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संविभाग निवेश योजना (पीआइएस) के तहत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (एसआइआइएस) द्वारा शेयरों और/अथवा परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीद तथा बिक्री

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई 400001

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 53

17 दिसंबर 2003

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय

संविभाग निवेश योजना (पीआइएस) के तहत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (एसआइआइएस) द्वारा शेयरों और/अथवा परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीद तथा बिक्री

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी के जरिये जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के किसी निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण तथा निर्गम) विनियमावली, 2000 की ओर आकर्षित किया जाता है। उसकी अनुसूची 2 के खंड 1 (1) के साथ पठित विनियम 5(2) के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक, संविभाग निवेश योजना (पीआइएस) के तहत किसी भारतीय कंपनी के शेयर अथवा परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीद के लिए अनुमति प्रदान किये जाने के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन कर सकते हैं।

2. अब यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों/ विदेशी संस्थागत निवेशकों के उप-खातों को  भारतीय कंपनियों (प्रिंट मीडिया क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों को छोड़कर) के ईक्विटी  शेयर्स/ डिबेंचर्स, घरेलु म्युच्युअल फंडों के युनिटस्, भारत में प्रचलित बाज़ार कीमत  पर स्टॉक एक्स्चेंज के जरिये दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियाँ तथा खजाना बिलों की बिक्री/ खरीद, एक्स्चेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव्ज कॉन्ट्रैक्टस् में निवेश/ व्यापार करने तथा संलग्नक में निर्धारित शर्तों के अनुसार भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड/ रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित कीमत पर स्टॉक एक्स्चेंज पर अन्यथा सूचीबद्ध/ असूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों तथा डिबेंचरों की बिक्री/ खरीद के लिए अनुमति दी जाए। विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश के प्रयोजन के लिए, सरकारी प्रतिभूतियों में सभी परिपक्वताओं वाली भारत सरकार तथा राज्य सरकार दोनों की दिनांकित प्रतिभूतियाँ तथा भारत सरकार के खजाना बिलों का समावेश होगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों तथा खजाना बिलों में निवेश एक तो प्राथमिक बाजार (नीलामी तथा निर्गम जारी करने पर) में अथवा द्वितियक बाजार में किया जा सकता है। निवेश भारत के सरकारी गज़ट में प्रकाशित किये गये अनुसार समय-समय पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड/ भारत सरकार द्वारा आशोधित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (विदेशी संस्थागत निवेशक) विनियमावली, 1995 के अधीन होंगे।

3. प्रदान की गयी अनुमति, (क) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों के पक्ष में शेयरों / डिबेंचरों के अंतरण पंजीकृत करने के लिए तथा (ख) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों/ विदेशी संस्थागत निवेशकों के उप- खातों द्वारा खरीदे गये डिबेंचरों के रूपांतरण के कारण शेयर जारी करने के लिए निवेशिति कंपनी/ कंपनियों को   विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 के तहत रिज़र्व बैंक की अनुमति के रूप में भी समझी जाएगी।

4. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी के जरिये जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के किसी निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण तथा निर्गम) विनियमावली, 2000 में आवश्यक  संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं।

5. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं।

6. इस परिपत्र में समाहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1)केअंतर्गतजारीकियेगयेहैं।

भवदीय

एफ.आर. जोसेफ
मुख्यमहाप्रबंधक


संलग्नक
(17 दिसंबर 2003 का
एपी(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.53)

1. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक/ अनुमोदित उप-खाते को विदेशी मुद्रा मूल्यवर्गित खाता और / अथवा एक विशेष अनिवासी खाता खोलने के लिए तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (विदेशी संस्थागत निवेशक) विनियमावली, 1995 के अनुसार प्रतिभूतियों में विशुद्ध निवेश के लिए विदेशी मुद्रा खाते से रूपया खाते में निधियाँ अंतरित करने के लिए अनुमति दी जाती है। राशियां विदेशी मुद्रा खाते से रूपया खाते में प्रचलित बाजार दर पर अंतरित की जा सकती है तथा प्राधिकृत व्यापारी रूपया खाते से विदेशी मुद्रा खाते में प्रत्यावर्तनीय राशियाँ (कर के भुगतान के बाद) अंतरित कर  सकते हैं।

2. विशेष अनिवासी रूपया खाते में शेयरों/ डिबेंचरों, दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों, खजाना बिलों, आदि की बिक्री, डिविडंड, ब्याज के रूप में प्राप्त आय, बुक किये गये फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्टस्, आदि से प्राप्त राशि, शेयरों के राइट प्रस्तावों की बिक्री के संबंध में प्राप्त क्षतिपूर्ति तथा यथोचित कर, यदि कोई हो, की कटौती के बाद भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड की प्रतिभूति लेंडिंग योजना, 1997 के तहत उधार रखी गयी प्रतिभूतियों पर अर्जित आय जमा कर सकते हैं बशर्ते प्राधिकृत व्यापारी संबंधित निवेशिति कंपनी/ विदेशी संस्थागत निवेशक से इस बात की पुष्टि प्राप्त करेंगे कि आय कर अधिनियम के अनुसार लागू दर पर डिविडंड/देय ब्याज/शेयर की अनुमोदित आय, डिबेंचर/सरकारी प्रतिभूतियाँ धारक की समग्र राशि से स्त्रोत पर कर की कटौती, जहां आवश्यक हो, की गयी है।

3. विशेष अनिवासी रूपया खाते में शेयरों/डिबेंचरों, दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों, खजाना बिलों, आदि की खरीद के लिए तथा आवेदक विदेशी संस्थागत निवेशक के स्थानीय सनदी लेखाकार/कर परामर्शदाता के शुल्क, जहाँ ऐसा शुल्क उनकी निवेश प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण भाग है, के भुगतान के लिए राशि नामे डाल दी जा सकती है।

4. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक/ उप-खाते को प्रस्ताव/ निजी व्यवस्था के जरिये किसी भारतीय कंपनी के शेयर/ परिवर्तनीय डिबेंचर की खरीद के लिए लागू उच्चतम सीमा की शर्त पर अनुमति दी गयी है तथा भारतीय कंपनी को ऐसे शेयर जारी करने के लिए अनुमति दी गयी है बशर्ते:

(i) पब्लिक प्रस्ताव के मामले में, जारी किये जानेवाले शेयर की कीमत उस कीमत से कम न हो जिस कीमत पर शेयर निवासियों को जारी किये हैं और

(ii) प्राइवेट प्लेसमेंट द्वारा निर्गम के मामले में, जारी किये जानेवाले शेयर की कीमत उस कीमत से कम न हो जो सेबी दिशा-निर्देशों अथवा कैपिटल इश्यू के नियंत्रक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार निकाली गयी हो। पीसीडीएस/एफसीडीएस/राइटरिन्यूनसिएशन/वारंटस्/घरेलू म्युच्युअल फंड योजनाओं के युनिटस् की भी खरीद की जा सकती है।

5. विदेशी संस्थागत निवेशक मंदड़िया बिक्री नहीं करेंगे तथा खरीदी गई प्रतिभूतियों की सुपुर्दगी नहीं लेंगे और बेची गई प्रतिभूतियों की सुपुर्दगी नहीं देंगे। प्रतिभूति की असुपुर्दगी अवधि के दौरान लेनदेन का समान क्रय-विक्रय नहीं होगा।

6. सेबी द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय पूंजी बाज़ार में ईक्विटी तथा कर्ज के 70:30 के अनुपात के बीच अपने कुल निवेश का आबंटन सीमित रखेंगे।

7. सेबी द्वारा पंजीकृत एकल विदेशी संस्थागत निवेशक/ उप- खाता द्वारा प्रत्येक कंपनी में ईक्विटी शेयरों की खरीद कंपनी की प्रदत्त ईक्विटी पूंजी के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। प्रत्येक विदेशी कंपनी तथा विदेशी व्यक्ति द्वारा ईक्विटि की खरीद यथालागू 24 प्रतिशत की कुल समग्र सीमा अथवा क्षेत्रीय सीमा (कैप)/ सांविधिक सीमा के भीतर कंपनी की प्रदत्त ईक्विटि पूंजी के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।  इस सीमा में प्राथमिक / अनुषंगी बाज़ार में शेयरों के अभिग्रहण का समावेश होगा।

8. सेबी द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक सेबी द्वारा समय-समय पर निर्धारित स्थिति सीमा के अधीन भारत के स्टॉक एक्सचेंस में सभी विदेशी मुद्रा में व्यापारित डेरिवेटिव्ज़ कॉन्ट्रेक्ट में व्यापार कर सकते हैं। सेबी द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक/ उप-खाता अपने विशेष अनिवासी रुपया खाते का एक अलग उप-खाता खोल सकते हैं जिसके जरिए प्रारंभिक सीमा तथा प्रतिभूतियों का दैनिक बाजार मूल्य निपटान, लेनदेन प्रभार, दलाली आदि सहित विदेशी मुद्रा में व्यापारित डेरिवेटिव्ज़ कॉन्ट्रेक्ट में व्यापार/ निवेश से संबंधित सभी प्राप्तियों तथा भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा, विदेशी मुद्रा में व्यापारित डेरिवेटिव्ज़ कॉन्ट्रेक्ट में व्यापार के प्रयोजन के लिए रखे गये विशेष अनिवासी रुपया खाता और उप-खाता के बीच अंतरण मुक्त रूप से किया जा सकता है। तथापि रुपया राशि का प्रत्यावर्तन संबंधित करों का भुगतान करने पर उनके विशेष अनिवासी खाते के जरिए ही किया जा सकता है। प्राधिकृत व्यापारी उप-खाते का उचित रिकार्ड रखें  तथा जब कभी आवश्यक हो, रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करें।

9. सेबी द्वारा पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक/ उप-खाता विनिमय/ समाशोधन गृहों द्वारा निर्धारित सीमा को कवर करने के लिए पर्याप्त राशि व्यापारिक सदस्य/ समाशोधन सदस्य के पास रख सकते हैं। यह राशि तत्काल  आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए जरूरी हो सकती है।

10. सभी लेनदेनों(डेरिवेटिव व्यापार को छोड़कर) के संबंध में दैनिक विवरण निर्धारित फार्मेट में फ्लॉपी/सॉफ्ट कॉपी में सीधे ही मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विनिमय विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी निवेश प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, केंद्रीय कार्यालय भवन, मुंबई-400 001 को समग्र सीमा/क्षेत्रीय सीमा/सांविधिक सीमा की निगरानी करने के लिए प्रस्तुत करना चाहिए।  जब विदेशी संस्थागत निवेशकों की कुल धारिता लागू सीमा के 2 प्रतिशत के भीतर रहती है तब भारतीय रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों की पदनामित शाखाओं को इस बात का उल्लेख करते हुए नोटिस जारी करेंगा कि उक्त कंपनी के शेयरों की आगे और खरीद के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन आवश्यक है। एकबार निर्धारित समग्र सीमा/क्षेत्रीय सीमा/ सांविधिक सीमा प्राप्त कर लेने के बाद कोई भी खरीद नहीं की जाएगी।

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