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अंतर कंपनी जमाराशियों (आइसीडी) के माध्यम से संसाधन जुटाना

भारिबैं/2010-11/224
संदर्भ : आंऋप्रवि.पीसीडी.सं.20/14.03.05/2010-11

1 अक्तूबर 2010

सभी स्वतंत्र प्राथमिक व्यापारी

महोदय

अंतर कंपनी जमाराशियों (आइसीडी) के माध्यम से संसाधन जुटाना

कृपया प्राथमिक व्यापारियों को परिचालनगत दिशानिर्देशों पर 1 जुलाई 2010 का मास्टर परिपत्र भारिबैं/2010-11/81 (आंऋप्रवि.पीडीआरडी. 01/03.64.00/2010-11) देखें जिसमें स्वतंत्र प्राथमिक व्यापारियों को अन्य शर्तों का पालन करते हुए अपनी निवल स्वाधिकृत निधि 50% की सीमा तक अंतर कंपनी जमाराशियों के माध्यम से जुटाने की अनुमति दी गई है।

2. उक्त निर्देशों की समीक्षा की गई है तथा यह निर्णय लिया गया है कि स्वतंत्र प्राथमिक व्यापारियों को पिछले वित्तीय वर्ष के मार्च के अंत तक उनकी निवल स्वाधिकृत निधियो के 75% तक अंतर कंपनी जमाराशियों के माध्यम से जुटाने की अनुमति दी जाए। साथ ही, स्वतंत्र प्राथमिक व्यापारियों को अपनी निधियन आवश्यकताओं के आधार पर अंतर कंपनी अंतरण जुटाने की अनुमति है। तदनुसार, उक्त मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 3.6 को निम्नानुसार संशोधित किया गया है :-

वर्तमान पैराग्राफ

   

3.6.

अंतर-कंपनी जमाराशियाँ

3.6.1.

प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा अंतर कंपनी जमाराशियाँ किफायत से जुटाई जाएँ तथा उनका उपयोग निधि के निरन्तर स्रोत के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। उसमें निहित जोखिम को उचित रूप से ध्यान में रखते हुए प्राधिकृत व्यापारी के निदेशक मंडल को इस संबंध में उचित नीति तैयार करनी चाहिए, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित सामान्य सिद्धान्त होने चाहिए :

 

(i)

 

जबकि अंतर कंपनी जमाराशियों से उधार की अधिकतम सीमा पिछले वित्तीय वर्ष के मार्च के अंत तक निवल स्वाधिकृत निधि के 50 प्रतिशत से किसी भी दशा में अधिक नहीं होनी चाहिए, यह आशा की जाती है कि अंतर कंपनी जमाराशियों पर निर्भरता इस अधिकतम सीमा से काफा कम होगी।

 

(ii)

प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा स्वीकार की गई अंतर कंपनी जमाराशियाँ एक सप्ताह की न्यूनतम अवधि के लिए होनी चाहिए।

 

(iii)

मूल/प्रवर्तक/समूह कंपनियों अथवा अन्य किसी संबंधित पक्ष से स्वीकार की गई अंतर कंपनी जमाराशियों से एक "निर्धारित दूरी" बनाई रखी जानी चाहिए तथा उसे वित्तीय विवरणों में "संबंधित पक्षों से लेन-देन" में दर्शाया जाना चाहिए।

 

(iv)

अंतर कंपनी जमाराशियों के माध्यम से जुटाई गई राशि भारित देयता प्रबंधन व्यवस्था के अधीन होनी चाहिए।

3.6.2.

प्राथमिक व्यापारियों के लिए अंतर कंपनी जमाराशि बाजार में निधियाँ रखना निषिद्ध है।

 

संशोधित पैराग्राफ

   

3.6.

अंतर कंपनी जमाराशियाँ

3.6.1.

 

प्राथमिक व्यापारियों द्वारा अंतर कंपनी जमाराशियाँ उनकी निधियन आवश्यकताओं के अनुसार जुटाई जानी चाहिए। उसमें निहित जोखिम को उचित रूप से ध्यान में रखते हुए प्राधिकृत व्यापारी के निदेशक मंडल को इस संबंध में उचित नीति तैयार करनी चाहिए, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित सामान्य सिद्धान्त होने चाहिए :

 

(i)

अंतर कंपनी जमाराशियों से उधार पिछले वित्तीय वर्ष के मार्च के अंत तक निवल स्वाधिकृत निधि के 75 प्रतिशत से किसी भी दशा में अधिक नहीं होने चाहिए ।

 

(ii)

प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा स्वीकार की गई अंतर कंपनी जमाराशियाँ एक सप्ताह की न्यूनतम अवधि के लिए होनी चाहिए ।

 

(iii)

मूल/प्रवर्तक/समूह कंपनियों अथवा अन्य किसी संबंधित पक्ष से स्वीकार की गई अंतर कंपनी जमाराशियों से एक "निर्धारित दूरी" बनाई रखी जानी चाहिए तथा उसे वित्तीय विवरणों में "संबंधित पक्षों से लेन-देन" में दर्शाया जाना चाहिए ।

 

(iv)

अंतर कंपनी जमाराशियों के माध्यम से जुटाई गई राशि भारित देयता प्रबंधन व्यवस्था के अधीन होनी चाहिए।

3.6.2.

प्राथमिक व्यापारियों के लिए अंतर कंपनी जमाराशि बाजार में निधियाँ रखना निषिद्ध है।

3.

उक्त दिशानिर्देश इस परिपत्र की तारीख से प्रभावी होंगे ।

भवदीय

(के.के. वोहरा)
मुख्य महाप्रबंधक

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