बैंकों की सहायक कंपनियों/संयुक्त उद्यमों में निवेश के मूल्य में स्थायी ह्रास का मूल्य निर्धारण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों की सहायक कंपनियों/संयुक्त उद्यमों में निवेश के मूल्य में स्थायी ह्रास का मूल्य निर्धारण
आरबीआइ/2010-11/395 31 जनवरी 2011 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/ महोदय बैंकों की सहायक कंपनियों/संयुक्त उद्यमों में निवेश के मूल्य में स्थायी ह्रास का मूल्य निर्धारण बैंकों द्वारा निवेशों के वर्गीकरण और मूल्यन संबंधी दिशानिर्देशों पर 16 अक्तूबर 2000 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 32/21.04.048/2000-2001 के अनुबंध के पैरा 15 के अनुसार बैंकों से अपेक्षित है कि वे सहायक कंपनियों/संयुक्त उद्यमों में परिपक्वता तक धारित श्रेणी के अंतर्गत शामिल अपने निवेशों के मूल्य में अस्थायी ह्रास को छोड़कर बाकी किसी भी प्रकार के ह्रास का मूल्य निर्धारण करें और उसके लिए प्रावधान करें । तथापि, स्थायी मूल्यह्रास के मूल्यांकन/मापन की विधि के संबंध में किसी विशिष्ट अनुदेश के अभाव में ऐसा पाया गया है कि बैंक यह निर्धारित करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं कि क्या परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) अथवा बिक्री के लिए उपलब्ध (एएफएस) श्रेणियों के अंतर्गत धारित उनके महत्वपूर्ण ईक्विटी निवेशों में कोई स्थायी मूल्यह्रास हुआ है । 2. निवेश के मूल्य में स्थायी गिरावट हुई है या नहीं - इसे निर्धारित करना एक सतत प्रक्रिया है और निम्नलिखित परिस्थितियों में ऐसा मूल्य निर्धारण आवश्यक हो जाएगा : (क) कोई ऐसी घटना हो जिससे पता चलता हो कि निवेश के मूल्य में स्थायी गिरावट आयी है । ऐसी घटना निम्नलिखित प्रकार की हो सकती है : (i) कंपनी ने अपनी ऋण देयताओं की चुकौती में चूक की है। (ख) जब कंपनी को लगातार तीन वर्ष हानि हुई हो और उसके फलस्वरूप उसकी निवल मालियत में 25% या उससे अधिक की कमी आ गई हो । (ग) किसी नई कंपनी अथवा किसी नई परियोजना के मामले में जब लाभ-अलाभ का स्तर हासिल करने की मूल रूप से अनुमानित तारीख को आगे बढ़ा दिया गया हो अर्थात् कंपनी अथवा परियोजना ने मूल रूप में परिकल्पित उत्पादन पूर्व अवधि (जेस्टेशन पीरिएड) के भीतर लाभ-अलाभ का स्तर हासिल नहीं किया हो । 3. किसी सहायक कंपनी, संयुक्त उद्यम में किए गए निवेश अथवा किसी अहम निवेश के संबंध में जब यह निर्धारित करना जरूरी हो कि क्या उनके मूल्य में स्थायी गिरावट आयी है तो बैंकों को किसी प्रतिष्ठित/योग्यताप्राप्त मूल्यनकर्ता से निवेश का मूल्यन प्राप्त करना चाहिए और यदि उसमें कोई मूल्यक्षरण आया हो तो उसके लिए उन्हें प्रावधान करना चाहिए । 4. ये दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे । भवदीय (बि. महापात्र) |