विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 - चालू खाता लेनदेन - परामर्श सेवाओं के लिए प्रेषण - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 - चालू खाता लेनदेन - परामर्श सेवाओं के लिए प्रेषण - उदारीकरण
आरबीआइ / 2006-07 / 367
ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.46 दिनांक
अप्रैल 30, 2007
सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक
महोदया / महोदय
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 - चालू खाता लेनदेन - परामर्श सेवाओं के लिए प्रेषण - उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 4, 2000 की अधिसूचना सं.जी.एस.आर.381 (E) द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली 2000 की ओर आकर्षित किया जाता है। विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) विनियमावली 2000 के नियम 5 के अनुसार भारत के बाहर से प्राप्त की गई किसी परामर्श सेवा के लिए प्रति परियोजना 1,000,000 अमरीकी डालर से अधिक के प्रेषण के लिए विदेशी मुद्रा आहरण हेतु रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है डविदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची III की मद 15—
2. जैसा कि वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य (पैरा 146(i)ii) में घोषित किया गया है और प्रक्रिया को और उदार बनाने और अधिक लोचकता प्रदान करने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि संरचनात्मक परियोजनाओं को क्रियान्वित करनेवाली भारतीय कंपनियों द्वारा भारत के बाहर से खरीदी गई परामर्श सेवाओं के लिए प्रेषण सीमा को 1 मिलियन अमरीकी डालर प्रति परियोजना से बढ़ाकर 10 मिलियन अमरीकी डालर प्रति परियोजना कर दिया जाए। इस प्रयोजन के लिए, संरचनात्मक क्षेत्र इस प्रकार परिभाषित हैं (i) उर्जा (ii) दूर-संचार (iii) रेलवे (iv) पुल सहित सड़कें (v) बंदरगाह और विमान तल (vi) औद्योगिक पार्क और (vii)शहरी संरचना (जल आपूर्ति, स्वास्थ्य रक्षा और मलजल परियोजना)— तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक ऐसे मामलों में, लेनदेन की वास्तविकता के सत्यापन के बाद भारतीय कंपनियों की ओर से प्रति परियोजना 10 मिलियन अमरीकी डालर के प्रेषण की अनुमति दे सकते हैं। अन्य सभी मामलों में, भारत के बाहर से खरीदी गई किसी भी परामर्श सेवा के लिए 1 मिलियन अमरीकी डालर प्रति परियोजना की वर्तमान सीमा जारी रहेगी।
3. विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) विनियमावली 2000 के आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
5. इस परिपत्र में समाहित विदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं, और किसी अन्य कानून के तहत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महा प्रबंधक