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(i) स्थायी रूप से भारत में निवास करने के लिए लौटे अनिवासी भारतीयों की विदेश में हुई आय एवं विदेश स्थित उनकी परिसंपत्तियों की बिक्री से हुई आमदनी का प्रत्यावर्तन

भारिबैंक/2011-12/226
ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.37

19 अक्तूबर 2011

विदेशी मुद्रा का व्यापार करने के लिए प्राधिकृत सभी बैंक

महोदया/महोदय,

(i) स्थायी रूप से भारत में निवास करने के लिए लौटे अनिवासी भारतीयों की विदेश में हुई आय एवं विदेश स्थित उनकी परिसंपत्तियों की बिक्री से हुई आमदनी का प्रत्यावर्तन
(ii) उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत विप्रेषणों द्वारा विदेशों से हुई आय और विदेश में अर्जित परिसंपत्तियों की बिक्रीगत आमदनी का प्रत्यावर्तन - स्पष्टीकरण

प्राधिकृत व्यापारी (प्रा.व्या.) बैंकों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 (4) की ओर आकृष्ट किया जाता है । इसके अलावा प्राधिकृत व्यापारी (प्रा.व्या.) बैंकों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 8 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है जिसमें कहा गया है कि इस अधिनियम में अन्यथा किये गये प्रावधान को छोड़कर, जहाँ भारत में निवास करने वाले किसी व्यक्ति को कोई विदेशी मुद्रागत राशि प्राप्य है या उपचित हुई है, वहाँ वह व्यक्ति ऐसी विदेशी मुद्रा को रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट अवधि में एवं बताए गये तरीके से वसूल करने तथा भारत में प्रत्यावर्तित करने के सभी संभव उपाय करेगा ।

2. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत व्यक्तियों को सुलभ सुविधाओं की समीक्षा करने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि इस आशय का स्पष्टीकरण देने की जरूरत है कि भारत में स्थायी निवास के लिए लौटे अनिवासी भारतीयों की विदेश में हुई आय तथा विदेश स्थित परिसंपत्तियों की बिक्रीगत आमदनी तथा उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत विप्रेषित राशि से विदेश में हुई आय और विदेश में अर्जित परिसंपत्तियों की बिक्रीगत आमदनी को प्रत्यावर्तित करने की आवश्यकता नहीं है ।

3. तदनुसार, इसे निम्नवत स्पष्ट किया जाता है:

(ए) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा (6) की उप धारा 4 के अनुसार भारत में निवास करने वाला कोई व्यक्ति भारत से बाहर विदेशी मुद्रा (करेंसी), विदेशी प्रतिभूति या अचल संपत्ति को धारण कर सकता है, स्वामित्व में ले सकता है, का अंतरण कर सकता है उसमें निवेश कर सकता है यदि ऐसी विदेशी मुद्रा (करेंसी), प्रतिभूति या संपत्ति का अर्जन, धारण, स्वामित्व में लेना उस व्यक्ति द्वारा भारत से बाहर निवास के दौरान किया गया हो या भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति से उसे ये उत्तराधिकार में प्राप्त हुई हों ।

(बी)  उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत किए गए निवेश से हुई आय को विदेश में रख सकता है या पुनर्निवेश कर सकता है ।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें।

भवदीया,

(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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