भा.रि.बैं./2016-17/143     बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.37/21.04.048/2016-17     21 नवंबर,  2016     भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा  विनियमित सभी संस्थाएं     महोदया  / महोदय,     अग्रिमों  के संबंध में आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करने से संबंधित विवेकपूर्ण  मानदंड हमें  अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं कि मौजूदा ₹ 500/- और ₹ 1000/- के  नोटों (विनिर्दिष्ट बैंक मुद्रा) की वैध मुद्रा स्थिति को वापस लिए जाने के परिणामस्वरूप, छोटे उधारकर्ताओं को अपने ऋण बकाये की चुकौती  करने के लिए कुछ अधिक समय की आवश्यकता हो सकती है। इन अभ्यावेदनों पर विचार करने  के बाद, यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित मामलों में ऋण खाते को अवमानक के रूप  में मान्यता देने के लिए संबंधित विनियमित संस्था पर जो समय लागू है, उसके  अतिरिक्त 60 दिन उन्हें प्रदान किए जाए:   -     
किसी बैंक में चल रहे कार्यशील पूंजी खाते (ओडी/सीसी)/फसल ऋण, जहां मंजूर की गई सीमा ₹ 1 करोड या उससे कम हो;      -     
मीयादी ऋण, चाहे व्यावसायिक हो या वैयक्तिक,  प्रतिभूति-प्राप्त हो या अन्यथा, जहां मूल रूप से मंजूर की गई राशि किसी बैंक या  एनबीएफसी (एमएफआई) सहित किसी एनबीएफसी की बही में या ₹ 1 करोड या उससे कम हो। इसमें आवास ऋण और कृषि ऋण शामिल होंगे।         टिप्पणी: उपर्युक्त क्रम (i) और (ii) में दी गई सीमाएं ऋणों  की संबंधित श्रेणी पर लागू परस्पर विशिष्ट (एक्सक्लूसिव) सीमाएं हैं।      -     
बैंकों द्वारा एनबीएफसी (एमएफआई), एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियों, और पीएसी को, तथा राज्य सहकारी       बैंकों द्वारा डीसीसीबी को मंजूर किए गए ऋण।      -     
उपर्युक्त दिशानिर्देश डीसीसीबी द्वारा दिए गए ऋणों पर       भी लागू होंगे।       2. उपर्युक्त व्यवस्था निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी:   -     
यह 1 नवंबर 2016 और       31 दिसंबर 2016 के बीच देय बकाया राशियों पर लागू होगा। विनियमित संस्थाएं यह       सुनिश्चित करना नोट करेंगी कि यह ऊपर विनिर्दिष्ट अवधि के दौरान उत्पन्न       बकायों के भुगतान में विलम्ब के कारण अवमानक के रूप में वर्गीकरण का       अल्पकालिक आस्थगन है और इसके कारण ऋणों की पुनर्रचना नहीं होगी।      -     
1 नवंबर 2016 से पहले और 31 दिसंबर 2016 के बाद देय       बकाया राशियों पर एनपीए के रूप में मान्यता के संबंध में संबंधित विनियमित       संस्था के लिए मौजूदा अनुदेश लागू होंगे।      -     
प्रदत्त अतिरिक्त समय मौजूदा मानक आस्ति के अवमानक के       रूप में वर्गीकरण के आस्थगन के संबंध में ही लागू होगा, न कि किसी खाते को       एनपीए की उप-श्रेणियों में डालने में विलम्ब के संबंध में।     3. डीसीसीबी  सहित सभी विनियमित संस्थाओं को सूचित किया जाता है कि वे उपर्युक्त अनुदेशों से  मार्गदर्शन प्राप्त करें। भवदीय, (एस.एस. बारिक)   प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक  |