विदेश में खोले गए शाखा कार्यालयों के लिए प्रारंभिक और आवर्ती व्यय का प्रेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेश में खोले गए शाखा कार्यालयों के लिए प्रारंभिक और आवर्ती व्यय का प्रेषण
आरबीआइ/2005-06/372
ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.32
अप्रैल 21, 2006
सेवा में
विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिकृत सभी बैंक
महोदया/महोदय
विदेश में खोले गए शाखा कार्यालयों के लिए प्रारंभिक और आवर्ती व्यय का प्रेषण
प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान जून 29, 2002 के एपी(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.54 के साथ संलग्न दिसंबर 5, 2001 की अधिसूचना सं.फेमा 47/2001-आरबी के उप-विनियम 4अ की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को विदेश स्थित शाखा अथवा कार्यालय अथवा प्रतिनिधि के प्रारंभिक और आवर्ती व्यय के लिए भारतीय कंपनी के पिछले दो लेखा वर्षों के दौरान औसत वार्षिक बिक्रियों/ आय अथवा टर्नओवर के क्रमश: दो और एक प्रतिशत तक प्रेषण की अनुमति दी गई है।
2. प्रक्रिया को और उदार बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त अधिसूचना में उल्लिखित वर्तमान शर्तों के अधीन प्रारंभिक और आवर्ती व्यय के लिए वर्तमान सीमा को क्रमश: दस प्रतिशत और पांच प्रतिशत तक बढ़ा दिया जाए।
3. तदनुसार प्राधिकृत व्यापारी बैंक वर्तमान शर्तों के अधीन प्रारंभिक और आवर्ती व्यय हेतु पिछले दो लेखा वर्षों के दौरान औसत वार्षिक बिक्रियों/ आय अथवा टर्नओवर के क्रमश: दस प्रतिशत और पांच प्रतिशत के प्रेषण की अनुमति दें।
4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति का विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।
5. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(एम. सेबेस्टियन)
मुख्य महाप्रबंधक