विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) 1999 - चालू खाता लेनदेन - कंपनियों द्वारा दान के लिए प्रेषण - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) 1999 - चालू खाता लेनदेन - कंपनियों द्वारा दान के लिए प्रेषण - उदारीकरण
आरबीआइ. /2006-07 /366
एपी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.45
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक
महोदया / महोदय,
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) 1999 - चालू खाता लेनदेन - कंपनियों द्वारा दान के लिए प्रेषण - उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित मई 4, 2000 की अधिसूचना सं. जीएसआर. 381 (E) द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेन-देन) नियमावली, 2000 (विनियमावली) की ओर आकर्षित किया जाता है । विनियमावली की अनुसूची III की मद सं. 4 के अनुसार प्रति प्रेषक / दानकर्ता द्वारा प्रतिवर्ष 5000 अमरीकी डालर से अधिक के दान के प्रेषण के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होती है । इसके अलावा मार्च 1, 2002 के एपी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 25 के अनुसार भारत से बाहर शैक्षणिक संस्थाओं में छात्रवृत्ति और इसी प्रकार के प्रयोजनों के लिए अपने विदेशी मुद्रा अर्जनों से निधि का योगदान करने की इच्छुक भारतीय कंपनियों को, जिनका प्रमाणित पिछला कार्यनिष्पादन रिकार्ड है, रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है ।
2. जैसा कि वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य (पॅरा 146 (i) i) में घोषित किया गया है और प्रक्रिया को और उदार बनाने एवं अधिक लोचकता प्रदान करने की दृष्टि से प्राधिकृत व्यपारी श्रेणी I बैंकों को अब अनुमति दी गई है कि वे नीचे विनिर्दिष्ट प्रयोजनों हेतु कंपनियों द्वारा दिए जानेवाले दान का प्रेषण करें;
- ख्यातिप्राप्त शैक्षणिक संस्थाओं में छात्रवृत्ति की स्थापना के लिए
- शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा प्रवर्तित निधियों को दान (निवेश निधि न होने के कारण); अथवा
- दानकर्ता कंपनी की गतिविधिवाले क्षेत्र में किसी तकनीकी संस्थान अथवा निकाय अथवा संस्था
को दान
प्रेषण पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान विदेशी मुद्रा अर्जन के एक प्रतिशत अथवा 5 मिलियन अमरीकी डालर, जो भी कम हो, की सीमा के अधीन हैं — उपर विनिर्दिष्ट से इतर प्रयोजनों हेतु प्रेषणों के लिए आवेदन (क) पिछले 3 वर्षों के दौरान कंपनी के विदेशी मुद्रा अर्जन के ब्योरे (ख) कंपनी की गतिविधियों की संक्षिप्त पृष्ठभूमि (ग) दान का प्रयोजन और (घ) कंपनी को संभावित लाभ के ब्योरों के साथ मुख्य महा प्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी निवेश प्रभाग (ईपीडी), केंद्रीय कार्यालय, मुंबई 400 001 को भेजे जाएं ।
3. भारतीय कंपनियों द्वारा दान के लिए प्रति प्रेषक / प्रति दानकर्ता 5000 अमरीकी डालर प्रति वित्तीय वर्ष की प्रेषण की वर्तमान सुविधा अबतक की तरह जारी रहेगी —
4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन ) विनियमावली 2000 के आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं ।
5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें ।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं, और किसी अन्य कानून के तहत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है ।
भवदीय,
( सलीम गंगाधरन )
मुख्य महा प्रबंधक