कंपनियों के समापन पर प्रेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
कंपनियों के समापन पर प्रेषण
आरबीआइ/2006-07/422
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.65
मई 31, 2007
सेवा में
सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
कंपनियों के समापन पर प्रेषण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान मई 3, 2000 की अधिसूचना फेमा 13/2000-आरबी के विनियम 3 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार अधिनियम अथवा नियम अथवा विनियम में अन्यथा न हो तो भारत में निवास करनेवाला अथवा निवास न करनेवाला व्यक्ति भारत में उसके द्वारा अथवा किसी अन्य द्वारा धारित किसी परिसंपत्ति का प्रेषण सिवाय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के नहीं करेगा। अत: वर्तमान प्रावधानों के अनुसार, परिसमापनाधीन भारतीय कंपनियों के परिसंपत्तियों में से प्रेषण को रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की जरूरत पड़ती है।
2. वर्ष 2007-08 के वार्षित नीति वक्तव्य (पैरा 146(i)(vii) में की गई घोषणा के अनुसार प्रक्रिया को सरल बनाने के एक उपाय के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को यह अधिकार दिए जाएं कि वे कोर्ट द्वारा कंपनी के समापन अथवा कार्यालयीन परिसमापक अथवा स्वेच्छापूर्वक समापन के मामले में परिसमापक द्वारा जारी किसी आदेश के अधीन और साथ ही कर अनुपालन के अधीन कंपनी अधिनियम 1956 के प्रावधानों के तहत परिसमापनाधीन भारतीय कंपनियों के परिसंपत्तियों में से प्रेषण की अनुमति दे सके।
3. तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को अब अनुमति दी जाती है कि वे निम्नलिखित शर्तों के अधीन कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के तहत परिसमापनाधीन भारतीय कंपनियों की परिसंपत्तियों में से प्रेषण कर सकते हैं
- प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रेषण भारत में किसी कोर्ट द्वारा जारी आदेश/ कार्यालयीन परिसमापक अथवा स्वेच्छापूर्वक समापन के मामले में परिसमापक द्वारा जारी आदेश के अनुपालन में है; और
- जब तक आवेदक निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करता है तब तक किसी भी प्रेषण की अनुमति नहीं दी जाएगी :-
(क) प्रेषण के लिए आयकर प्राधिकरण से प्राप्त आपत्ति नहीं अथवा कर देय न होने का प्रमाणपत्र
(ख) लेखापरीक्षक से प्राप्त इस बात की पुष्टि का प्रमाणपत्र कि भारत में सभी देयताओं को या तो पूरी तरह अदा किया गया है अथवा उसके लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है।
(ग) लेखापरीक्षक से प्राप्त इस आशय का प्रमाणपत्र कि समापन कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के अनुसार है।
(घ) कोर्ट द्वारा समापन से इतर समापन के मामले में, लेखापरीक्षक से प्राप्त इस आशय का प्रमाणपत्र कि आवेदक अथवा परिसमापनाधीन कंपनी पर भारत में किसी कोर्ट में कोई भी कानूनी कार्रवाई लंबित नहीं है तथा प्रेषण की अनुमति देने में किसी प्रकार की कानूनी बाधा नहीं है।
4. मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 13/2000-आरबी डविदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का प्रेषण) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।
5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक तथा प्राधिकृत बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक