्रिम; तथा उपभोक्ता और वैयक्तिक अग्रिम) की पुनर्रचना पर लागू नहीं होंगे । इन अग्रिमों पर मौजूदा उपबंध अर्थात् उपर्युक्त परिपत्र का पैराग्राफ 14.1 पूर्ववत लागू रहेगा ।

3.  इस प्रयोजन से सभी परियोजना ऋणों को निम्नलिखित दो श्रेणियों में बांटा गया है :

(i) इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए परियोजना ऋण

(ii) गैर-इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए परियोजना ऋण

‘परियोजना ऋण’ का तात्पर्य है ऐसा कोई मीयादी ऋण जो कोई आर्थिक उद्यम स्थापित करने के उद्देश्य से दिया गया है । सभी परियोजना ऋणों के मामले में बैंकों को ऋण मंजूर करते समय/वित्तीय क्लोजर (बहु-बैंकिंग अथवा सहायता संघीय व्यवस्था के मामले में) के समय वाणिज्यिक परिचालन के प्रारंभ होने की तिथि (डीसीसीओ) अवश्य निर्धारित करनी चाहिए ।

4. कार्यान्वयन के अधीन परियोजनाओं के आस्ति वर्गीकरण संबंधी संशोधित दिशानिर्देश

4.1 इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए परियोजना ऋण

4.1.1  किसी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के ऋण को वाणिज्यिक परिचालन के प्रारंभ होने से पहले वसूली के रिकार्ड (90 दिन अतिदेय होने के बाद) के अनुसार किसी भी समय एनपीए के रूप में वर्गीकृत कर दिया जाएगा यदि निम्नलिखित पैरा 4.1.3 से 4.1.5 के अनुसार उसे पुनर्रचित नहीं किया जाता और वह ‘मानक आस्ति’ के रूप में वर्गीकृत किए जाने का पात्र नहीं हो जाता ।

4.1.2 किसी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए ऋण को एनपीए के रूप में वर्गीकृत कर दिया जाएगा यदि वह वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की मूल तिथि से दो वर्ष के भीतर वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ नहीं कर पाता है भले ही वह वसूली के रिकार्ड के अनुसार नियमित हो और जब तक कि निम्नलिखित पैरा 4.1.3 से 4.1.5 के अनुसार पुनर्रचित नहीं किया जाता और वह ‘मानक आस्ति’ के रूप में वर्गीकृत किए जाने का पात्र नहीं हो जाता ।

4.1.3  यदि ‘मानक आस्ति’ के रूप में वर्गीकृत किसी ऋण को आईआरएसी मानदंडों पर 01 जुलाई 2009 के मास्टर परिपत्र के भाग ‘ख’ के उपबंधों के अनुसार वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की मूल तिथि (डीसीसीओ) से दो वर्ष के भीतर पुनर्रचित किया जाता है तो उसे मानक आस्ति के रूप में बनाए रखा जा सकता है यदि वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की नयी तिथि निम्नलिखित सीमाओं के भीतर निर्धारित की जाती है और इसके अलावा यदि पुनर्रचित शर्तों के अनुसार खाते में ब्याज का भुगतान किया जाता रहा हो ।

(क) न्यायिक मामलों वाली इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं

यदि उत्पादन प्रारंभ करने की तिथि में बढ़ोतरी का कारण मध्यस्थता संबंधी कार्यवाही अथवा न्यायिक मामला हो तो अगले 2 वर्ष तक (समय सीमा में 2 वर्ष की मौजूदा वृद्धि के बाद अर्थात् कुल 4 वर्ष की समय वृद्धि)

(ख) प्रोमोटरों के नियंत्रण से बाहर के कारणों से इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में हुआ विलंब

न्यायिक मामलों से इतर मामलों में 1 वर्ष तक (समय सीमा में 2 वर्ष की मौजूदा बढ़ोतरी के बाद 1 वर्ष अर्थात् कुल 3 वर्ष की समय वृद्धि)

4.1.4 यह बात दोहराई जाती है कि उपर्युक्त पैरा 4.1.3 के अंतर्गत दी गयी छूट तभी लागू होगी जब आईआरएसी मानदंडों पर मास्टर परिपत्र के अनुसार खातों की पुनर्रचना से संबंधित उपबंधों का अनुपालन किया गया हो जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह अपेक्षा की गयी है कि पुनर्रचना के लिए आवेदन वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की मूल तिथि से दो वर्ष की समय सीमा समाप्त होने से पहले प्राप्त किया गया हो और खाता वसूली के रिकॉर्ड के अनुसार अभी भी मानक बना हुआ हो । अन्य लागू होने वाली शर्तें निम्नलिखित होंगी  :

क. जिन मामलों में ब्याज के भुगतान के लिए अधिस्थगन लगाया गया हो उनमें बैंकों को ऐसे पुनर्रचित खातों से जुड़े उच्च जोखिम पर विचार करते हुए वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की मूल तिथि से दो वर्ष से अधिक समय के बाद उपचित आधार पर आय दर्ज नहीं करनी चाहिए ।

ख. बैंकों को ऐसे खातों के लिए जब तक उन्हें मानक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत रखा जाता है, निम्नानुसार प्रावधान बनाए रखना चाहिए :

वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ होने की मूल तिथि से दो वर्ष तक

  0.40%

वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ होने के बाद तीसरे एवं चौथे वर्ष के दौरान

 1.00%

4.1.5  इन दिशानिर्देशों के प्रयोजन से वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ होने की तिथि में बढ़ोतरी मात्र को भी पुनर्रचित माना जाएगा भले ही अन्य सभी शर्तें पूर्ववत बनी रहें ।

4.2 गैर-इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए परियोजना ऋण

4.2.1  किसी गैर-इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के ऋण को वाणिज्यिक परिचालन के प्रारंभ के पहले वसूली के रिकार्ड (90 दिन अतिदेय होने के बाद) के अनुसार किसी भी समय एनपीए के रूप में वर्गीकृत कर दिया जाएगा यदि निम्नलिखित पैरा 4.2.3 से 4.2.5 के अनुसार उसे पुनर्रचित नहीं किया जाता और वह ‘मानक आस्ति’ के रूप में वर्गीकृत किए जाने का पात्र नहीं हो जाता ।

4.2.2  किसी गैर-इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए ऋण को एनपीए के रूप में वर्गीकृत कर दिया जाएगा यदि वह वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की मूल तिथि से छ: महीने के भीतर वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ नहीं कर पाता है भले ही वह वसूली के रिकार्ड के अनुसार नियमित हो और जब तक कि उसे निम्नलिखित पैरा 4.2.3 से 4.2.4 के अनुसार पुनर्रचित नहीं किया जाता और वह ‘आस्ति मानक’ के रूप में वर्गीकृत किए जाने का पात्र नहीं हो जाता ।

4.2.3  गैर-इंफ्रास्ट्रक्चर परियोयजनाओं के मामले में यदि वाणिज्यिक परिचालनों को प्रारंभ करने में विलंब वित्तीय क्लोजर के समय तयशुदा परियोजना समाप्त करने की तिथि से छ: महीने से अधिक होता है तो बैंक वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की नयी तिथि तय कर सकते हैं और आईआरएसी मानदंडों पर हमारे मास्टर परिपत्र में निहित उपबंधों के अनुसार खातों की पुनर्रचना करके ‘मानक’ वर्गीकरण बनाए रख सकते हैं बशर्ते वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की नयी तिथि वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की मूल तिथि से बारह महीने की अवधि से अधिक न हो । अन्य बातों के साथ इसका यह तात्पर्य होगा कि पुनर्रचित करने का आवेदन वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की मूल तिथि से छ: माह का समय पूरा होने से पहले तथा जब वसूली के रिकॉर्ड के अनुसार खाता अभी भी ‘मानक’ हो तब प्राप्त हुआ है । नीचे दी गयी अन्य शर्तें भी लागू होंगी

क. जिन मामलों में ब्याज के भुगतान के लिए अधिस्थगन लगाया गया हो उनमें बैंकों को ऐसे पुनर्रचित खातों से जुड़े उच्च जोखिम पर विचार करते हुए वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की मूल तिथि से दो वर्ष से अधिक समय के बाद उपचित आधार पर आय दर्ज नहीं करनी चाहिए

ख. बैंकों को ऐसे खातों के लिए जब तक कि उन्हें मानक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत रखा जाता है, निम्नानुसार प्रावधान बनाए रखना चाहिए :

वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ होने की मूल तिथि से छ: महीने तक

  0.40%

अगले छ: महीने के दौरान

  1.00%

4.2.4  इस प्रयोजन से वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ होने की तिथि में बढ़ोतरी मात्र को भी पुनर्रचित माना जाएगा भले ही अन्य सभी शर्तें पूर्ववत बनी रहें ।

4.3 अन्य मुद्दे

4.3.1  वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ होने से पहले परियोजना ऋणों की पुनर्रचना के अन्य सभी पहलुओं पर अग्रिमों से संबंधित आय-निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण संबंधी विवेकपूर्ण मानदंडों पर मास्टर परिपत्र के भाग ‘ख’ के उपबंध लागू होंगे । वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ होने के बाद परियोजना ऋणों की पुनर्रचना भी इन्हीं अनुदेशों के अनुसार की जानी चाहिए ।

4.3.2  परियोजना के दायरे एवं आकार में वृद्धि के कारण परियाजना के परिव्यय में वृद्धि के परिणामस्वरूप किसी परियोजना ऋण के चुकौती कार्यक्रम में किसी परिवर्तन को पुनर्रचना नहीं माना जाएगा यदि :

(i) परियोजना के दायरे और आकार में वृद्धि मौजूदा परियोजना का वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ होने से पहले होती है ।

(ii) मूल परियोजना की परिकल्पित लागत में किसी प्रकार की बढ़ोतरी को छोड़कर लागत में अन्य वृद्धि मूल परिव्यय के 25% अथवा उससे अधिक है ।

(iii) बैंक परियोजना के दायरे में वृद्धि को अनुमोदित तथा वाणिज्यिक परिचालन प्रारंभ करने की नयी तिथि निर्धारित करने से पहले परियोजना की व्यावहारिकता का पुनर्मूल्यांकन करता है ।

(iv) पुन: रेटिंग के उपरांत (यदि पहले रेटिंग की गयी हो) नयी रेटिंग पिछली रेटिंग से एक से अधिक श्रेणी कम न हो ।

5. ये दिशानिर्देश उन मामलों में लागू होंगे जहाँ बैंकों द्वारा मौजूदा ऋणों की शर्तों में उपर्युक्त संशोधन इस परिपत्र की तारीख से अनुमोदित किये गये हों ।

भवदीय

(बी. महापात्र)
मुख्य महाप्रबंधक

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