वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत पंजीकृत एमएसएमई उधारकर्ताओं के लिए राहत - आरबीआई - Reserve Bank of India
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत पंजीकृत एमएसएमई उधारकर्ताओं के लिए राहत
भा.रि.बैं./2017-18/129 07 फरवरी, 2018 भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा विनियमित सभी बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) महोदया/महोदय, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत पंजीकृत एमएसएमई उधारकर्ताओं के लिए राहत वर्तमान में, भारत में बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) के द्वारा सामान्य तौर पर क्रमशः 90 दिन और 120 दिन के चूक के मानदंड के आधार पर ऋण खाते को अनर्जक आस्ति (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। हमें इस प्रकार के अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं कि जीएसटी के तहत पंजीकरण के माध्यम से कारोबार को औपचारिक रूप देने का प्रतिकूल प्रभाव परिवर्तन के चरण के दौरान अपेक्षाकृत छोटी संस्थाओं के नकदी प्रवाह पर पड़ा है, जिसके फलस्वरूप बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) के प्रति चुकौती संबंधी उनके दायित्वों को पूरा करने में कठिनाई हुई। उक्त संस्थाओं के द्वारा औपचारिक कारोबारी माहौल में परिवर्तन को सहारा देने के उपाय के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम 2006 के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ता के प्रति बैंकों और एनबीएफसी के एक्सपोज़र को निम्नलिखित शर्तों के अधीन बैंकों और एनबीएफसी की बहियों में मानक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा:
भवदीय, (एस. के. कर) 1 एनबीएफसी के मामले में 31 मार्च 2018 से 90 दिन की चूक के मानदंड में परिवर्तन के फलस्वरूप, प्रावधान का प्रतिवर्तन 90 दिन के मानदंड के संदर्भ में किया जाएगा। 2 एनबीएफसी के मामले में 31 मार्च 2018 से 90 दिन के मानदंड में परिवर्तन के फलस्वरूप, उपचय के आधार पर आय निर्धारण पर प्रतिबंध 90 दिनों से अधिक समय से अतिदेय ब्याज के संदर्भ में रहेगा। |